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प्रस्तुतकर्ता
Dinesh Chandra
को
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चंद्रशूर के फायदे
आपने चंद्रशूर के पौधे को बाग-बगीचे आदि में जरूर देखा होगा, लेकिन कभी गौर नहीं किया होगा, चंद्रशूर को हलीम भी कहा जाता है, आयुर्वेद के अनुसार, बेकार सा दिखाई देने वाला चंद्रशूर (हलीम) का पौधा एक बहुत ही उत्तम औषधी है और चंद्रशूर (हलीम) के फायदे से रोगों का इलाज किया जा सकता है, आयुर्वेदिक किताबों में चंद्रशूर के सेवन या उपयोग से संबंधित अनेक उत्तम बातें बताई गई हैं।
chandrashoor ke fayde |
हिचकी की परेशानी, दस्त, शूल, चर्म रोग, आंखों की बीमारी में चंद्रशूर से लाभ मिलता है, चंद्रशूर के औषधीय गुण से दर्द से राहत मिल सकता है, आइए जानते हैं कि आप चंद्रशूर से और क्या-क्या लाभ ले सकते हैं।
चन्द्रशूर क्या है ?
चंद्रशूर (हलीम) का पौधा 15 से 45 सेमी ऊँचा सीधा, चिकना और वर्षायु होता है, इसका तना सीधा, अरोमिल होता है, इसके पत्ते विभिन्न आकार के होते हैं, इसके फूल छोटे, सफेद रंग के, 2 मिमी लम्बे और द्वि-लिंगी होते हैं, चंद्रशूर का फल 4 मिमी व्यास का चपटा होता है, प्रत्येक फल में 1-2 छोटे, लाल रंग के बीज होते हैं, हलीम के बीजों को जल में भिगोने से लुआबदार हो जाते हैं, बीजमज्जा सफेद और बीजकवच चिकना होता है, इसका पुष्पकाल एवं फलकाल दिसम्बर से अपैल तक होता है।
चंद्रशूर का प्रयोग प्राचीन काल से चिकित्सा के रूप में किया जा रहा है, यह काम क्षमता और स्तनों में दूध को बढ़ाने में मदद करता है, इसका प्रसूतावस्था में विशेष प्रयोग किया जाता है, यहां चंद्रशूर से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों में लिखा गया है, ताकि आप चंद्रशूर से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
अन्य भाषाओं में चन्द्रशूर के नाम
चंद्रशूर का वानस्पतिक नाम Lepidium sativum (लैपिडियम सैटाइवम) है, यह Brassicaceae (ब्रैसेकेसी) कुल का है, इसे देश और विदेश में अन्य नामों से भी जाना जाता है :-
- Hindi - हर्फ अलकालम, हालों, हालिम, चनसुर, चन्दसूर, चन्द्रशूर
- English - कॉमन गार्डन क्रेस, पेप्र ग्रास, पेप्र वर्ट क्रेस, नास्टर्शियम क्रेस, कॉमन क्रेस
- Sanskrit - चन्द्रिका, चर्महत्री, पशुमेहनकारिका, नन्दिनी, कारवी, भद्रा, वासपुष्पा, सुवासरा, चंद्रसूर, चंद्रसूरा
- Urdu - हालिम
- Oriya - चंदसारा, चंदसूरा
- Kannada - अलिबीज, कुरूटीग
- Gujarati - अशेहीओ, अशेरिया
- Tamil - अलिविराई
- Telugu - अदितयलु
- Bengali - हालिम, हालिमा
- Nepali - चम्सुर
- Punjabi - तेजक
- Marathi - आलीव, हलिम
- Malayalam - असली
- Arabic - हल्फ, हब्बे अल रसद, हरफुलावाज
- Persian - रूखमी स्पान्दा।
चन्द्रशूर के फायदे और उपयोग
चंद्रशूर के औषधीय प्रयोग, मात्रा एवं विधियां ये हैं :-
चंद्रशूर हिचकी की परेशानी में फायदेमंद है
10 ग्राम चन्द्रसूर (हलीम) के बीज को 8 गुने जल में पकाएं, इसे गाढ़ा हो जाने पर कपड़े से छान लें, इस जल को 50 मिली की मात्रा में बार-बार पीने से हिचकी की परेशानी ठीक होती है।
चंद्रशूर सर्दी में लाभदायक है
चन्द्रसूर (हलीम) के बीजों का काढ़ा बनाएं, इसे 10 से 15 मिली मात्रा में पिलाने से सर्दी की वजह से होने वाली परेशानियों में लाभ होता है।
चंद्रशूर से सूखी खांसी का इलाज होता है
चंद्रशूर की टहनियों का काढ़ा बना लें, इसे 5 से 10 मिली मात्रा में पिलाने से सूखी खांसी में लाभ होता है, बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
चंद्रशूर शरीर के दर्द में लाभकारी है
- चन्द्रसूर को पानी में पीसकर पीने तथा लेप करने से खून से संबंधित विकारों तथा शरीर के दर्द से आराम मिलता है।
- चन्द्रसूर (हलीम) के 50 ग्राम बीजों को 200 मिली तिल के तेल में पका लें, तेल को छानकर लगाने से शरीर का दर्द ठीक होता है।
चंद्रशूर दस्त में फायदेमंद है
- आप हलीम के बीज के फायदे दस्त में भी ले सकते हैं, 1 चम्मच चन्द्रसूर की बीज के रस में 1 गिलास नारियल पानी मिला लें, इसे पीने से दस्त और पेचिश में लाभ होता है।
- 1-2 ग्राम चंद्रशूर की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से दस्त की परेशानी ठीक होती है।
चंद्रशूर पेट दर्द में लाभदायक है
चन्द्रसूर की बीजों का काढ़ा बना लें, इसे 10 से 15 मिली मात्रा में पीने से पेट के दर्द से राहत मिलती है।
चंद्रशूर कब्ज़ में लाभकारी है
कब्ज की समस्या में आप चंद्रशूर का उपयोग कर सकते है, क्योंकि इसमें पाए जाने वाला कफ जैसा पदार्थ लैक्सटिव के गुण वाला होता है, जो की कब्ज को दूर करने में मदद करता है।
चंद्रशूर आम अतिसार में फायदेमंद है
आम अतिसार में भी चम्सुर का उपयोग कर सकते है, ये अतिसार के लक्षणों को कम करता है, इसके लिए आप इसके बीजों का पेस्ट बनाकर सेवन कर सकते हैं।
चंद्रशूर धातुपुष्टि में लाभदायक है
यदि आप कमजोरी महसूस करते है और साथ ही आपका वजन भी आपकी लम्बाई के अनुरूप नहीं है, तो आप चम्सुर का उपयोग कर सकते हैं, आयुर्वेद के अनुसार ये बल और पुष्टिवर्धक होता है।
चंद्रशूर पेट के रोग में लाभकारी है
उदर संबंधी रोग में चम्सुर का उपयोग फायदेमंद होता है, क्योंकि चम्सुर में गैस्ट्रोप्रोटेक्टिव की क्रियाशीलता पायी जाती है, जिस कारण ये उदर संबंधी विकारों को दूर करने में सहायता करता है।
चंद्रशूर कमर दर्द और सायटिका में उपयोगी है
कमर दर्द और सायटिका में चम्सुर का सेवन फायदेमंद हो सकता हैं, क्योंकि इसमें एंटीइंफ्लामेट्री गुण होता है, आयुर्वेद के अनुसार, गर्म तासीर होने ये वात दोष और सूजन को कम करने में मदद करता है।
चंद्रशूर से खूनी बवासीर का इलाज होता है
हलीम के बीज के फायदे से खूनी बवासीर के इलाज में मदद मिलती है, 5 मिली चन्द्रसूर के बीज के रस लें, इसे पानी या नारियल का पानी मिलाकर पीने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) में लाभ होता है।
चंद्रशूर लीवर रोग में फायदेमंद है
हलीम के बीज के फायदे से लिवर से जुड़े रोगों में भी लाभ मिलता है, 10 से 15 मिली चंद्रसूर की बीज का काढ़ा पीने से लिवर संबंधित विकारों में लाभ होता है।
चंद्रशूर सिफलिस (उपदंश) रोग में लाभदायक है
चन्द्रसूर पंचांग का काढ़ा बनाकर 10 से 15 मिली मात्रा में पिलाने से उपदंश (सिफलिस) रोग में लाभ होता है।
चंद्रशूर स्तनों में दूध की वृद्धि करने में लाभकारी है
- स्तनपान कराने वाली किसी महिला को दूध की कमी हो रही है, तो हलीम के बीज के फायदे ले सकती हैं, चंद्रशूर के बीज से बने 10 से 20 मिली काढ़े में एक चम्मच शहद मिला लें, इसे पीने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
- 5 से 10 ग्राम बीजों को 100 मिली दूध में खूब गर्म कर लें, इसे पिलाने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
- चन्द्रसूर की बीजों को घी में भूनकर शर्करा मिला लें, इसका सेवन करने से स्तनों में दूध बढ़ता है।
चंद्रशूर शारीरिक कमजोरी में फायदेमंद है
चन्द्रसूर के बीजों को घी में भूनकर शर्करा मिला लें, इसका सेवन करने से प्रसव के बाद होने वाली शारीरिक कमजोरी ठीक होती है।
चंद्रशूर मोच आने पर लाभदायक है
चन्द्रसूर के बीजों को पीसकर लगाने से मोच में बहुत लाभ होता है।
चंद्रशूर से गठिया का इलाज होता है
चन्द्रसूर के बीजों को तिल के तेल में पका लें, इसे लगाने से वातरक्त तथा गठिया की बीमारी में लाभ होता है।
चंद्रशूर सूजन की समस्या में लाभकारी है
- चन्द्रसूर के बीजों को पीसकर लगाने से शरीर के सभी अंगों की सूजन ठीक हो जाती है।
- चंद्रसूर के बीजों को कूट लें, इसमें नीबू का रस मिलाकर लगाने से सूजन कम हो जाती है।
चन्द्रशूर के उपयोगी भाग
आप चंद्रशूर के इन भागों का उपयोग कर सकते हैं :-
- बीज
- जड़
- पत्ते
- पंचांग।
चन्द्रशूर का इस्तेमाल कैसे करें ?
चंद्रशूर का इस तरह इस्तेमाल किया जाना चाहिए :-
हलीम के बीज का चूर्ण 1 से 3 ग्राम।
यहां चंद्रशूर से होने वाले सभी फायदे के बारे में बहुत ही आसान शब्दों में लिखा गया है, ताकि आप चंद्रशूर से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन औषधि के रूप में चंद्रशूर का प्रयोग करने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
चन्द्रशूर से नुकसान
चंद्रशूर से ये नुकसान भी हो सकते हैं :-
- उचित मात्रा में सेवन करने से शरीर पर कोई नुकसान नहीं होता है, लेकिन अधिक मात्रा में सेवन करने से यह पेट में गड़बड़ी कर सकता है।
- विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को चंद्रशूर का सेवन नहीं करना चाहिए।
चन्द्रशूर कहां पाया या उगाया जाता है ?
भारत में सभी जगह चंद्रशूर या हलीम की खेती की जाती है, यह मूलतः इथोपिया का है, विश्व में यूरोप, पश्चिमी एशिया, मिश्र, सूडान, सउदी अरब, तुर्की, ईरान, ईराक, पाकिस्तान एवं तिब्बत में चंद्रशूर पाया जाता है।
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