गवेधुका के फायदे | gavedhuka ke fayde

मौलसिरी के फायदे | maulsiri ke fayde

मौलसिरी के फायदे 

मौलसिरी फूल का नाम लेते ही उसके सुंगध से दिल और मन दोनों सुगंधित हो जाता है, लेकिन इसके आयुर्वेदिक गुणों के बारे में शायद ही लोगों को पता है, कि यह कितने बीमारियों के इलाज में काम आता है, मौलसिरी दांत और पेट संबंधी समस्याओं के लिए फायदेमंद माना जाता है।

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मौलसिरी क्या है ? 

मौलसिरी फूल की एक विशेष बात यह है, कि फूलों के सूख जाने पर ही उसकी सुगंध नहीं जाती है, बकुल का फूल हर जगह मिलता है, इसका पेड़ १२ से १५ मीटर तक ऊँचा, सीधा, बहुशाखित, छायादार, सदाहरित होता है, इसके फूल छोटे, पीले, सफेद रंग के, ताराकार, सुगन्धित, लगभग २.५ से.मी. व्यास के होते हैं।

अन्य भाषाओं में मौलसिरी के नाम 

मौलसिरी का वानास्पतिक नाम मिमुसोप्स एलेन्गी है, इसका कुल सैपौटेसी है और इसको अंग्रेजी में बुलेट वुड ट्री कहते हैं। 

  • Sanskrit - बकुल, मधुगन्धि, चिरपुष्प, स्थिरपुष्प
  • Hindi - बकुल, मौलसीरी, मौलसिरी, मौलश्री, चिरपुष्प, स्थिरपुष्प 
  • Urdu - किराकुली, मुलसारी  
  • Odia - बोकुलो, बौला, बोउलो  
  • Konkani - वोनवोल  
  • Kannada - पगडेमारा, बकुला  
  • Gujarati - बरसोली, बोलसारी  
  • Tamil - मगीलम, इलांची  
  • Telugu - पोगडा, पोगड  
  • Bengali - बकुल  
  • Punjabi - मौलसारी  
  • Malyalam - इन्नी, एलन्नी  
  • Marathi - ओवल्ली, बकुल।  
  • English - स्पेनिश चेरी, टेनजोंग ट्री  
  • Persian - मौलसिरि | 

मौलसिरी के औषधीय गुण 

मौलसिरी के फायदो के बारे में जानने के लिए, सबसे पहले उसके औषधीय गुणों के बारे में जानना जरूरी होता है, तभी इलाज के बारे में सही ज्ञान होगा।

मौलसिरी प्रकृति से पित्त-कफ से आराम दिलाने वाला, स्तम्भक, कृमि को निकालने में मददगार, गर्भाशय की शिथिलता, सूजन एवं योनिस्राव को दूर करता है, इसके अलावा वस्ति एवं मूत्र मार्ग के स्राव और सूजन को कम करता है, मौलसिरी के फूल हृदय और मेध्य के लिए फायदेमंद होते हैं, फल तथा छाल पौष्टिक, रक्त-स्तम्भक, बुखार, विष और कुष्ठ के कष्ट को कम करने तथा दांतों के लिए विशेष लाभकारी होता है।

यह स्तम्भक, ग्राही, शीतल, कृमि के इलाज में मददगार, बलकारक, बुखार के कष्ट, सिरदर्द, मस्तिष्क की दुर्बलता, पूयदंत, दांत की दुर्बलता, अतिसार या दस्त, प्रवाहिका या पेचिश, कृमि, रक्तप्रदर, श्वेतप्रदर, पूयमेह तथा वस्ति या ब्लाडर के सूजन को कम करने में लाभप्रद होता है।

मौलसिरी के फायदे और उपयोग  

मौलसिरी की मनमोहक सुगंध के अलावा यह किन-किन बीमारियों के लिए औषधी के रूप में काम करती है, इसके बारे में जानने के लिए आगे विस्तार से जानते हैं।

मौलसिरी सिरदर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद है 

अगर आपको थकान या तनाव के कारण सिर में हमेशा दर्द होने की शिकायत रहती है, तो बकुल के सूखे फल के चूर्ण को नाक से लेने से सिरदर्द से आराम मिलता है।

मौलसिरी दांत संबंधी समस्याओं के इलाज में फायदेमंद है 

  • दांत संबंधी विभिन्न समस्याओं जैसे कि असमय दांत का हिलना, चलदंत रोग, दांत दर्द से राहत दिलाने में मौलसिरी का इस तरह से इस्तेमाल करने पर राहत मिलता है और दांतों को मजबूती मिलती है | 
  • नियमित रूप से बकुल छाल के काढ़े का गण्डूष व बीज चूर्ण को चबा कर मुख में रखने से स्थान से हट जाने की समस्या तथा हिलते हुए दाँत भी दृढ़ हो जाते हैं।
  • बकुल मूल के छाल का पेस्ट बना लें, उसको सुबह दूध के साथ तीन दिन तक सेवन करने से चलदंत में लाभ होता है।
  • बकुल फल के चौथाई भाग खदिर-सार तथा आठवाँ भाग इलायची चूर्ण मिलाकर, सूक्ष्म चूर्ण कर, दाँतों का मर्दन करने से चलदंत रोग में शीघ्र लाभ होता है।
  • बकुल चूर्ण से दांतों का मर्दन करने से दंतरोग, दंतमूलक्षय, चलदंत आदि व्याधियों में लाभ होता है।
  • बकुल के १ से २ फलों को नियमित रूप से चबाने से भी दांत मजबूत हो जाते हैं।
  • बकुल छाल चूर्ण का मंजन करने से दांत चट्टान की तरह मजबूत हो जाते हैं।
  • मौलसिरी छाल के १०० मिली काढ़े में २ ग्राम पीपल, १० ग्राम शहद और ५ ग्राम घी मिलाकर गरारा करने से दांतों की वेदना का शमन होता है।
  • मौलसिरी दातौन को ब्रश जैसा इस्तेमाल करने अथवा दांतों के नीचे रख कर चबाने से हिलते हुए दांत स्थिर व सख्त हो जाते हैं।
  • इसकी शाखाओं के आगे के कोमल भाग का काढ़ा बनाकर, काढ़े में दूध या जल मिलाकर प्रतिदिन पीने से बुढ़ापे में भी दांत मजबूत रहते हैं।
  • बकुल, आंवला और कत्था इन तीनों वृक्षों की छाल को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर दिन में १० से २० बार कुल्ला करने से मुंह के छाले, मसूड़ों की सूजन और हर प्रकार के मुँह संबंधी रोगों से जल्दी लाभ मिलता है और दांत मजबूत हो जाते हैं।

मौलसिरी खांसी के कष्ट से दिलाये आराम 

२० से २५ ग्राम ताजा फूलों को रात भर आधा लीटर पानी में भिगोकर रखें और सुबह मरूलधान कर रख लें, १० से २० मिली की मात्रा में सुबह-शाम ३ से ६ दिन तक उस पानी को बच्चे को पिलाने से खांसी मिट जाती है।

मौलसिरी हृदयरोगों में लाभकारी है 

हृदय संबंधी रोगों के इलाज में मौलसिरी का औषधीय गुण फायदेमंद होता है, इसके लिए मौलसिरी के ५ से १० बूंद फूल के अर्क का सेवन करने से हृदय रोगों में लाभ होता है।

मौलसिरी विबंध या कब्ज के इलाज में लाभकारी है 

बच्चों का कब्ज दूर करने के लिए बकुल के बीजों की मींगी को पीसकर, पुराने घी के साथ मिलाकर वर्ति या बत्ती जैसा बनाकर, बत्ती को गुदा में रखने से १५ मिनट में मल की कठोर गांठें अतिसार यानि दस्त के साथ निकल जाती हैं।

मौलसिरी अतिसार या दस्त को रोकने में फायदेमंद है 

दस्त की समस्या से जुझ रहे हैं, तो मौलसिरी का इस तरह से प्रयोग करने पर जल्दी राहत मिलेगी :-

  • बकुल के ८ से १० बीजों को ठंडे पानी में पीसकर देने से अतिसार में लाभ होता है, पुराने अतिसार में इसके पके हुए फल के गूदे को १० से २० ग्राम प्रतिदिन सेवन करना चाहिए।
  • ५ बूँद बीज मज्जा तेल को बतासे में डालकर सेवन करने से अतिसार में लाभ होता है।

मौलसिरी प्रवाहिका या पेचिश के इलाज में फायदेमंद है

पके फलों से प्राप्त फल मज्जा का सेवन करने से प्रवाहिका तथा अतिसार के कष्ट से जल्दी राहत मिलने में मदद मिलती है।

मौलसिरी मूत्र से खून आना से राहत दिलाने में लाभकारी है 

अगर मूत्र से खून निकलना बंद नहीं हो रहा है, तो मौलसिरी का इस तरह से प्रयोग करने पर जल्दी आराम मिलता है, ५ ग्राम मौलसिरी छाल का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम कुछ दिनों तक पीने से मूत्र में रक्त का जाना बंद हो जाता है।

मौलसिरी योनिस्राव को नियंत्रित करने में लाभकारी है 

१ से २ ग्राम बकुल छाल चूर्ण में १ चम्मच मधु मिलाकर दिन में २ से ३ बार सेवन करने से योनिस्राव से आराम मिलता है, इस चूर्ण के सेवन से शुक्र प्रमेह और कमर के दर्द से भी आराम मिलता है।

मौलसिरी प्रदर या श्वेतप्रदर में लाभकारी है 

मौलसिरी का औषधीय गुण महिलाओं के योनि से सफेद पानी निकलने की समस्या से राहत दिलाने में बहुत फायदेमंद होता है।

  • ५ से १० ग्राम बकुल छाल चूर्ण या १० से २० मि.ली. काढ़े में समान भाग शक्कर मिलाकर सेवन करने से प्रदर के इलाज में मदद मिलती है।
  • बकुल तने की छाल के चूर्ण में शर्करा मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।

मौलसिरी व्रण या अल्सर के इलाज में लाभकारी है 

बकुल छाल का काढ़ा बनाकर व्रणों को धोने से व्रणों का शोधन तथा जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।

मौलसिरी के उपयोगी भाग 

आयुर्वेद के अनुसार मौलसिरी का औषधीय गुण इसके इन भागों को प्रयोग करने पर सबसे ज्यादा मिलता है :-

  • छाल
  • पत्ता
  • फूल 
  • फल 
  • बीज।

मौलसिरी का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए ?

यदि आप किसी ख़ास बीमारी के घरेलू इलाज के लिए मौलसिरी का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका उपयोग करें, चिकित्सक के सलाह के अनुसार १ से २ ग्राम चूर्ण, ५० से १०० मि.ली. काढ़ा ले सकते हैं।

मौलसिरी कहां पाई या उगाई जाती है ?

चित्त को अति आनंद देने वाले मनोरम सुगंधित फूलों से युक्त बकुल के सदाहरित पेड़, सड़कों के किनारे, घर के बगीचे में यहां-वहां सर्वत्र लगाए हुए मिलते हैं।

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