गवेधुका के फायदे | gavedhuka ke fayde

चांगेरी के फायदे | changeri ke fayde

चांगेरी के फायदे 

चांगेरी नाम से बहुत कम लोग अबगत होंगे, लेकिन अगर हम कहे कि दादी या नानी पेट संबंधी समस्याओं के लिए चांगेरी या तिनपतिया खिलाती थी, तो शायद आपको कुछ याद आयेगा, चांगेरी के पत्ते बहुत ही छोटे होते हैं, पर औषधि के दृष्टि से बहुत ही गुणकारी और पौष्टिक होते है, चांगेरी या तिनपतिया के फायदों के बारे में जानने से पहले चांगेरी के बारे में जानना ज़रूरी है।

changeri plant images, changeri ke fayde images, changeri images
changeri ke fayde


चांगेरी क्या है ? 

चांगेरी का वर्णन आयुर्वेद संहिताओं व निघण्टुओं में मिलता है, चरक-संहिता शाक-वर्ग व अम्लस्कन्ध में इसका उल्लेख किया गया है तथा इसका प्रयोग अतिसार व बवासीर आदि के उपचार के लिए किया जाता है, इसके अतिरिक्त सुश्रुत-संहिता के शाक वर्ग में भी इसका वर्णन किया गया है, इसके पत्ते अम्लिय के होते हैं, इसलिए इसे संस्कृत में अम्लपत्रिका कहा जाता है, इस पर पुष्प और फल वर्ष भर मिलते हैं, इसकी दो प्रजातियां होती हैं, छोटी चांगेरी और बड़ी चांगेरी, परन्तु मुख्यत छोटी चांगेरी का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।

बड़ी चांगेरी 

यह एक छोटा, कोमल, तनारहित, 5 से 15 सेमी ऊँचा, शाकीय पौधा है, इसके पत्ते तुलनामूलक बड़े, पत्ते का नाल लम्बा तथा तना लाल रंग का होता है, इसके फूल सफेद अथवा गुलाबी रंग के होते हैं, इसके फल अण्डाकार, पंचकोणीय, सीधे, 8 मिमी लम्बे तथा बीज संख्या में प्रत्येक कोश में 2 से 3 होते हैं।

छोटी चांगेरी

चांगेरी अम्लिय और स्वाद में थोड़ा कड़वी और कषाय होने के साथ इसकी तासीर गर्म होती है, यह कफवात, सूजन दूर करने वाली, पित्त बढ़ाने वाली, वेदना स्थापक, लेखन या खरोंचना, शराब का नशा छोड़वाने में मददगार, खाने की रूची बढ़ाये, दीपन, लीवर को सही तरह से काम करवाने में सहायक और हृदय के लिये स्वास्थ्यवर्द्धक होती है, यह विटामिन C की अच्छी स्रोत है।

चांगेरी दर्दनिवारक, पाचक, भूख बढ़ाने वाली, लीवर को सेहतमंद बनाने वाली, मूत्रल, बुखार कम करने में सहायक, जीवाणुरोधी, पूयरोधी, आर्तवजनक तथा शीतल होती है।

चांगेरी हृदय संबंधी समस्या, रक्तस्राव, कष्टार्त्तव, अनार्त्तव तथा लीवर रोग नाशक होती है।

इसके पञ्चाङ्गसार में अल्सर को ठीक करने की क्षमता होती है।

बड़ी चांगेरी

यह शीतल, मूत्रल तथा शीतादरोधी होती है।

अन्य भाषाओं में चांगेरी के नाम 

चांगेरी का वानास्पतिक नाम ऑक्जैलिस कोर्नीक्युलेटा होता है, चांगेरी ऑक्जैलिडेसी कुल का है, चांगेरी को अंग्रेजी में इण्डियन सोर्रेल कहते हैं, भारत के विभिन्न प्रांतों में चांगेरी भिन्न-भिन्न नामों से जानी जाती है।

  • Sanskrit - चांगेरी, दन्तशठा, अम्बष्ठा, अम्ललोणिका, कुशली, अम्लपत्रक
  • Hindi - चांगेरी, तिनपतिया, अंबिलोना, चुकालिपति
  • Assamese - चेन्गेरीटेन्गा 
  • Urdu - चाङ्गेरी, तिन्पतिया 
  • Kannada - सिबर्गी, पुल्लम-पुरचई 
  • Gujrati - आम्बोती, अम्बोली 
  • Telugu - पुलि चिंता 
  • Tamil - पुलियारी, पुलीयारी 
  • Bengali - अमरूल, उमूलबेट 
  • Nepali - चारीअमीलो 
  • Panjabi - खट्ठी बूटी, अमरुल, सुरचि, खट्टामीठा
  • Marathi - आंबुटी, भिनसर्पटी  
  • Malayalam - पोलीयाराला 
  • English - सौवर वीड, सौवर ग्रास, येलो सोररेल, इण्डियन सोरेल, क्रीपींग ओक्जैलिस 
  • Arbi - हेम्डा, होमादमद | 

चांगेरी के फायदे 

चांगेरी के स्वास्थ्यवर्द्धक और औषधिमूलक गुण अनगिनत हैं, लेकिन यह किन-किन बीमारियों के लिए और कैसे काम करती है, इसके बारे में आगे विस्तार से जानते हैं :-

चांगेरी पेट दर्द में फायदेमंद है  

आजकल के रफ्तार वाली जिंदगी में असंतुलित खान-पान रोजमर्रा की समस्या बन गई है, इस जीवनशैली का सबसे पहला असर पेट पर पड़ता है, चांगेरी का घरेलू इलाज पेट संबंधी समस्याओं के लिए बहुत ही लाभकारी होता है, 20 से 40 मिली चांगेरी के पत्ते के काढ़े में 60 मिग्रा भुनी हुई हींग मिलाकर, सुबह शाम पिलाने से पेट दर्द से जल्दी आराम मिलता है।

चांगेरी ग्रहणी या इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम में फायदेमंद है 

अगर किसी बीमारी के कारण ग्रहणी की शिकायत बार-बार हो रही है, तो चांगेरी का औषधीय गुण इससे राहत दिलाने में मदद करती है, चौथाई भाग पिप्पल्यादि गण की औषधियों के पेस्ट, चार गुना दही तथा चांगेरी रस और एक भाग घी से अच्छी तरह से पकाने के बाद मात्रानुसार सेवन करना चाहिए।

चांगेरी अतिसार में फायदेमंद है 

अगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का नाम ही नहीं ले रहा है, तो चांगेरी का घरेलू नुस्ख़ा बहुत काम आता है, आयुर्वेद के अनुसार चांगेरी में ग्राही का गुण होता है, जो दस्त या पेचिश से राहत दिलाने में बहुत लाभकारी है, आइये जानते हैं दस्त या पेचिश की समस्या होने पर चांगेरी का इस्तेमाल कैसे करें :-

  • 2 से 5 मिली चांगेरी रस को दिन में दो बार पीने से दस्त और अतिसार में लाभ होता है।
  • चांगेरी-चूर्ण में समान मात्रा में सोंठ तथा इन्द्रयव चूर्ण मिलाकर, चावलों के पानी के साथ पीने को दें, जब चूर्ण पच जाए तो छाछ, चांगेरी तथा दाड़िम का रस डालकर पकाई गयी यवागू सेवन कराएं, इससे अतिसार में लाभ होता है।
  • चांगेरी के 4 से 5 पत्तों को उबालकर मट्ठे या दूध के साथ देने से पुरानी प्रवाहिका में बहुत लाभ होता है।
  • चांगेरी, इमली तथा दुग्धिका के पत्ते के रस से बने खंड जूस में दही की मलाई, घी तथा अनार का रस मिलाकर सेवन करने से अतिसार से राहत मिलती है।
  • चांगेरी पत्तों को तक्र या दूध में उबालकर दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से जीर्ण अतिसार में लाभ होता है।
  • सुनिष्णक तथा चांगेरी घृत का मात्रानुसार सेवन करने से जठराग्नि की वृद्धि होकर अर्श, अतिसार, प्रवाहिका, गुदभ्रंश, मूत्रावरोध, मूढ़वात, मंदाग्नि तथा अरुचि आदि रोगों का शमन होता है।

चांगेरी विसूचिका या हैजा में फायदेमंद है 

हैजा संक्रामक रोग होता है और इस बीमारी से शरीर में जल की मात्रा कम होने का खतरा होता है, चांगेरी का इस तरह से सेवन करने पर दस्त का होना रूक जाता है, 5 से 10 मिली चांगेरी रस में 500 मिग्रा काली मिर्च चूर्ण मिलाकर खिलाने से विसूचिका या हैजा में लाभ होता है।

चांगेरी अपच से राहत दिलाता है 

अग्निमांद्य यानि कमजोर पाचन शक्ति और उल्टी होने जैसी इच्छा में चांगेरी को देने से जल्दी आराम मिलता है, चांगेरी पत्ते में समान मात्रा में पुदीना-पत्ता मिलाकर पीसकर थोड़ा काली मिर्च व नमक मिलाकर खाने से जल्दी हजम होता है।

चांगेरी मंदाग्नि या बदहजमी में फायदेमंद है 

अगर किसी बीमारी के कारण या खान-पान की गड़बड़ी के कारण बार-बार बदहजमी की समस्या से जुझ रहे हैं, तो चांगेरी का घरेलू इलाज बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है, चांगेरी के 8 से 10 ताजे पत्तों की चटनी बनाकर देने से पाचन शक्ति बढ़ती है।

चांगेरी अर्श या पाइल्स मे़ं फायदेमंद है 

जो लोग ज्यादा मसालेदार और गरिष्ठ भोजन खाना पसंद करते हैं, उनको कब्ज और बवासीर होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है, विशेषज्ञों का कहना है कि चांगेरी में अग्निवर्धक गुण होते हैं अर्थात यह पाचक अग्नि को बढ़ाता है, जिससे पाचन तंत्र दुरुस्त होता है, आइये जानते हैं बवासीर के इलाज में चांगेरी का इस्तेमाल कैसे करें :- 

  • निशोथ, दंती, पलाश, चांगेरी तथा चित्रक के पत्तों के शाक को घी या तेल में भूनकर दही मिलाकर सेवन करने से शुष्कार्श में लाभ होता है।
  • 5 से 10 मिली चांगेरी-पञ्चाङ्ग-स्वरस का सेवन करने से अर्श में लाभ होता है,
  • चांगेरी-पञ्चाङ्ग को घी में सेंक कर, शाक बनाकर दही के साथ सेवन करने से अर्श में लाभ होता है।
  • चांगेरी, निशोथ, दन्ती, पलाश, चित्रक इन सबकी ताजी पत्तियों को समान मात्रा में लेकर घी में भूनकर, इस शाक में दही मिलाकर खाने से शुष्कार्श में लाभ होता है।

चांगेरी मूत्राशय में सूजन से राहत दिलाता है

मूत्राशय का सूजन होने पर चांगेरी का सेवन इस तरह से करने पर जल्दी आराम मिलता है, चांगेरी के पत्तों को शक्कर के साथ पीसकर शर्बत बनाकर पीने से मूत्राशय में सूजन, प्यास तथा ज्वर या बुखार से जल्दी आराम मिलता है।

चांगेरी चर्मकील या कॉर्न में फायदेमंद है 

कॉर्न यानि पैर के तलवे में गांठ जैसा बन जाता है, इसको ठीक करने में चांगेरी का इस तरह से प्रयोग करने पर जल्दी आराम मिलता है, 5 से 10 मिली चांगेरी के ताजे रस में समान मात्रा में पलाण्डु रस मिलाकर लगाने से चर्मकील जल्दी ठीक होती है।

चांगेरी रोमकूप में सूजन से राहत दिलाता है 

रोमकूप में सूजन होने पर एक तो दर्द होता है, ऊपर से रोमकूप बंद हो जाने से घाव भी हो सकता है, इससे राहत पाने के लिए चांगेरी पत्तों को पीसकर रोमकूप शोथ पर लगाने से रोमकूप शोथ कम हो जाता है।

चांगेरी चर्म रोग में फायदेमंद है 

आजकल के तरह-तरह के नए-नए कॉज़्मेटिक प्रोडक्ट के दुनिया में त्वचा रोग होने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है, चांगेरी के द्वारा बनाये गए घरेलू उपाय चर्म या त्वचा रोगों से निजात दिलाने में मदद करते हैं, पञ्चाङ्ग रस में काली मरिच चूर्ण तथा घी मिलाकर सेवन करने से पित्त के कारण त्वचा संबंधी जो रोग होता है, उसमें लाभ होता है।

चांगेरी व्रणशोथ या अल्सर के सूजन में फायदेमंद है 

अगर किसी कारण अल्सर या घाव हो गया है और सूखने का नाम नहीं ले रहा है, तो चांगेरी का इस्तेमाल ज़रूर करें, घाव के दर्द से आराम दिलाने में चांगेरी बहुत फायदेमंद है, चांगेरी-पञ्चाङ्ग को पीसकर व्रणशोथ पर लगाने से दर्द और जलन दोनों कम होता है।

चांगेरी पागलपन या उन्माद में फायदेमंद है 

मस्तिष्क के इस विकार को बेहतर अवस्था में लाने में चांगेरी बहुत मदद करती है, चांगेरी-स्वरस, कांजी तथा गुड़ सबको समान मात्रा में लेकर अच्छी तरह मथकर तीन दिन तक पिलाने से उन्माद में लाभ होता है।

चांगेरी रक्तस्राव या ब्लीडिंग में लाभकारी है 

अगर किसी चोट या घाव के कारण ब्लीडिंग हो रही है या मासिक धर्म के कारण अत्यधिक ब्लीडिंग हो रही है, तो चांगेरी का प्रयोग फायदेमंद साबित हो सकता है, 5 से 10 मिली पञ्चाङ्ग-रस को दिन में दो बार सेवन करने से रक्तस्राव कम होता है।

चांगेरी सूजन के जलन से राहत दिलाता है 

अगर शरीर के किसी अंग में सूजन के कारण दर्द और जलन अनुभव हो रहा है, तो चांगेरी के 10 से 15 पत्तों को पानी के साथ पीसकर पोटली की तरह बनाकर सूजन पर बांधने से सूजन के कारण उत्पन्न जलन से राहत मिलती है।

चांगेरी शीतपित्त में लाभकारी है 

शरीर पर जो लाल-लाल दाने निकलते हैं, वहां चांगेरी-पत्ते के रस में काली मिर्च-चूर्ण तथा घी मिलाकर शरीर पर मालिश करने से शीतपित्त में लाभ होता है।

चांगेरी धतूरे का नशा कम करने में फायदेमंद है 

20 से 40 मिली चांगेरी के पत्तो का रस पिलाने से धतूरे का नशा उतरता है।

चांगेरी सिरदर्द में फायदेमंद है 

अगर आपको काम के तनाव और भागदौड़ भरी जिंदगी के वजह से सिरदर्द की शिकायत रहती है, तो चांगेरी का घरेलू उपाय बहुत लाभकारी सिद्ध होगा, चांगेरी के रस में समभाग प्याज का रस मिलाकर सिर पर लेप करने से शरीर में पित्त के बढ़ जाने के कारण सिरदर्द होने पर उससे आराम मिलता है।

चांगेरी नेत्ररोग से राहत दिलाता है 

आँख संबंधी बीमारियों में बहुत कुछ आता है, जैसे- सामान्य आँख में दर्द, रतौंधी, आँख लाल होना, आँख जलना आदि, इन सब तरह के समस्याओं में चांगेरी से बना घरेलू नुस्ख़ा बहुत काम आता है, चांगेरी पत्ते के रस को आँखों में लगाने से आँखों में दर्द, जलन आदि आँखों के रोगों से राहत मिलने में आसानी होती है।

चांगेरी टिनीटस में लाभकारी है 

कर्णनाद में कान में झुनझुना या घंटी जैसी आवाज बजती है, ऐसे तकलीफ से राहत पाने में चांगेरी का औषधीय गुण बहुत फायदेमंद होता है, 1 से 2 बूंद चांगेरी-पञ्चाङ्ग-रस को कान में डालने से कर्णनाद, कान में दर्द, सूजन आदि कान संबंधी बीमारियों में लाभ होता है।

चांगेरी मसूड़ों के रोग से राहत दिलाता है 

चंगेरी में कषाय रस होता है, जो दांतों और मसूड़ों को आराम देता है, इसी गुण के कारण चांगेरी को टूथपेस्ट के घटक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, चांगेरी के पत्तों के रस से गरारे करें, इससे मसूड़ों के दर्द और सूजन से आराम मिलता है, साथ ही मसूड़ों से होने वाली ब्लीडिंग को रोकने में भी सहायक है |   

चांगेरी मुँह की बदबू से राहत दिलाता है 

अगर किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के वजह से या किसी बीमारी के कारण मुँह की बदबू की परेशानी से ग्रस्त हैं, तो चांगेरी के 2 से 3 पत्तों को चबाने से मुँह की दुर्गंध या बदबू दूर होती है, इसके लिये चांगेरी के पत्तों को सुखाकर, चूर्ण कर, मंजन करने से दांत संबंधी बीमारियों से राहत मिलती है।

चांगेरी के उपयोगी भाग

आयुर्वेद में चांगेरी के पञ्चाङ्ग एवं पत्र का इस्तेमाल सबसे ज्यादा औषधि के रुप में होता है।

चांगेरी का इस्तेमाल कैसे किया जाता है ? 

बीमारी के लिए चांगेरी के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है, अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए चांगेरी का उपयोग कर रहे हैं, तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें, चिकित्सक के अनुसार- 20 से 40 मिली पत्ते का काढ़ा, 5 से 10 मिली रस, 5 से 10 ग्राम घी का सेवन कर सकते हैं।

चांगेरी कहां पाया या उगाया जाता है ? 

चांगेरी भारतवर्ष के समस्त उष्ण प्रदेशों में तथा हिमालय में 2000 मी की ऊंचाई तक होती है।

पाषाणभेद के फायदे | pashanbhed ke fayde

  1. changeri plant uses in hindi
  2. changeri ke fayde
  3. changeri ghas
  4. changeri leaves
  5. changeri easy ayurveda
  6. changeri ka paudha
  7. changeri grass
  8. changeri plant
  9. changeri ayurveda
  10. changeri benefits
  11. changeri buti
  12. changeri banana
  13. changeri ghrita buy online
  14. changeri definition
  15. changeri meaning english
  16. changeri leaves in english
  17. changeri ghas ke fayde
  18. changeri ghrita ke fayde in hindi
  19. changeri ghrita patanjali
  20. changeri ghrita kottakkal
  21. changeri ghrita price
  22. changeri ghas image
  23. changeri herb
  24. changeri hindi word meaning
  25. changeri in hindi
  26. changeri kya hai in hindi
  27. changeri plant in hindi
  28. changeri leaves in hindi
  29. changeri ghas kaisi hoti hai
  30. changeri in marathi
  31. changeri in malayalam
  32. changeri in english meaning
  33. changeri plant images
  34. changeri leaves in telugu
  35. changeri juice
  36. changeri juice benefits
  37. changeri jadi buti
  38. changeri juice price
  39. changeri ke patte
  40. changeri karnataka
  41. changeri ka podha
  42. changeri leaves benefits
  43. changeri leaves in marathi
  44. changeri mirzapur bihar
  45. changer means in urdu
  46. changeri meaning of hindi word
  47. changeri ghrita online
  48. use of changeri
  49. changeri plant uses
  50. changeri powder
  51. changeri plant in english
  52. changeri paudha
  53. changeri plant in gujarati
  54. changeri plant wikipedia
  55. changeri seeds
  56. changeri leaves in tamil
  57. changeri uses
  58. changeri ghrita uses
  59. changeri ghrita uses in hindi
  60. changeri part used





टिप्पणियाँ