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प्रस्तुतकर्ता
Dinesh Chandra
को
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चीड़ के फायदे
पहाड़ी इलाकों जैसे कि उत्तराखंड या हिमाचल में जब भी आप सैर के लिए जाते होंगें, आपकी नजर चीड़ के ऊंचे-ऊंचे पेड़ों पर पडती होगी, आयुर्वेद में इस पेड़ को सेहत के लिए बहुत उपयोगी माना गया है, चीड़ के पेड़ की लकडियां, इससे निकलने वाले तारपीन के तेल और चिपचिपे गोंद का इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है, चीड़ के पेड़ से निकलने वाले गोंद को गंधविरोजा नाम से जाना जाता है, इस आर्टिकल में हम आपको चीड़ के फायदे, औषधीय गुण और उपयोग के तरीकों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
cheed ka ped |
चीड़ क्या है ?
हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला चीड़ के पेड़ की लम्बाई 30 से 35 मीटर तक की होती है, अधिकांश लोग इसकी लम्बाई और पत्तियों के आकार से ही इसे पहचान लेते हैं, इसका तना गहरे भूरे रंग का खुरदुरा गोल आकार में होता है, इसके पत्ते 3 के गुच्छे में होते हैं, जिनकी लम्बाई 20 से 30 सेमी होती है, इसके फल देवदारु के फल जैसे ही होते हैं, लेकिन ये आकार में कुछ बड़े, शंक्वाकार, पिरामिड आकार के नुकीले होते हैं, मार्च से नवम्बर के बीच में इसमें फल और फूल निकलते हैं।
अन्य भाषाओं में चीड़ के नाम
चीड़ का वानस्पतिक नाम पाइनस् रॉक्सबर्घियाई है, यह पाइनेसी कुल का पौधा है, आइये जानते हैं कि विभिन्न भाषाओं में इस पौधे को किन-किन नामों से जाना जाता है।
- Hindi - चीढ़, चीड़, धूपसरल
- English - चीर पाईन, इमोडी पाईन
- Sanskrit - सरल, पीतवृक्ष, सुरभिदारुक
- Kannad - सरल
- Gujrati - सरल देवदार, तेलियो देवदार
- Telugu - देवदारु चेट्टु, सरल
- Tamil - शिरसाल, सीमाई देवदारी
- Nepali - धूप सलसी, रानी सल्लो, खोटे सलो, साला
- Bengali - सरलगाछ, तार्पीन तैलेर गाछ
- Marathi - सरल, सरल देवदारा
- Malyalam - सरलम
- Arabi - सत बिरोजा, शज्रतुल् बक, सनोवर हिन्दी
- Persian - समाधे सेनोबर, काज, दरख्ते वसक।
चीड़ के औषधीय गुण
- चीड़ कटु, मधुर, तिक्त, उष्ण, लघु, स्निग्ध, कफवातशामक, कान्ति दायक, दुष्टव्रण शोधक, वृष्य, दीपन तथा कोष्ठशोधक होता है।
- यह कर्णरोग, कण्ठरोग, अक्षिरोग, स्वेद, दाह, कास, मूर्च्छा, व्रण, भूतदोष कृमि, त्वक्-विकार, शोफ, कण्डू, कुष्ठ, अलक्ष्मी, व्रण, यूका, ज्वर, दौर्गन्ध्य तथा अर्शनाशक होता है।
- चीड़ का तैल कटु, तिक्त, कषाय, दुष्टव्रण विशोधक, शुक्रमेह, कृमि, कुष्ठ, वातविकार तथा अर्श नाशक होता है।
- अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से, पित्तविकार तथा भ्रम को उत्पन्न करने वाला होता है।
- इसका काष्ठ सर्पदंश, वृश्चिकदंश तथा शारीरिक दाह में लाभप्रद होता है।
चीड़ के फायदे एवं उपयोग
चीड़ के पेड़ से निकलने वाले गोंद (गंधविरोजा) को कई रोगों के इलाज में उपयोगी पाया गया है, इसके अलावा इसकी लकडियां, छाल आदि मुंह और कान के रोगों को ठीक करने के अलावा अन्य कई समस्याओं में भी उपयोगी हैं, आइये जानते हैं कि अलग-अलग बीमारियों में चीड़ को घरेलू इलाज के रूप में कैसे इस्तेमाल करें।
चीड़ कान के रोगों में उपयोगी है
कान से चिपचिपे तरल का स्राव होना, कान में दर्द और सूजन ये कान से जुड़ी मुख्य समस्याएं हैं, अगर आप इन समस्याओं से परेशान रहते हैं, तो चीड़ का उपयोग करें, आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार देवदारु, कूठ और सरल के काष्ठों पर क्षौम वत्र लपेट कर तिल तैल में भिगोकर जलाएं, इसे जलाने से मिलने वाले तेल की एक दो बूँद कान में डालें, यह तेल कान के दर्द, सूजन और स्राव से जल्दी आराम दिलाता है।
चीड़ मुंह के छालों को ठीक करता है
मुंह में छालों की समस्या अक्सर गलत खानपान, पेट की गर्मी और खराब दिनचर्या के कारण होती है, घरेलू उपचारों की मदद से आप आसानी से मुंह के छालों का इलाज कर सकते हैं, चीड़ के पेड़ से प्राप्त गोंद (गंधविरोजा) का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
चीड़ सांस की नली में सूजन को कम करता है
सांस की नली में सूजन होना एक गंभीर समस्या है, विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ विशेष घरेलू उपायों की मदद से इस समस्या से राहत पायी जा सकती है, इसके लिए चीड़ के तेल से छाती पर मालिश करें, इसकी मालिश से सांस नली की सूजन कम होने के साथ-साथ सर्दी-खांसी में भी फायदा मिलता है।
चीड़ की लकड़ी के चूर्ण में अगरु, कूठ, सोंठ तथा देवदारु चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें, इस चूर्ण की 2 से 4 ग्राम मात्रा गोमूत्र या कांजी में पीसकर पिएं, इसे पीने से सर्दी-खांसी में जल्दी आराम मिलता है।
चीड़ पेट के कीड़ों को नष्ट करता है
पेट में कीड़े होने पर रुक-रुक कर पेट में दर्द होना और भूख ना लगने जैसे लक्षण नजर आते हैं, इससे आराम पाने के लिए आप चीड़ का उपयोग कर सकते हैं, इसके लिए चीड़ के तेल में आधा भाग विडंग के चावलों का चूर्ण मिलाकर धूप में रखकर पिलाएं, इसे पिलाने और वस्ति देने से आंत से कीड़े खत्म हो जाते हैं।
चीड़ पेट फूलना के कष्ट में लाभकारी है
अगर आप पेट फूलने की समस्या से परेशान हैं, तो चीड़ के तेल को पेट में लगाएं, इस तेल को पेट में लगाने से या वस्ति देने से पेट फूलना और बवासीर जैसी समस्याओं में फायदा मिलता है।
चीड़ लकवा के इलाज में फायदा पहुंचाता है
पिप्पली, पिप्पली की जड़, सरल और देवदारु को मिलाकर पेस्ट बना लें, इस पेस्ट की 1 से 3 ग्राम मात्रा में 2 गुना शहद मिलाकर पीने से लकवा रोग में फायदा मिलता है, इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक के सलाह अनुसार ही करें।
चीड़ घाव को जल्दी भरने में मदद करता है
चीड़ के पेड़ से निकलने वाले गोंद (गंधविरोजा) के उपयोग से घाव जल्दी ठीक होते हैं, इसके लिए गोंद को पीसकर सीधे घावों पर लगाएं, इसके प्रयोग से कुछ ही दिनों में घाव ठीक होने लगता है, इसके अलावा चीड़ की सूचियों को पीसकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं।
चीड़ चोट लगने पर लाभकारी है
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार चोट लगने पर चीड़ का तेल लगाना बहुत उपयोगी होता है, इस तेल को घाव पर लगाने से रक्तस्राव (ब्लीडिंग) बंद हो जाता है, इस तेल के उपयोग से घावों में पस भी नहीं बनता है और घाव जल्दी ठीक होता है, अधिक जानकारी के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क जरूर करें।
चीड़ दाद खाज खुजली को दूर करता है
दाद की समस्या होने पर या खुजली होने पर भी आप चीड़ का उपयोग घरेलू इलाज के रूप में कर सकते हैं, इसके लिए चीड़ की गोंद (गंधविरोजा) को दाद या खुजली वाले स्थान पर लगाएं, इसके प्रयोग से कुछ ही दिनों में दाद व खुजली की समस्या ठीक हो जाती है।
चीड़ बच्चों की पसली चलने की समस्या को ठीक करता है
छोटे बच्चों को अक्सर सर्दी लग जाने पर या निमोनिया होने पर पसलियां चलने की समस्या हो जाती है, इसके इलाज में आप चीड़ का उपयोग कर सकते हैं, इसके लिए चीड़ के तेल में बराबर मात्रा में सरसों का तेल मिलाकर इससे बच्चों की मालिश करें, इस तेल की मालिश से तुरंत गर्माहट मिलती है और बच्चों को जल्दी आराम मिलता है।
चीड़ के उपयोगी भाग
विशेषज्ञों के अनुसार चीड़ के निम्न भाग सेहत के लिए बहुत उपयोगी हैं :-
- लकड़ी
- तेल
- तैलीय निर्यास
- गंधविरोजा (गोंद).
चीड़ का इस्तेमाल कैसे करें ?
अगर आप चीड़ के चूर्ण का उपयोग का रहे हैं, तो 2 से 3 ग्राम की मात्रा में करें वहीं अगर आप चीड़ के तेल का उपयोग कर रहे हैं, तो 2 से 5 बूंद का प्रयोग करें, ध्यान रखें कि अगर आप किसी गंभीर बीमारी के घरेलू इलाज के रूप में चीड़ का उपयोग करने की सोच रहे हैं, तो पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर लें।
चीड़ का पेड़ कहां पाया या उगाया जाता है ?
चीड़ का पेड़ हिमालयी क्षेत्रों में कश्मीर से भूटान तक 450 से 1800 मी तक की ऊँचाई पर पाया जाता है, इसके अलावा यह पेड़ कुमाऊँ में 2300 मी तक की ऊँचाई पर, शिवालिक पहाड़ी क्षेत्रों, ऊटी तथा अफगानिस्तान में भी पाया जाता है।
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