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प्रस्तुतकर्ता
Dinesh Chandra
को
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अपराजिता के फायदे
बगीचों और घरों की शोभा बढ़ाने के लिए लगाया जाने वाला अपराजिता को आयुर्वेद में विष्णुक्रांता, गोकर्णी आदि नामों से जाना जाता है, आयुर्वेद में सफेद और नीले रंग के फूलों वाले अपराजिता के वृक्ष को बहुत ही गुणकारी बताया गया है, अपराजिता का प्रयोग महिला, पुरुष, बच्चों और बुजुर्गों के रोगों के उपचार के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है, क्या आपको पता है अपराजिता का उपयोग क्या है, असाध्य रोगों पर विजय पाने की इसकी क्षमता के चलते ही इसे अपराजिता नाम से जाना गया है।
aparajita plant images |
अपराजिता के बीज सिर दर्द को दूर करने वाले होते हैं, दोनों ही प्रकार की अपराजिता बुद्धि बढ़ाने वाली, वात, पित्त, कफ को दूर करनी वाली है, अपराजिता के इस्तेमाल से सााधारण से लेकर गंभीर बीमारियों का उपचार किया जा सकता है, यह शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले सूजन के लिए भी लाभप्रद है, आइए जानते हैं आसानी से पाए जाने वाले अपराजिता के गुण के बारे में।
अपराजिता क्या है ?
अपराजिता का वृक्ष झाड़ीदार और कोमल होता है, इस पर फूल विशेषकर वर्षा ऋतु में आते हैं, इसके फूलों का आकार गाय के कान की तरह होता है, इसलिए इसको गोकर्णी भी कहते हैं, अपराजिता सफेद और नीले रंग के फूलों के भेद से दो प्रकार की होती है।
नीले फूल वाली अपराजिता भी दो प्रकार की होती है
- इकहरे फूल वाली।
- दोहरे फूल वाली।
कहा जाता है कि जब इस वनस्पति का रोगों पर प्रयोग किया जाता है, तो यह हमेशा सफल होती है और अपराजित नहीं होती, इसलिए इसे अपराजिता कहा गया है।
अनेक भाषाओं में अपराजिता के नाम
आमतौर पर अपराजिता के नाम से प्रचलित इस औषधीय वृक्ष को अन्य भाषाओं में अलग-अलग नाम से जाना जाता है, इसका वानस्पतिक नाम क्लाइटोरिया टर्नेशिया (clitoria ternatea) और अंग्रेजी नाम विंग्ड लीव्ड क्लाइटोरिया (winged leaved clitoria) है और इसके अन्य नाम ये हैं।
- Hindi - अपराजिता, कोयल, कालीजार
- English - बटरफ्लाई पी, ब्लू पी, पिजन विंग्स
- Sanskrit - गोकर्णी, गिरिकर्णी, योनिपुष्पा, विष्णुक्रान्ता, अपराजिता
- Oriya - ओपोराजिता
- Urdu - माजेरीयुनीहिन्द
- Kannada - शंखपुष्पाबल्ली, गिरिकर्णिका, गिरिकर्णीबल्ली
- Konkani - काजुली
- Gujarati - गर्णी, कोयल
- Tamil - काककनाम, तरुगन्नी
- Telugu - दिन्तेना, नल्लावुसिनितिगे
- Bengali - गोकरन, अपराजिता
- Nepali - अपराजिता
- Punjabi - धनन्तर
- Malayalam - अराल, कक्कनम्कोटि, शंखपुष्पम्
- Marathi - गोकर्णी, काजली, गोकर्ण
- Arabic - बजरूल्मजारियुन-ए-हिंदी
- Farasi - दरख्ते बिखेहयात।
अपराजिता के फायदे
अपराजिता का औषधीय प्रयोग, प्रयोग के तरीके और विधियां ये हैं :-
अपराजिता अधकपारी या माइग्रेन के दर्द में फायदेमंद है
अपराजिता की फली बीज और जड़ को बराबर भाग में लेकर जल के साथ पीस लें, इसकी बूंद नाक में लेने से आधासीसी (अर्धावभेदक) में लाभ होता है, इसकी जड़ को कान में बांधने से भी लाभ होता है, बीज, जड़ और फली को अलग-अलग भी प्रयोग कर सकते हैं।
अपराजिता आंखों की समस्या लाभदायक है
सफेद अपराजिता तथा पुनर्नवा की जड़ की पेस्ट में बराबर भाग में जौ का चूर्ण मिलाकर अच्छी तरह से घोंट लें, अब इसकी बाती बनाकर सुखा लें, इस बाती को पानी से घिसकर अंजन (आंखों में लगाने) करने से आंखों से जुड़ी सभी बीमारियों का उपचार होता है।
अपराजिता कान दर्द में लाभकारी है
अपराजिता के पत्तों के रस को सुखाकर गर्म कर लें, इसे कानों के चारों तरफ लेप करने से कान के दर्द में आराम मिलता है।
अपराजिता दांत दर्द में फायदेमंद है
अपराजिता की जड़ की पेस्ट तैयार करें, इसमें काली मरिच का चूर्ण मिलाकर मुंह में रखें, इससे दांत दर्द में बहुत ही आराम मिलता है।
अपराजिता गले के रोग में लाभदायक है
- 10 ग्राम अपराजिता के पत्ते को 500 मिलीलीटर पानी में पकायें, इसका आधा भाग शेष रहने पर इसे छान लें, इस तरह से तैयार काढ़े से गरारा करने पर टांसिल, गले के घाव में आराम पहुंचता है, गला खराब होने यानी आवाज में बदलाव आने पर भी यह काढ़े से गराना करना उपयोगी होता है।
- सफेद फूल वाले अपराजिता की जड़ की पेस्ट में घी अथवा गोमूत्र मिलाकर सेवन करें, इससे गले के रोग (गलगण्ड) में लाभ होता है।
- सफेद फूल वाले अपरजिता की जड़ को घृतकुमारी या एलोवेरा के रेशों में पिरोकर हाथ में बांधें, इससे हाल ही में हुआ गण्डमाला ठीक होता होता है।
- 1 ग्राम सफेद अपराजिता की जड़ को पीसकर सुबह में पीने से तथा चिकना भोजन करने से गलगण्ड में लाभ होता है।
- सफेद अपराजिता की जड़ के 1 से 2 ग्राम चूर्ण को घी में मिला कर खाएं, इसके अलावा कड़वे फल के चूर्ण को गले के अन्दर घिसने से गलगण्ड रोग शान्त होता है।
अपराजिता पाचनतंत्र की बीमारी में उपयोगी है
पुष्य नक्षत्र में सफेद अपराजिता की जड़ को उखाड़ कर गले में बांधें, इसके अलावा रोज इसकी जड़ के चूर्ण को गाय के दूध या गाय के घी के साथ खाएं, इससे अपच की समस्या, पेट में जलन आदि में शीघ्र लाभ होता है।
अपराजिता खांसी को ठीक करने में फायदेमंद है
अपराजिता की जड़ का शर्बत तैयार कर लें, इसे थोड़ा-थोड़ा पीने से खांसी, सांसों के रोगों की दिक्कत और बालकों की कुक्कुर खांसी में लाभ होता है।
अपराजिता पेट की बीमारी में लाभदायक है
आधा ग्राम अपराजिता के भुने हुए बीज का चूर्ण बना लें, इसे चूर्ण को आंच पर भून लें या 1-2 बीजों को आग पर भून लें, इसे बकरी के दूध या घी के साथ दिन में दो बार सेवन करें, इससे जलोदर (पेट में पानी भरने की समस्या), अफारा (पेट की गैस), कामला (पीलिया) तथा पेट दर्द में शीघ्र लाभ होता है।
अपराजिता तिल्ली विकार में लाभकारी है
अपराजिता की जड़ को दूसरी रेचक और पेशाब बढ़ाने वाले औषधियों के साथ मिलाकर दें, इससे तिल्ली विकार (प्लीहा वृद्धि), अफारा (पेट की गैस) तथा पेशाब के रास्ते में होने वाली जलन आदि रोग ठीक होते हैं।
अपराजिता पीलिया में फायदेमंद है
3 से 6 ग्राम अपराजिता के चूर्ण को छाछ के साथ प्रयोग करें, इससे पीलिया में लाभ होता है, इसके अलावा आधा ग्राम अपराजिता के भुने हुए बीज का चूर्ण बना लें, इसे चूर्ण को आंच पर भून लें या 1-2 बीजों को आग पर भून लें, इसे बकरी के दूध या घी के साथ दिन में दो बार सेवन करें, इससे कामला (पीलिया) में शीघ्र लाभ होता है।
अपराजिता मूत्र रोग में लाभदायक है
- 1-2 ग्राम अपराजिता की जड़ के चूर्ण को गर्म पानी या दूध के साथ दिन में 2 या 3 बार सेवन करें, इससे पेशाब के रास्ते में होने वाली जलन दूर होती है।
- यदि पेशाब कम हो रहा हो तो उसमें भी इसका सेवन करने से लाभ होता है।
- अपराजिता की जड़ के चूर्ण को चावलों के धोवन के साथ पीस लें, इसे छानकर कुछ दिन सुबह और शाम पिलाने से मूत्राशय की पथरी टूट कर निकल जाती है।
अपराजिता अण्डकोष को ठीक करने में लाभकारी है
अपराजिता के बीजों को पीस लें, इसे गुनगुना कर लेप करने से अण्डकोष की सूजन का उपचार होता है।
अपराजिता गर्भधारण में उपयोगी है
1-2 ग्राम सफेद अपराजिता की छाल या पत्तों को बकरी के दूध में पीस लें, इसे छान कर और शहद में मिलाकर पिलाने से गर्भपात की समस्या में लाभ होता है।
अपराजिता सामान्य प्रसव में फायदेमंद है
आसानी से प्रसव के लिए अपराजिता की बेल को महिला की कमर में लपेट दें, इससे प्रसव आसानी से होता है, प्रसव पीड़ा शान्त हो जाती है।
अपराजिता सुजाक में लाभदायक है
3 से 6 ग्राम अपराजिता की जड़ की छाल, 1.5 ग्राम शीतल चीनी तथा 1 नग काली मिर्च लें, इन तीनों को पानी के साथ पीसकर छान लें, इसे सुबह-सुबह सात दिन तक पिलाएं, इसके साथ ही अपराजिता पंचांग (फूल, पत्ता, तना और जड़) के काढ़े में रोगी को बिठाएं, इससे सुजाक में लाभ मिलता है, इससे लिंग संबंधी समस्या ठीक होती है।
अपराजिता जोड़ों के सूजन लाभकारी है
- अपराजिता के पत्तों को पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया में आराम होता है।
- 1-2 ग्राम अपराजिता की जड़ के चूर्ण को गर्म पानी या दूध के साथ दिन में 2 या 3 बार सेवन करें, इससे गठिया में फायदा होता है।
अपराजिता फाइलेरिया या हाथीपांव (श्लीपद) में उपयोगी है
- 10 से 20 ग्राम अपराजिता की जड़ को थोड़े पानी के साथ पीस लें, इसे गर्म कर लेप करें, इसके साथ ही 8 से 10 पत्तों के पेस्ट की पोटली बनाकर सेंकने से फाइलेरिया या फीलपांव और नारु रोग में लाभ होता है।
- धव, अर्जुन, कदम्ब, अपराजिता तथा बंदाक की जड़ का पेस्ट तैयार करें, इसका सूजन वाले स्थान पर लेप करने से फाइलेरिया या फीलपांव में लाभ होता है।
अपराजिता घावों को ठीक करने में फायदेमंद है
- हथेली या ऊंगलियों में होने वाले घाव या बहुत ही दर्द देने वाले घावों पर अपराजिता के 10 से 20 पत्तों की लुगदी को बांध दें, इस पर ठंडा जल छिड़कते रहने से बहुत ही जल्दी आराम मिलता है।
- 10 से 20 ग्राम अपराजिता की जड़ को कांजी या सिरके के साथ पीस लें, इसका लेप करने से पके हुए फोड़े ठीक हो जाते हैं।
अपराजिता सफेद दाग में लाभदायक है
- सफेद अपराजिता की जड़ को ठंडे पानी के साथ घिस लें, इसे प्रभावित स्थान पर लेप करने से 15 से 30 दिनों में ही सफेद दाग में लाभ होने लगता है।
- दो भाग अपराजिता की जड़ तथा 1 भाग चक्रमर्द की जड़ को पानी के साथ पीसकर, लेप करने से सफेद कुष्ठ में लाभ होता है।
- इसके साथ ही अपराजिता के बीजों को घी में भूनकर सुबह शाम पानी के साथ सेवन करने से डेढ़-दो महीने में ही सफेद कुष्ठ में लाभ हो जाता है।
अपराजिता चेहरे की झाई के इलाज में लाभकारी है
अपराजिता की जड़ की राख या भस्म को मक्खन में घिस लें, इसे लेप करने से मुंह की झांई दूर हो जाती है।
अपराजिता आंखों की रोशनी बढ़ाने में उपयोगी है
अपराजिता का प्रयोग दृष्टि को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है, क्योंकि आयुर्वेद में अपराजिता को चक्षुष्य कहा गया है, जिसका अर्थ है नेत्रों के लिए हितकर।
अपराजिता महिलाओं के लिए फायदेमंद है
अपराजिता का उपयोग महिला संबंधी रोग के साथ-साथ महिलाओं के बांझपन को दूर करने में भी किया जाता है, इसके लिए फूल या पौधे के भागों का प्रयोग कर सकते है।
अपराजिता मधुमेह (डायबिटीज) में लाभदायक है
मधुमेह में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए आप अपराजिता का प्रयोग कर सकते हैं, क्योंकि अपराजिता में एक रिसर्च के अनुसार एंटी-डायबेटिक गुण पाया जाता है।
अपराजिता तंत्रिका-तंत्र में लाभकारी है
अपराजिता की बेल का प्रयोग तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने में किया जाता है, क्योंकि एक रिसर्च के अनुसार अपराजिता में मेध्य का गुण होता है, जिसके कारण ये तंत्रिका तंत्र को मजबूती प्रदान करती है।
अपराजिता अवसाद (डिप्रेशन) कम करने में फायदेमंद है
अपराजिता का प्रयोग अवसाद को कम करने में भी किया जाता है, क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार अपराजिता में मेध्य का गुण पाया जाता है, जो कि मानसिक तनाव को कम करने में मदद करता है, जिससे अवसाद के लक्षणों में कमी आती है।
अपराजिता हृदय को स्वास्थ्य रखने में लाभदायक है
अपराजिता के बीज हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करते है, क्योंकि इसमें एंटी-हिपेरलिपिडिमिक का गुणधर्म पाया जाता है, जो कि कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करता है।
अपराजिता अस्थमा से राहत पाने में लाभकारी है
अगर आप अस्थमा की समस्या से परेशान है, तो अपराजिता का प्रयोग आपको इस समस्या को कम करने में मदद कर सकता है।
अपराजिता बुखार उतारने में फायदेमंद है
अपराजिता की बेल को कमर में बांधने से हर तीसरे दिन आने वाले बुखार से राहत मिलने में आसानी होती है और अपराजिता का औषधीय गुण इसके इलाज में लाभकारी भी होता है।
अपराजिता सांप के विष को उतारने में लाभदायक है
सर्पाक्षी तथा सफेद अपराजिता की जड़ के काढ़े में घी को पकाएं, इसमें सोंठ, भांगरा (भृंङ्गराज), वच तथा हींग मिला लें, इसे छाछ के साथ देने से सांप के जहर से होने वाले प्रभावों का नाश होता है।
अपराजिता के उपयोगी भाग
- जड़
- जड़ की छाल
- पत्ता
- फूल
- बीज
- सफेद अपराजिता अधिक गुणकारी है।
अपराजिता के सेवन की मात्रा
रस 10 मिलीग्राम, चूर्ण 1-2 ग्राम अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्श से अपराजिता का इस्तेमाल करें।
अपराजिता कहां पाया या उगाया जाता है ?
अपराजिता घरों में शोभा के लिए लगाई जाती है, इसके फूल विशेषकर वर्षा ऋतु में लगते हैं, यह बाग-बगीचों, घरों के आस-पास पाया जाता है।
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