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प्रस्तुतकर्ता
Dinesh Chandra
को
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पाटला के फायदे
पाटला एक औषधीय वनस्पति है, आयुर्वेदिक ग्रन्थ चरक संहिता में पाटला के गुणों के बारे में विस्तार से बताया गया है, विशेषज्ञों के अनुसार पाटला के फूल बवासीर और कंजक्टीवाइटिस जैसी समस्याओं में बहुत उपयोगी हैं, इस लेख में हम आपको पाटला के फायदे, उपयोग और औषधीय गुणों के बारे में बता रहे हैं।
paatla ke fayde |
पाटला क्या है ?
यह 9 से 18 मी तक की ऊंचाई वाला मध्यम आकार का पेड़ होता है, आमतौर पर यह पेड़ आद्र स्थानों और पर्णपाती जंगलों में पाया जाता है, पाटला के फूलों का रंग लाल, सफ़ेद और पीला होता है, इन्हीं रंगों के आधार पर ही पाटला की तीन प्रजातियाँ होती हैं, ये फूल सेहत के लिए लाभदायक हैं, इन फूलों के अलावा पाटला की जड़ें और छाल भी कई रोगों के इलाज में इस्तेमाल की जाती हैं।
अन्य भाषाओं में पाटला के नाम
पाटला का वानस्पतिक नाम स्टीरिओस्पर्मम् चीलोनोऑडिस है, यह बिग्नोनिएसी कुल का पौधा है, आइये जानते हैं कि अन्य भाषाओं में इस पौधे को किन नामों से जाना जाता है।
- Hindi : पाढ़ल, पाडर, पारल, पडरिंगा
- Sanskrit : पाटलि, पाटला, अमोघा, मधुदूती, कृष्णवृन्ता, काचस्थाली, ताम्रपुष्पी, फलेरुहा, कुम्भी पुष्पी, अम्बुवासिनी
- Odia : बोरो, पाटुली
- Kannad : हुडै
- Gujrati : पाड़ल,
- तमिल : पडीरि
- Telugu : पटाली
- Bengali : पारुल गाछ
- Nepali : परैर
- Nagaland : इन्ग-नगे-चिन्ग
- Punjabi : पाढ़ल, पाडल
- Marathi : पाडल
- Malyalam : पाडल, पडियालु
- Mijoram : बोल्सेल, डैंग सिर
- English : रोज फ्लावर प्रैंग्रैन्ट |
पाटला के औषधीय गुण
- पाटला कषाय, तिक्त, कटु, उष्ण, गुरु, त्रिदोष-शामक, मुख्यत कफवात-शामक, सुंधित, विशद, हृद्य, अग्निदीपक, शोथहर, कण्डूघ्न तथा व्रणशोधक, दुर्गंध-नाशक, पित्तातिसार, शोफ, आध्मान, श्वास, छर्दि, सन्निपात तथा दाह-शामक है।
- यह अरुचि, श्वास, शोथ, रक्तदोष, छर्दि, हिक्का, अर्श, तृष्णा, आध्मान, रक्तदोष, अरोचक तथा रक्तपित्त-नाशक है।
- इसके पुष्प कषाय, मधुर, शीत तथा कफपित्त-शामक होते हैं।
- इसके फल कषाय, मधुर, तिक्त, शीत, गुरु, कण्ठ्य, वात-पित्तशामक, रक्तपित्त, हिक्का, पित्तातिसार तथा मूत्रकृच्छ्र-नाशक होते हैं।
- इसकी काण्डत्वक् व्रणशोधक, शोथहर, मेह, कुष्ठ, ज्वर, छर्दि तथा कण्डूनाशक है।
- इसकी मूल तिक्त, कषाय, उष्ण, वेदनाशामक, रक्तशोधक, क्षुधावर्धक, मूत्रल, अश्मरीहर, कफनिसारक, हृद्य, वाजीकर, शोथहर, विषाणुरोधी, ज्वरघ्न एवं बलकारक होती है।
- इसके पत्र व्रणरोपक होते हैं।
पाटला माइग्रेन में होने वाले सिरदर्द से आराम दिलाती है
अगर आप सिरदर्द से परेशान हैं, तो पाटला के उपयोग से सिरदर्द से आराम पा सकते हैं, इसके लिए पाटला के बीजों को पानी में घिसकर माथे पर लगाएं, इससे दर्द से आराम मिलता है।
पाटला हिचकी रोकने में लाभदायक है
अगर आप अक्सर हिचकी आने की समस्या से परेशान हैं, तो पाटला का उपयोग करे, इसके लिए पाटला के फल एवं फूल के चूर्ण 1 से 2 ग्राम को शहद के साथ सेवन करें, इसके सेवन से हिचकी रूक जाती है।
पाटला एसिडिटी दूर करता है
एसिडिटी होने के कई कारण हैं, कभी खराब खानपान से तो कभी खाली पेट खट्टी चीजें खा लेने से भी एसिडिटी हो जाती है, एसिडिटी दूर करने के लिए एलोपैथी दवाओं की बजाय घरेलू उपायों को अपनाना चाहिए, विशेषज्ञों के अनुसार पाटला छाल का शरबत बनाकर 10 से 15 मिली मात्रा में पीने से एसिडिटी में आराम मिलता है।
पाटला पथरी के इलाज में सहायक है
विशेषज्ञों का कहना है पाटला का उपयोग करना पथरी की समस्या में लाभदायक है, इसके लिए 60 मिग्रा पाटला-क्षार को भेड़ के मूत्र के साथ कुछ दिन तक नियमित सेवन करें, इससे पथरी टूट-टूट कर निकल जाती है।
पाटला मूत्र-मार्ग की बीमारियां दूर करता है
पेशाब करते समय दर्द और जलन होना, मूत्र मार्ग में होने वाली आम समस्याएं हैं, अगर आप इन समस्याओं से परेशान हैं, तो पाटला का उपयोग करें, इसके लिए चतुर्गुण जल में पाटला भस्म 65 मिग्रा घोलकर सात बार छान लें, इसमें तिल का तेल मिलाकर मात्रानुसार पीने से मूत्र मार्ग से संबधित बीमारियाँ नष्ट होती हैं, खुराक संबंधित अधिक जानकारी के लिए चिकित्सक से संपर्क करें।
पाटला वात से जुड़े रोगों को ठीक करता है
वात दोष के असंतुलित या प्रकुपित होने से भी कई तरह की बीमारियां होने लगती हैं, इन बीमारियों से बचाव और इनके इलाज के लिए पाटला के 10 से 20 मिली काढ़े में 500 मिग्रा सोंठ का चूर्ण मिलाकर पिएं।
पाटला त्वचा रोगों में उपयोगी है
त्वचा रोगों से पीड़ित मरीजों के लिए भी यह जड़ी बूटी काफी उपयोगी है, पाटला की छाल से सर्षप तेल को पकाकर, छानकर लगाने से त्वचा रोगों में लाभ मिलता है।
पाटला के उपयोगी भाग
विशेषज्ञों के अनुसार पाटला के पेड़ के निम्न हिस्से सेहत के लिए उपयोगी हैं।
- फल
- फूल
- छाल
- जड़
- पत्तियां |
पाटला का उपयोग कैसे करें ?
आप किसी बीमारी के इलाज में पाटला का उपयोग करना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें।
पाटला का पौधा कहां पाया या उगाया जाता है ?
भारत में पाटला का पौधा सामान्य तौर पर आर्द्र स्थानों और पर्णपाती वनों में 1200 मी की ऊँचाई पर पाया जाता है, इसके अलावा यह पौधा उप हिमालयी क्षेत्रों में भी लगभग 1500 मी की ऊँचाई तक पाया जाता है।
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