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प्रस्तुतकर्ता
Dinesh Chandra
को
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जीवन्ती के फायदे
जीवन्ती के औषधीय गुणों के बारे में चरक संहिता में भी उल्लेख मिलता है, जीवन्ती एक ऐसी लता है जिसका आयुर्वेद में पेट और त्वचा संबंधी समस्या के उपचार से लेकर राजयक्ष्मा यानि टीबी के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है, जीवन्ती की जड़, पत्ता, फूल और फल सबका औषधी के रूप में भिन्न-भिन्न रोगों के लिए प्रयोग में लाया जाता है, चलिये जीवन्ती के फायदों के बारे में जानने के लिए आगे बढ़ते हैं।
jivanti ke fayde |
जीवन्ती क्या है ?
जीवन्ती के शाक को सागों में श्रेष्ठ कहा गया है, चरक-संहिता के जीवनीय दशेमानि एवं मधुरस्कन्ध के अर्न्तगत जीवन्ती का उल्लेख मिलता है, जीवन्ती स्वर्णजीवन्ती, ह्रस्व तथा दीर्घजीवन्ती आदि इसके भेद माने गए हैं, कुछ विद्वान लोग Dendrobium macraei को तथा Dregia volubilis को जीवन्ती मानते हैं, पंजाब में जिउन्ती (Cimicifuga foetida) को जीवन्ती नाम दिया है, वस्तुत यह जीवन्ती से भिन्न है, वास्तविक जीवन्ती Leptadenia reticulata है।
यह सुंदर, आक्षीरी यानि दूध निकलने वाली लता होती है, इसका नया तना, अनेक शाखा-युक्त, सफेद, कोमल रोमवाली होता है, इसकी छाल दरार-युक्त होती है, इसके पत्ते सरल, विपरीत 2.5 से 5.0 सेमी लम्बे एवं 2 से 4.5 सेमी चौड़े, अण्डाकार-हृदयाकार, स्निग्ध, सरलधारयुक्त, आधे पृष्ठ भाग पर नीलाभ श्वेत रजयुक्त होते हैं, इनका आधार गोला या नुकीला होता है, इसके फूल में हरिताभ पीले, सफेद रंग के होते हैं, इसकी फलियाँ बेलनाकार, 6.3 से 7.5 सेमी लम्बे, 1.2 से 1.8 सेमी व्यास की, सीधी, चिकनी, नुकीली तथा स्निग्ध होती हैं, बीज 1.2 सेमी लम्बे, संकीर्ण अण्डाकार होते हैं, इसका पुष्पकाल एवं फलकाल अगस्त से फरवरी तक होता है।
अन्य भाषाओं में जीवन्ती के नाम
जीवन्ती का वानस्पतिक नाम Leptadenia reticulata (लेप्टेडेनिया रेटिक्युलेटा) होती है, इसका कुल Asclepiadaceae (एसक्लीपिएडेसी) होता है और इसको अंग्रेजी में Leptadenia (लैप्टेडेनिया) कहते हैं, चलिये अब जानते हैं कि जीवन्ती और किन-किन नामों से जाना जाता है।
- Sanskrit - जीवन्ती, जीवनी, जीवा, जीवनीया, मधुस्रवा, माङ्गल्यनामधेया, शाकश्रेष्ठा, डोडा
- Hindi - जीवन्ती, डोडी
- Kannada - डोडीसोप्पू, पालातीगाबल्ली
- Gujarati - क्षीरखोडी, नहानीडोडी
- Tamil - पलैक्कोडी, पलाकुडई
- Telugu - कालासा, मुक्कूतुम्मुडु
- Marathi - डोडी, रायदोडी
- Malayalam - अतापतियन, अताकोदियन
- English - कॉर्क स्वॉलो वर्ट।
जीवन्ती का औषधीय गुण
जीवन्ती के फायदों के बारे में जानने के लिए सबसे पहले उसके औषधी कारक गुणों के बारे में जानना जरूरी होता है :-
- जीवन्ती प्रकृति से मधुर, शीतल, लघु, स्निग्ध, वात, पित्त और कफ को हरने वाली, रसायन, शक्ति बढ़ाने में मददगार, चक्षुष्य, ग्राही, आयुष्य, बृंहण, स्पर्म को बढ़ाने में फायदेमंद, गले के अच्छा, स्वर्य, जीवनीय, सूतबंधनीय (पारद को बांधने वाली), वृष्य, श्वासहर, स्नेहोपग (स्नेहन में सहायक) तथा स्तन्यकारक होती है।
- यह रक्तपित्त (कान और नाक से खून बहने की बीमारी), क्षय, दाह या जलन, ज्वर या बुखार, खांसी से राहत दिलाने में मददगार होती है।
- इसके फल मधुर, गुरु, बृंहण तथा धातुवर्धक होते हैं।
- इसका तेल बाल, कफवर्धक, गुरु, वातपित्त से आराम दिलाने वाली, शीत, मधुर तथा अभिष्यंदी होता है।
- जीवन्ती का शाक, समस्त सागों में श्रेष्ठ होता है, यह अग्निरोपक, पाचक, बलकारक, वर्ण्य, बृंहण, मधुर तथा पित्तशामक होता है।
- जीवन्ती के पत्ते और जड़ प्रशीतक, चक्षुष्य, मृदुकारी, बलकारक, परिवर्तक, उत्तेजक, वाजीकर तथा स्तन्यवर्धक होते हैं।
जीवन्ती के फायदे और उपयोग
जीवन्ती में पौष्टिकारक गुण होता है, उतना ही औषधी के रूप में कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद होते है, चलिये इसके बारे में आगे जानते हैं :-
जीवन्ती नक्तान्ध्य या रतौंधी में लाभदायक है
जीवन्ती का औषधीय गुण रतौंधी के इलाज में बहुत फायदेमंद होता है, जीवन्ती के 5 से 10 ग्राम पत्तों को घी में पकाकर रोज सेवन करने से रतौंधी में लाभ होता है।
जीवन्ती मुँह के घाव के इलाज में लाभकारी है
समान मात्रा में जीवन्ती के पेस्ट तथा गाय का दूध मिलाकर जो पेस्ट बनेगा उसमें मधु तथा आठवाँ भाग राल मिला कर मुख तथा होंठ के घाव पर लेप करने से घाव जल्दी भर जाता है।
जीवन्ती पसलियों के दर्द से राहत दिलाता है
अगर पसलियों के दर्द से परेशान हैं, तो जीवन्ती के जड़ के पेस्ट में दो गुना तेल मिलाकर, लेप करने से पसलियों के दर्द से आराम मिलता है।
जीवन्ती खांसी को कम करने में फायदेमंद है
10 से 12 ग्राम जीवन्ती आदि द्रव्यों से बने चूर्ण में विषम मात्रा में मधु तथा घी मिलाकर खाने से कास (खांसी) में लाभ मिलता है।
जीवन्ती राजयक्ष्मा या टीबी के इलाज में लाभकारी है
टीबी के लक्षणों से आराम पाने में जीवन्ती बहुत काम आता है, 5 से 10 ग्राम जीवन्त्यादि घी का सेवन करने से राजयक्ष्मा में लाभ होता है।
जीवन्ती अतिसार या दस्त को रोकने में फायदेमंद है
खाने-पीने में गड़बड़ी हुई नहीं कि दस्त की समस्या हो गई, पुटपाक विधि से निकाले हुए 10 मिली जीवन्ती रस में 10 से 12 ग्राम मधु मिला कर पीने से अतिसार में लाभ होता है, इसके अलावा जीवन्ती शाक को पकाकर दही, अनार तथा घी के साथ मिलाकर खाने से अतिसार में लाभ मिलता है।
जीवन्ती पित्तज शोध के इलाज में लाभकारी है
जीवन्ती का औषधीय गुण पित्तज शोध या सूजन को कम करने में बहुत मदद करती है, जीवन्ती को पीसकर पैत्तिक शोथ पर लेप करने से शीघ्र लाभ होता है।
जीवन्ती योनि व्यापद के उपचार में फायदेमंद है
जीवन्ती से सिद्ध घी को 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से योनिव्यापद (योनिविकारो) से आराम मिलने में आसानी होती है।
जीवन्ती संधिशोध या गठिया से आराम दिलाता है
जीवन्ती की जड़ तथा ताजे पत्तों को पीसकर लगाने से जोड़ो के सूजन और दर्द से आराम जल्दी मिलता है।
जीवन्ती व्रण या घाव को जल्दी ठीक करने में सहायक है
अगर अल्सर या घाव ठीक नहीं हो रहा है, तो जीवन्ती पेस्ट की लुगदी बनाकर तीन दिन तक व्रण पर बांधने से व्रण जल्दी भरने लगता है, जीवन्ती के पत्तो को पीसकर घाव पर लेप करने से घाव जल्दी भर जाता है।
जीवन्ती त्वचा संबंधी बीमारियों के इलाज में लाभकारी है
जीवन्ती, मंजिष्ठा, दारुहल्दी, कम्पिल्लक के काढ़ा एवं तूतिया (तुथ) के पेस्ट से पकाए घी तथा तेल में सर्जरस तथा मोम मिलाकर मलहम की तरह प्रयोग करने से बिवाई फटना, चर्मकुष्ठ, एककुष्ठ, किटिभ कुष्ठ तथा अलसक में जल्दी ही लाभ मिलता है।
जीवन्ती बुखार के कारण जलन के कष्ट से राहत दिलाता है
जीवन्ती जड़ से बनाए काढ़े (10 से 30 मिली) में घी मिलाकर सेवन करने से बुखार के कारण होने वाली जलन कम होती है।
जीवन्ती सूजन से राहत दिलाता है
जीवन्त्यादि द्रव्यों का यवागू बना कर, घी तथा तेल से छौंक कर, वृक्षाम्ल के रस से खट्टा कर सेवन करने से अर्श, अतिसार, वातगुल्म, सूजन तथा हृदय रोग का शमन होता है तथा भूख भी बढ़ती है।
जीवन्ती का उपयोगी भाग
आयुर्वेद के अनुसार जीवन्ती का औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है :-
- जड़
- पत्ता
- फूल
- फल।
जीवन्ती का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए ?
यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए जीवन्ती का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें, चिकित्सक के सलाह के अनुसार 3 से 6 ग्राम मूल और फल, 50 से 100 मिली काढ़ा ले सकते हैं।
जीवन्ती कहां पाया या उगाया जाता है ?
भारत में यह उपहिमालय के क्षेत्रों तथा दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में 900 मी की ऊँचाई तक पाई जाती है, इसके अतिरिक्त गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब एवं दक्षिण भारत में भी प्राप्त होती है।
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