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प्रस्तुतकर्ता
Dinesh Chandra
को
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निशोथ के फायदे
निसोथ को कई तरह से लिखा जाता है, कई लोग निसोथ को निसोत तो अनेक लोग निशोथ लिखते हैं, इसे संस्कृत में त्रिवृत् भी बोला जाता है, आप निशोथ के बारे में बहुत अधिक नहीं जानते होंगे, यह एक बहुत ही उत्तम जड़ी-बूटी है, आयुर्वेदिक किताबों में निसोथ के फायदे के बारे में कई अच्छी बातें बताई गई हैं, निशोथ के कई सारे औषधीय गुण हैं, क्या आप यह जानते हैं कि बुखार, सूजन, पेट की बीमारी और ह्रदय रोग में निसोत के इस्तेमाल से फायदे मिलते हैं, इतना ही नहीं, कंठ से जुड़ी बीमारियों, तिल्ली विकार, एनीमिया, घाव आदि रोगों में भी निसोथ के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
nishoth tree |
आप पेट के कीड़े की समस्या, टीबी की बीमारी, फोड़ा और एनीमिया में भी निसोथ से लाभ ले सकते हैं, आइए यहां एक-एक कर जानते हैं कि निसोथ के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा और नुकसान हो सकता है।
निसोथ क्या है ?
निशोथ की लता अनेक सालों तक जीवित रहती है, इसकी जड़ मोटी, स्थूल, मांसल, शाखायुक्त होती है, रंगों के आधार पर निशोथ दो तरह की होती है :-
- श्यामला
- सफेद।
सफेद निशोथ की जड़ सफेद रंग की और काली निशोथ की जड़ श्याम रंग की होती है, चिकित्सा कार्य के लिए त्रिवृत् की जड़ का प्रयोग किया जाता है, बाजार में इसके भूरे या सफेद-भूरे रंग के मोटे टुकड़े मिलते हैं, ये टुकड़े एक ओर फटे हुए से मिलते हैं, कई स्थानो पर जड़ के टुकड़े में इसके तने के टुकड़े को भी मिलाकर बेचा जाता है, यहां निसोथ के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है, ताकि आप निसोथ के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
अन्य भाषाओं में निसोथ के नाम
निसोथ का वानस्पतिक नाम ऑपरक्युलिना टरपिथम है और यह कान्वाल्वुलेसी कुल की है, निसोथ के अन्य नाम ये भी हैं :-
- Hindi - निसोत, निशोथ
- Sanskrit - श्वेता, त्रिवृत्, त्रिभण्डी, त्रिवृता, त्रिपुटा, सर्वानुभूति, सरला, रेचनी, श्यामा, पालिन्दी, सुषेणिका, मसूरविदला, अर्धचद्रा, कालमेशिका
- English - टर्पेथ-रूट, बॉक्स फ्रूट वाइन, इण्डियन जालप
- Oriya - दुधोलोमो
- Urdu - तुर्बुद, निशोथ, तुर्बुद सफेद
- Kannada - बिली तिगड़े, तिगडे
- Gujarati - नसोतर, नहोतर
- Telugu - तेल्लातेगाडा
- Tamil - केरूम सिवदै, शिवदै
- Bengali - तेउड़ी, तिउरी, दूधियाकलमी
- Nepali - निसोथ
- Punjabi - निसोथ, चित्तभ्रंश
- Marathi - निषोत्तार, तेंड
- Malayalam - त्रिकोलपोकन्न
- Arabic - तुर्बुद, तुर्बुंद।
निसोथ के औषधीय गुण
निसोथ के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैं :-
सफेद त्रिवृत् मधुर, कषाय, कटु, उष्ण, लघु, सर, रूक्ष, तीक्ष्ण होती है, श्यामले त्रिवृत् तीक्ष्ण, विरेचक, मूर्च्छाकारक, दाहकारक, मदकारक और भम कारक होती है, दोनों प्रकारों में सफेद रंग युक्त जड़ उत्तम मानी जाती है, व्यक्तियों और बालकों को इसकी जड़ का प्रयोग करने से बहुत लाभ मिलता है, हल्के कब्ज वाले व्यक्तियों को भी लाभ होता है।
श्यामले जड़ वाली निशोथ दस्त का कारण बन सकती है, यह रस, रक्त आदि धातुओं को क्षीण करके बेहोशी उत्पन्न कर देती है, क्षीण होने के कारण हृदय और कण्ठ में खिंचाव उत्पन्न कर देती है, यह दोषों को तुरंत ठीक करती है।
निसोथ के फायदे और उपयोग
निसोथ के फायदे, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैं :-
निसोथ से आंखों की बीमारियों का इलाज होता है
- काली निशोथ के चूर्ण में मधु और शर्करा मिला लें, इसे आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के फूलने की बीमारी में लाभ होता है।
- काली निशोथ की जड़ का रस निकाल लें, इसमें बराबर मात्रा में मधु मिलाकर आँखों में काजल की तरह लगाने से पलकों से जुड़ी बीमारी ठीक होती है।
निसोथ पित्तज विकार में फायेदमंद है
पित्तज विकार में त्रिवृत् के औषधीय गुण के फायदे मिलते हैं, आप त्रिवृत् का पेस्ट बना लें, पेस्ट और एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाएं, इसके लिए दोनों को दूध और जल में पकाएं, इसे पीने से पेट साफ होता है और पित्तज विकार खत्म होते हैं।
निसोथ वातज विकार में फायेदमंद है
निशोथ, मधुशिग्रु और जड़ी के बीज को तेल में पकाएँ, इसे पीने और इससे मसाज करने से वात दोष के कारण होने वाले विकार ठीक होते हैं, उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
निसोथ पेट के फूलने का इलाज है
- निशोथ के पत्ते की सब्जी पेट के फूलने की बीमारी में लाभ पहुंचाती है।
- रोगी की बीमारी और पाचनशक्ति के अनुसार निशोथ एवं शुण्ठी के 1 से 2 ग्राम चूर्ण को दूध या अंगूर के रस के साथ सेवन करने से पेट के फूलने की बीमारी में लाभ होता है।
- गुग्गुलु, निशोथ, दंती, द्रवन्ती, सेंधा नमक और वचा चूर्ण को गोमूत्र, मद्य को दूध या अंगूर के रस के साथ सेवन करने से पेट के फूलने की बीमारी में लाभ होता है।
- दो भाग त्रिवृत्, चार भाग काली मिर्च और पाँच भाग हरीतकी के चूर्ण लें, इन सभी के बराबर मात्रा में गुड़ मिलाकर, गोली बना लें, गोली का सेवन करने से कब्ज के कारण पेट के फूलने की समस्या में लाभ होता है।
- निशोथ, हरीतकी और काली निशोथ के चूर्ण में स्नुही क्षीर की भावना देकर (किसी द्रव्य के रस में उसी द्रव्य के चूर्ण को सुखाना) गोली बना लें, इसे गोमूत्र के साथ सेवन करने से पेट का फूलना ठीक होता है।
निसोथ पेट के रोग में लाभदायक है
अगर पेट की बीमारी के कारण रोगी को कब्ज हो जाए, तो खाने से पहले यवतिक्ता, थूहर, निशोथ, दंती और चिरबिल्व के पत्तों की सब्जी खिलाना लाभदायक होता है।
निसोथ कब्ज की समस्या में लाभदायक है
1 से 2 ग्राम निशोथ का चूर्ण लें, इसमें एक चौथाई भाग दालचीनी, तेजपत्ता और मरिच का चूर्ण मिला लें, इसे शर्करा और शहद के साथ सेवन करने से कब्ज की समस्या ठीक होती है।
निसोथ पेट में कीड़े होने पर फायदेमंद है
आप पेट में कीड़े होने पर निसोत के फायदे ले सकते हैं, 1 से 2 ग्राम त्रिवृतादि पेस्ट को छाछ के साथ सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं, बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
निसोथ आंतों के रोग में फायदेमंद है
रात में 2 से 3 ग्राम भूरे त्रिवृत् के चूर्ण को कलाकन्द के साथ सेवन करें, इससे सुबह पेट साफ हो जाता है और आंतों से जुड़े रोग में लाभ होता है।
निसोथ से बवासीर का इलाज होता है
- 20 मिली त्रिफला के काढ़ा में 2 ग्राम निशोथ का चूर्ण मिलाकर पीने से पेट साफ होता है, इससे गुदा से जुड़े रोग जैसे बवासीर का इलाज होता है।
- निशोथ के पत्ते की सब्जी को घी या तेल में भूनकर दही के साथ सेवन करें, इससे बवासीर का उपचार होता है।
- रोज त्रिफला के काढ़ा के साथ निशोथ चूर्ण का सेवन करें, इससे बवासीर का इलाज होता है।
- निशोत और दंती के पेस्ट का सेवन करने से गैस की समस्या से तो आराम मिलता ही है, साथ ही बवासीर का उपचार होता है।
निसोत से पीलिया का इलाज होता है
2 से 3 ग्राम निशोथ के चूर्ण को त्रिफला के काढ़ा के साथ सेवन करें, इससे पीलिया की बीमारी का इलाज होता है, आप इसे बराबर मात्रा में मिश्री के साथ भी सेवन कर सकते हैं।
निसोथ गठिया में फायेदमंद है
गठिया में निशोथ, विदारीकंद और गोक्षुर का काढ़ा बनाकर 10 से 20 मिली मात्रा में सेवन करें, इससे गठिया के उपचार में मदद मिलती है, अधिक लाभ के लिए आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लें।
निसोथ विसर्प रोग में फायदेमंद है
विसर्प रोग होने पर निसोत के औषधीय गुण से फायदा मिलता है, 1 से 2 ग्राम निशोथ चूर्ण को घी, दूध, अंगूर के रस के साथ पीने से विसर्प रोगी को लाभ मिलता है।
निसोथ फोड़ा के इलाज में लाभदायक है
आयुर्वेद के अनुसार कच्चा फोड़ा की अवस्था में निसोत के प्रयोग से फायदा मिलता है, फोड़ा होने पर निशोथ और 1 से 2 ग्राम हरीतकी के चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करें, इससे कच्चे फोड़े की समस्या में लाभ होता है।
निसोथ बुखार में फायदेमंद है
बुखार उतारने के लिए मधु, घी युक्त 1 से 2 ग्राम निशोथ के चूर्ण का सेवन करें, आप इसकी जगह पर दूध के साथ निशोथ चूर्ण का प्रयोग भी कर सकते हैं।
निसोथ कीड़ों के काटने पर फायदेमंद है
जहरीले कीटों के काटने पर बराबर मात्रा में चौलाई की जड़ और 1 से 2 ग्राम निशोथ का चूर्ण लें, इसमें घी मिलाकर पीना चाहिए, इससे कीटों के काटने का इलाज होता है।
निसोथ टीबी रोग का इलाज करता है
निसोत के फायदे से टीबी रोग में लाभ होता है, काली निशोथ के चूर्ण को शर्करा, मधु और घी या अंगूर रस, गम्भारी रस, विदारीकंद रस आदि के साथ दें, इससे टीबी की बीमारी का इलाज होता है।
निसोथ इंफ्लुएंजा में फायदेमंद है
पुष्य नक्षत्र में काली निशोथ की जड़ निकाल लें, इससे लाल रंग के धागे में बाँधकर रोगी को बाँधें, इससे इंफ्लुएंजा का इलाज होता है।
निसोथ रक्तपित्त में फायदेमंद है
रक्तपित्त (आंख-नाक-कान से खून निकलने पर) में निशोथ का चूर्ण 1 से 2 ग्राम लें, इसके साथ ही निसोत रस 5 से 10 मिली या काढ़ा 10 से 20 मिली में अधिक मात्रा में मधु और शर्करा मिलाकर सेवन करना चाहिए।
निसोथ चूहे के विष में फायदेमंद है
थूहर के दूध में पिसी हुई निशोथ और मंजिष्ठा के चूर्ण 1 से 2 ग्राम का सेवन करें, इससे चूहे के काटने पर लगने वाला विष या विष के कारण होने वाले नुकसान ठीक होते हैं।
निसोथ टाइफाइड बुखार में फायदेमंद है
- त्रिफला, त्रायमाण, अंगूर और कुटकी के काढ़ा 10 से 20 मिली में एक चौथाई भाग शर्करा और निशोथ का चूर्ण मिला लें, इसका सेवन करने से टाइफाइड बुखार का इलाज होता है।
- निशोथ के चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करने से टाइफाइड का उपचार होता है।
निसोथ के उपयोगी भाग
निसोथ के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता है :-
- जड़
- पत्ते
- छाल।
निसोथ का इस्तेमाल कैसे करें ?
निसोथ को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए :-
- जड़ का चूर्ण - 2 से 4 ग्राम
- काढ़ा -10 से 30 मिली
- रस - 5 से 10 ग्राम।
निसोथ से नुकसान
निसोथ के सेवन से ये नुकसान हो सकते हैं :-
त्रिवृत की जड़ पेट को साफ करती है और दस्त का कारण बन सकती है, इसलिए इसका उतना ही उपयोग करना चाहिए जितनी जरूरत हो, इसका प्रयोग चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
यहां निसोथ के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है, ताकि आप निसोथ के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए निसोथ का सेवन करने या निसोथ का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
निसोथ कहां पाया या उगाया जाता है ?
पूरे भारत वर्ष में 1000 मीटर की ऊँचाई तक पाई जाती है।
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