गवेधुका के फायदे | gavedhuka ke fayde

पिठवन के फायदे | pithwan ke fayde

पिठवन के फायदे 

पिठवन के पौधे आयुर्वेद में औषधी के रूप में काम आते हैं, पिठवन का पौधा किन-किन बीमारियों में कैसे काम करता है, इसके लिए आपको पिठवन के बारे में विस्तार से जानने की जरूरत है, चलिये आगे पिठवन के बारे में जानते हैं, कि इसके औषधीय गुण और फायदे क्या है।

pithwan plant images, pithwan tree images, pithwan images
pithwan ke fayde

पिठवन क्या है ? 

पिठवन के अतिरिक्त पिठवन की तथा युरेरिआ रुफेसेंस आदि जातियां पाई जाती हैं, दोनों के गुणधर्म समान हैं तथा दोनों ही प्रकार के पिठवन दशमूल में लघुंचमूल के अंग हैं, इन पर वर्षाकाल में फूल तथा शीतकाल में फली आती है, अथर्ववेद में पृश्निपर्णी को जीवाणुनाशक, कमजोरी दूर करने वाला तथा मोटापा को कम करने वाला माना जाता है, बृहत्रयी में रक्तार्श या खूनी बवासीर, वातविकार या गठिया के इलाज में मददगार होता है, चरक-संहिता में सूजन को कम करने वाला माना जाता है।

अन्य भाषाओं में पिठवन के नाम 

पिठवन का वानास्पतिक नाम युरेरिआ पिक्टा है, इसका कुल फैबेसी है और इसको अंग्रेजी में डाब्रा कहते हैं, चलिये अब जानते हैं कि पिठवन और किन-किन नामों से जाना जाता है। 

  • Sanskrit - पृश्निपर्णी, शृंगालविन्ना, पृथक्पर्णी, चित्रपर्णी, अहिपर्णी, कोष्टुविन्ना, सिंहपुच्छी, धावनी, तन्वी, क्रोष्टुकपुच्छिका, त्रिपर्णी, पूर्णपर्णी, कलसी, सिंहलांगुली, पिष्टपर्णी, कोष्टुकमेखला, दीर्घा, अतिगुहा, सिंहपुच्छिका, दीर्घपत्रा, चक्रपर्णी, शीर्णमाला, मेखला, लांगुलिका, ब्रह्मपर्णी, दीर्घपर्णी, सिंहपुष्पी, विष्णुपर्णी, गुहा, उपचित्रा
  • Hindi - पिठवन, शंकरजटा, डाब्रा 
  • Odia - सोन्कोरोजोटा, ईश्वरोजोटो  
  • Urdu - पिठवा  
  • Kannada - मुरेले होन्ने, ओन्डेल होन्ने  
  • Gujarati - पीठवण, पीलो समेरवो  
  • Tamil - ओरिपाई, पालाताई 
  • Telugu - कोलकुपोन्ना  
  • Punjabi - देतेदर्णी  
  • Bengali - शंकरजटा, सालपानी  
  • Marathi - पृष्ठनपर्णी, पिठवण  
  • Malyalam - प्रुष्नपर्णी, शंकरजटा।

पिठवन के औषधीय गुण 

पिठवन के फायदों के बारे में जानने से पहले उसके औषधीय गुणों के बारे में जान लेना सबसे जरूरी होता है, पिठवन वात-पित्त-कफ तीनों दोषो को हरने वाला, वीर्य को बढ़ाने वाला, गर्म, मधुर और बुखार के जलन और दस्त से खून निकलने, प्यास तथा वमन यानि उल्टी के इलाज में मददगार होता है, पिठवन रसायन, बलकारक व स्तम्भक होता है।

इसके अलावा बुखार, प्रतिश्याय या सर्दी-जुकाम, कफ रोग एवं दुर्बलता को दूर करने के लिए प्रयुक्त होती है, पृश्निपर्णी उल्टी और बुखार के इलाज में फायदेमंद होती है, यह सांस संबंधी समस्या, रक्तगत वात, रक्तार्श या खूनी बवासीर, हड्डियों के टूटने एवं आँख संबंधी समस्या के इलाज में फायदेमंद होती है।

पिठवन के फायदे और उपयोग  

पिठवन में पौष्टिकारक गुण होता है, उतना ही औषधी के रूप में कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद होते है, चलिये इसके बारे में आगे जानते हैं :-

पिठवन सर्दी-जुकाम से राहत दिलाता है  

अगर आप हमेशा सर्दी-जुकाम से परेशान रहते हैं, तो पिठवन की १० ग्राम जड़ को ४०० मिली पानी में पकाकर चतुर्थांश शेष का काढ़ा बनाकर और काढ़े में मिश्री मिलाकर पिलाने से प्रतिश्याय यानि सर्दी-जुकाम में लाभ होता है।

पिठवन आँख के रोगों के इलाज में फायदेमंद है 

ताम्र पत्ते में पृश्निपर्णी जड़, सेंधानमक तथा मरिच चूर्ण मिला कर काञ्जी से पीस कर आँखों में काजल की तरह लगाने से पिल्ल रोग से आराम मिलता है।

पिठवन रक्तातिसार या दस्त से खून आना रोकने में लाभकारी है 

अगर किसी कारणवश दस्त से खून आना बंद नहीं हो रहा है, तो बकरी के दूध में आधा-भाग जल मिला कर समान मात्रा में सुगन्धबाला, नीलकमल, सोंठ तथा पृश्निपर्णी मिलाकर सिद्ध कर १० से २० मिली मात्रा में पीने से रक्तातिसार से आराम मिलता है।

पिठवन रक्तार्श या खूनी बवासीर में फायदेमंद है 

रक्तार्श और शराब पीने की अधिकता से उत्पन्न शारीरिक समस्या में पिठवन और खिरैटी का काढ़ा बनाकर १० से २० मिली मात्रा में पीने से अत्यन्त लाभ होता है, इसके अलावा बला की जड़ तथा पृश्निपर्णी के काढ़े से बना धान के लावे की पेया को पीने से बवासीर में होने वाले रक्तस्राव से जल्द राहत मिलती है।

पिठवन भगन्दर के इलाज में फायदेमंद है 

अगर भगन्दर या फिस्चुला के कष्ट में कोई भी उपचार काम नहीं आ रहा है, तो पिठवन से इस तरह से इलाज करने पर जल्दी आराम मिल सकता है :-

  • पिठवन के ८ से १० पत्तों को पीसकर लेप करने से भगन्दर में लाभ होता है।
  • १० मिली पिठवन पत्ते के रस का नियमित रूप से कुछ दिनों तक सेवन करने से भगन्दर रोग में लाभ होता है।
  • पिठवन के पत्तों में थोड़ा कत्था मिलाकर, पीसकर लेप करने से या कत्था तथा काली मिर्च समान मात्रा में मिलाकर, पीसकर पिलाने से भगन्दर में लाभ होता है।

पिठवन प्लीहावृद्धि या स्प्लीन के बढ़ जाने पर फायदेमंद है 

पिठवन का औषधीय गुण स्प्लीन के बढ़ जाने पर उसको सामान्य अवस्था में लाने में बहुत मदद करता है, इसके लिए पिठवन का सेवन इस तरह से करें :-

  • १० से २० मिली पिठवन पत्ता तथा जड़ के रस को पिलाने से प्लीहा विकारों में लाभ होता है।
  • पृश्निपर्णी के पञ्चाङ्ग को मोटा-मोटा कूटकर छाया में सुखाकर रखें, सुबह शाम १० ग्राम की मात्रा में लेकर ४०० मिली पानी में पकाएं, जब १०० मिली काढ़ा शेष रहे तब छानकर पिएं, इससे प्लीहावृद्धि, जलोदर यकृत् व उदर सम्बन्धित रोगों में लाभ होता है।

पिठवन सुखप्रसव में लाभकारी है 

पिठवन की जड़ों को पीसकर, इसका लेप नाभि, वस्ति और योनि पर करने से बच्चा सुख से उत्पन्न हो जाता है, बच्चा होते ही लेप को धो दें।

पिठवन हड्डियों के टूटने पर लाभकारी है 

५ ग्राम पिठवन मूल के चूर्ण में २ ग्राम हल्दी चूर्ण मिलाकर २१ दिन तक सेवन करने से लाभ होता है।

पिठवन प्रबल वातरक्त या गठिया से राहत दिलाता है  

२०० मिली बकरी के दूध में ५ ग्राम पिठवन मूल को डालकर, पकाकर, छानकर इसमें मधु एवं शर्करा मिलाकर पीने से वातरक्त या गठिया के दर्द से जल्दी आराम मिलता है।

पिठवन घाव को ठीक करने में लाभकारी है 

पृश्निपर्णी, केवाँच बीज, हल्दी, दारुहल्दी, चमेली, मिश्री तथा काकोल्यादि गण की औषधियों से पकाये हुए घी को व्रण पर लगाने से तथा खाने से व्रण या घाव जल्दी ठीक हो जाता है।

पिठवन कफजन्य मदात्यय में फायदेमंद है 

बला और पृश्निपर्णी का काढ़ा बनाकर १० से २० मिली मात्रा में सेवन करने से मदात्ययजन्य तृष्णा शराब पीने के बाद लगने वाली अत्यधिक प्यास से आराम मिलता है।

पिठवन रक्तपित्त से आराम दिलाता है 

मसूर तथा पृश्निपर्णी के काढ़े से बने यवागु या जूस का सेवन करने से रक्तपित्त के इलाज में लाभ मिलता है।

पिठवन बुखार के कष्ट से आराम दिलाता है 

अच्छी तरह से फूले फले पिठवन के पौधो की जड़ें को लाल धागे में बांधकर, मस्तक पर धारण करने से बुखार के कष्ट से जल्दी आराम मिलता है।

पिठवन अतिसार के इलाज में फायदेमंद है 

समान मात्रा में शालपर्णी तथा पृश्निपर्णी को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें, १० से २० मिली काढ़े में मधु मिला कर मात्रानुसार सेवन कराने से अतिसार या दस्त से आराम मिलता है।

पिठवन विष के असर को कम करने में फायदेमंद है 

१० मिली पिठवन पञ्चाङ्ग के रस में शक्कर मिलाकर देने से वत्सनाभ के विष में लाभ होता है।

पिठवन के उपयोगी भाग 

आयुर्वेद के अनुसार पिठवन का औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है :-
  • पत्ता
  • जड़
  • फलियाँ  
  • पञ्चाङ्ग।

पिठवन का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए ?

यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए पिठवन का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें, चिकित्सक के सलाह के अनुसार ५० से १०० मिली काढ़ा ले सकते हैं।

पिठवन कहां पाया या उगाया जाता है ? 

पिठवन के पौधे पूरे भारत की ऊसर भूमि तथा जंगली प्रदेशों में, लगभग २००० मी की ऊंचाई तक नैसर्गिक रूप से उत्पन्न होते हैं।

मौलसिरी के फायदे | maulsiri ke fayde

  1. pithwan ke fayde bataye
  2. pithwan ke fayde batao
  3. pithwan ke fayde in marathi
  4. pithwan ke fayde for eyes
  5. pithwan phool ke fayde bataye
  6. pithwan lagane ke fayde bataye
  7. pithwan lagane ke fayde bataen
  8. pithwan ke fayde chehre per
  9. pithwan ke chilke ke fayde
  10. desi pithwan ke fayde
  11. pithwan ke fayde for eyes in hindi
  12. pithwan ke fayde for face in hindi
  13. pithwan ke fayde for lips
  14. pithwan ful ke fayde
  15. pithwan ke labh
  16. pithwan ke fayde hindi
  17. pithwan ke fayde hindi mein
  18. pithwan ke phool ke fayde hindi me
  19. pithwan ke kya fayde hain
  20. pithwan ke fayde in hindi
  21. pithwan ke phool ke fayde in urdu
  22. pithwan ke fayde kya hai
  23. pithwan ke kya fayde hote hain
  24. pithwan khane ke fayde
  25. pithwan khane ke fayde in hindi
  26. pithwan ke phool ke kya fayde hain
  27. pithwan ke phool ke fayde
  28. pithwan ke phool khane ke fayde
  29. pithwan ke phool ke fayde in hindi
  30. pithwan ke ped ke fayde
  31. pithwan ke phoolon ke fayde
  32. pithwan ke fayde aankhon ke liye
  33. pithwan lagane ke fayde chehre per
  34. pithwan ke fayde hindi me
  35. pithwan ke fayde video mein
  36. pregnancy me pithwan ke fayde
  37. pithwan oil ke fayde
  38. pithwan ke phool fayde
  39. pithwan patti ke fayde
  40. pithwan phool khane ke fayde
  41. pithwan ke fayde skin ke liye
  42. pithwan tree in hindi
  43. pithwan tree images
  44. pithwan tree in marathi
  45. pithwan tree in english
  46. pithwan tree benefits
  47. pithwan plant
  48. pithwan flower
  49. pithwan ka tree




टिप्पणियाँ