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प्रस्तुतकर्ता
Dinesh Chandra
को
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लताक्षीरी के फायदे
लताक्षीरी एक प्रकार की बेल है, जो अपने औषधीय गुणों के कारण बहुत प्रसिद्ध है, आयुर्वेद के अनुसार दमा (अस्थमा) के इलाज में लताक्षीरी के फायदों को देखते हुए ही इसे दमबेल नाम से पुकारा जाता है, इस लेख में हम बता रहे हैं कि अस्थमा के मरीज दमबेल का सेवन कब और कैसे करें, साथ ही दमबेल के अन्य फायदों और औषधीय गुणों पर भी एक नज़र डालते हैं।
latakshiri ke fayde |
दमबेल क्या है ?
दमबेल कई शाखाओं वाला एक पौधा है, इसके पत्ते 10 सेमी लम्बे, अंडाकार और गोलाकार में होते हैं, दमबेल के फूल हरे और पीले रंग के होते हैं और उनका आखिरी सिरा बैगनी रंग का होता है, इसके फल 7.5 से 10 सेमी लम्बे और करीब 5 सेमी चौड़े होते हैं, इसकी पत्तियां और जड़ें साँसों से जुड़ी बीमारियों जैसे कि अस्थमा, खांसी, सांस फूलना आदि के इलाज में बहुत उपयोगी हैं।
अन्य भाषाओं में लताक्षीरी के नाम
लताक्षीरी का वानस्पतिक नाम टाइलोफोरा इंडिका (tylophora indica) है, यह एसक्लीपिएडेसी (asclepiadaceae) कुल का पौधा है, लताक्षीरी को कई लोग दमबेल नाम से भी बुलाते हैं, आइये जानते हैं अन्य भाषाओं में इसे किन नामों से जाना जाता है।
- Hindi : दमबेल, दमबूटी
- English : इमेटिक स्वॉलो वर्ट
- Sanskrit : लताक्षीरी अन्तमूल, अर्कपर्णी
- Udia : मेन्डी, मुलिनी
- Kannad : अडु मुटाडा, नेपाल कोव बल्ली
- Gujrati : गुजराती-जंगली पीकवन, अन्तमूल
- Tamil : करूंगी, कोंदम, नायप्पलई
- Telugu : तेलुगु-गोरीपला, वेत्तीपला, काकोपाला
- Nepali : नेपाली-अन्तमूल
- Bengali : बंगाली-अंतमूल
- Marathi : मराठी-खदरी, पिटवेल
- Malyalam : वल्लीपला, नेनस्जेरा-पास्तजा।
दमबेल के औषधीय गुण
- दमबेल मधुर, कटु, दीपन, पाचन, व्रणशोधक, सुगन्धित, वामक, विरेचक, कफनिसारक, शोथघ्न तथा ज्वरघ्न होती है, यह ग्रहणी, अर्श, अतिसार, कास, श्वास, वातरक्त तथा विषशामक होती है।
- इसकी मूल आमवातजन्य शूल, रक्तार्श, व्रण, क्षत, अर्बुद तथा वातरक्त में लाभप्रद होती है।
दमबेल के फायदे और उपयोग
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार सांस संबंधी समस्याओं जैसे कि खांसी, अस्थमा आदि में दमबेल का उपयोग करना फायदेमंद होता है, आइये जानते हैं कि किन-किन रोगों में दमबेल का उपयोग कितनी मात्रा में और कैसे करें।
दमबेल अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत उपयोगी है
इस प्रदूषण भरे माहौल में अस्थमा के मरीजों की समस्याएं और बढ़ने लगती हैं और उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, अस्थमा या दमा के इलाज के लिए आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों का उल्लेख मिलता है, विशेषज्ञों की मानें तो दमबेल अस्थमा के इलाज में काफी फायदेमंद है, आइये जानते हैं उपयोग का तरीका :-
- दमबेल की 3 से 5 पत्तियों को 6-7 दिन तक चबाने से अस्थमा में फायदा मिलता है, लेकिन इसका उपयोग हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के बाद ही करना चाहिए।
- दमबेल की पत्तियों को काली मिर्च के साथ मिलाकर गोली बना लें, रोजाना सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ इन गोलियों का सेवन करने पर अस्थमा में लाभ मिलता है।
दमबेल कुक्कुर खांसी या काली खांसी से राहत दिलाती है
काली खांसी की समस्या जीवाणुओं के संक्रमण के कारण होती है, इस बीमारी में खांसी की समस्या कई दिनों तक ठीक नहीं होती है, काली खांसी के इलाज और रोकथाम के लिए आप दमबेल (लताक्षीरी) का उपयोग कर सकते हैं :-
- 250 मिग्रा दमबेल की जड़ के चूर्ण में 250 ग्राम वचा चूर्ण और 1 ग्राम मुलेठी चूर्ण मिलाकर शहद के साथ खाएं, इसे खाने से काली खांसी कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है।
- काली खांसी के शुरूआती चरण में ही दमबेल का उपयोग करना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है, इसलिए जैसे कि आपको काली खांसी के लक्षण नजर आएं, तो एक ग्राम दमबेल की जड़ के चूर्ण का सेवन करें, इससे श्वास नली में सूजन और काली खांसी दोनों समस्याएं ठीक हो जाती हैं।
- 1 ग्राम दमबेल पञ्चाङ्ग चूर्ण में 1 ग्राम मुलेठी तथा 250 ग्राम काली मिर्च मिलाकर काढ़ा बना लें, इस काढ़े का सेवन शहद के साथ करें, कुछ दिन इसका उपयोग करने के बाद ही खांसी से आराम मिलने लगता है।
- दमबेल पंचांग चूर्ण का काढ़ा बनाकर सेवन करने से सर्दी खांसी में फायदा मिलता है।
दमबेल श्वासनली की सूजन दूर करती है
अगर आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही है या श्वास नली में सूजन की समस्या है, तो दमबेल आपके लिए एक उपयोगी औषधि है, इसके लिए दमबेल की पत्तियों और जड़ों का काढ़ा बनाकर 10 से 15 एमएल की मात्रा में सेवन करें, ध्यान रखें अगर समस्या गंभीर है तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के बाद ही इसका उपयोग करें।
दमबेल सिरदर्द से आराम दिलाती है
ऑफिस में दिन भर काम करने और तमाम तरह की टेंशन की वजह से सिरदर्द होना एक आम बात है, जरुरी नहीं कि हर बार सिरदर्द होने पर आप पेनकिलर ही खाएं, इसकी बजाय सिरदर्द के घरेलू उपायों को अपनाएं, जैसे कि दमबेल के उपयोग से भी आप सिरदर्द से आराम पा सकते हैं, इसके लिए दमबेल की जड़ों को पीसकर माथे पर लगाएं और कुछ देर लेटे रहें।
दमबेल दस्त रोकने के लिए लाभकारी है
अगर आप दस्त से परेशान हैं तो राहत पाने के लिए दमबेल का उपयोग कर सकते हैं :-
दमबेल की जड़ और पत्तियों का काढ़ा बनाकर 10 से 20 मिली मात्रा में सेवन करने से दस्त में फायदा मिलता है, इसके अलावा दमबेल की 2-3 पत्तियों का रस निकालकर पीने से भी अतिसार में फायदा मिलता है।
दमबेल के उपयोगी भाग
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार दमबेल या लताक्षीरी के निम्न भागों का उपयोग करना चाहिए :-
- जड़ें
- पत्तियां।
दमबेल का इस्तेमाल कैसे करें ?
दमबेल के काढ़े का उपयोग 10 से 15 मिली की मात्रा में और इसकी जड़ों के चूर्ण का उपयोग 250 से 500 मिग्रा की मात्रा में करना चाहिए, यदि आप किसी गंभीर बीमारी के इलाज में इसका उपयोग करना चाहते हैं, तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें।
अत्यधिक मात्रा दमबेल का सेवन करने से उल्टी आ सकती है, इसलिए इसका सेवन उचित मात्रा में चिकित्सक की सलाह अनुसार करना चाहिए।
दमबेल कहां पाया या उगाया जाता है ?
दमबेल समस्त भारत में मुख्यत आसाम, बंगाल, उड़ीसा एवं दक्षिण भारत में लगभग 900 मी की ऊँचाई तक पाया जाता है।
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