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प्रस्तुतकर्ता
Dinesh Chandra
को
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शंखपुष्पी के फायदे
शंखपुष्पी एक पादप है, शंख के समान आकृति वाले श्वेत पुष्प होने से इसे शंखपुष्पी कहते हैं, इसे क्षीरपुष्प दूध के समान सफेद फूल वाले, मांगल्य कुसुमा जिसके दर्शन से मंगल माना जाता हो भी कहते हैं, यह सारे भारत में पथरीली भूमि में जंगली रूप में पाई जाती हैं, पुष्पभेद से शंखपुष्पी की तीन जातियाँ बताई गई हैं, श्वेत, रक्त, और नील पुष्पी, इनमें से श्वेत पुष्पों वाली शंखपुष्पी ही औषधि मानी गई है, मासिक धर्म में सहायक है, शंखपुष्पी के क्षुप प्रसरणशील, छोटे-छोटे घास के समान होते हैं, इसका मूलस्तम्भ बहुवर्षायु होता है, जिससे १० से ३० से.मी. लम्बी, रोमयुक्त, कुछ-कुछ उठी शाखाएँ चारों और फैली रहती हैं, जड़ उंगली जैसी मोटी १-१ इंच लंबी होती है, सिरे पर चौड़ी व नीचे सकरी होती है, अंदर की छाल और लकड़ी के बीच से दूध जैसा रस निकलता है, जिसकी गंध ताजे तेल जैसी दाहक व चरपरी होती है, तना और शाखाएँ सुतली के समान पतली सफेद रोमों से भरी होती हैं, पत्तियाँ १ से ४ से.मी. लंबी, रेखाकार, डण्ठल रहित, तीन-तीन शिराओं से युक्त होती हैं, पत्तियों के मलवे पर मूली के पत्तों सी गंध आती है।
शंखपुष्पी के फायदे |
फूल हल्के गुलाबी रंग के संख्या में एक या दो कनेर के फूलों से मिलती-जुलती गंध वाले होते हैं, फल छोटे-छोटे कुछ गोलाई लिए भूरे रंग के, चिकने तथा चमकदार होते हैं, बीज भूरे या काले रंग के एक और तीन धार वाले, दूसरी और ढाल वाले होते हैं, बीज के दोनों और सफेद रंग की झाई दिखती है, मई से दिसम्बर तक इसमें पुष्प और फल लगते हैं, शेष समय यह सूखी रहती है, गीली अवस्था में पहचान ने योग्य नहीं रह पाती, श्वेत पुष्पा शंखपुष्पी के क्षुप दूसरे प्रकारों की अपेक्षा छोटे होते हैं तथा इसके पुष्प शंख की तरह आवर्त्तान्तित होते हैं, शंखपुष्पी के आयुर्वेदिक गुण, कर्म और प्रभाव- शंखपुष्पी कषाय, स्निग्ध, पिच्छिल, तिक्त, मेध्य, रसायन, अपस्मार आदि मानसिक रोगों को दूर करने वाली स्मृति, कान्ति तथा बलवर्धक है, यह कुष्ठ कृमि और विष को नष्ट करती है, यह मेध्य, शामक, वाजीकरण, आक्षेपरोधी, कृमिघ्न, ज्वरघ्न होती हैं।
शंखपुष्पी का उपयोग
- शंखपुष्पी को शक्तिशाली मस्तिष्क टानिक, प्राकृतिक स्मृति उत्तेजक और एक अच्छी तनाव दूर करने की औषधी के रूप में माना गया है।
- इसकी पत्तियों का उपयोग फेफड़े की सूजन एवं अस्थमा के इलाज में किया जाता है।
- इस पौधे की जड़ बच्चों के बुखार के इलाज के लिए प्राकृतिक उपचार के रूप में उपयोग की जाती है।
- पौधे का रस पागलपन और खून की उल्टी के इलाज के लिए अच्छा माना जाता है।
- इसका चूर्ण जीरा और दूध के साथ मिश्रित करके अनिद्रा के लिए उपयोग किया जाता है।
- पौधे का नियमित सेवन प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देता है।
- यह पाचन क्रिया में मदद करता है।
- यह शरीर को तनाव देने वाले हार्मोन उत्पाद को नियंत्रित कर चिंता और तनाव को कम करता है।
- इसके रासायनिक गुणों के कारण यह अल्सर में प्रभावी होता है।
- यह दिल की बीमारी के लिए भी उपयोगी है।
- कब्ज के इलाज के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है।
शंखपुष्पी की उत्पति और वितरण
उत्पति:- यह मूल रूप से संपूर्ण भारत में पाए जाने वाला पौधा है, जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के मेहरौनी और ललितपुर के जंगल की पर्वतमालाओं में पाया जाता है, इसे श्रीलंका और म्यांमार में भी उगाया जाता है।
वितरण:- यह बारहमासी शाकीय पौधा है, जो संपूर्ण भारत में पाया जाता है, प्राचीन काल से ही औषधीय गुणों के कारण इसका प्रयोग किया जा रहा है, चरक ने बुध्दि और याददाश्त में सुधार करने के लिए इसके विशिष्ट उपयोगों का वर्णन किया है।
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