- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
प्रस्तुतकर्ता
Dinesh Chandra
को
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
चमेली के फायदे
चमेली के पौधे या फूल से आप सभी परिचित होते हैं, चमेली के फूल जितने खूबसूरत होते हैं उतने ही सुगंधित भी होते हैं, चमेली के फूलों से इत्र और तेल भी बनाया जाता है, क्या आप को पता है कि चमेली एक जड़ी-बूटी भी है और चमेली के पौधे में कई सारे औषधीय गुण भी हैं, क्या आप यह जानते हैं कि कान दर्द, सिर दर्द, जीभ की सूजन और मोतियाबिंद जैसी बीमारियों में चमेली के इस्तेमाल से फायदे मिलते हैं, इतना ही नहीं मुंह के अनेक रोग, एड़ियों के फटने, और कान बहने पर भी चमेली के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
chameli ka paudha |
आयुर्वेद में चमेली के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं, जो आपको जानना जरूरी है, जैसे- पेट में कीड़े होने पर, एसीडिटी, रक्तपित्त में चमेली के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं, इसके अलावा बुखार, घाव और वात दोष में भी चमेली से लाभ ले सकते हैं, आइए यहां एक-एक कर जानते हैं कि चमेली के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, साथ ही यह भी जानते हैं कि चमेली से क्या-क्या नुकसान हो सकता है।
चमेली क्या है ?
चमेली का एक पौधा आठ से पद्रह वर्षों तक फूल देता है, इसके फूलों की गंध इतनी अच्छी और मनोहारिणी होती है कि निराश हृदय में खुशी की लहर उठने लगती है, इसी गुण के कारण इसे सुमना, हृद्यगंध, चेतिका इत्यादि नाम भी दिए गए हैं, फूल के भेद के अनुसार इसकी दो जातियाँ पाई जाती हैं।
चमेली :- इसके फूल सफेद होते हैं।
स्वर्णयूथिका :- इसे स्वर्ण जाति कहते हैं, लैटिन में इसका नाम है, इसके फूल पीले सुंगन्धित होते हैं, इस पौधे में झाड़ीदार अनेक शाखाएं होती हैं, इसकी पत्तियां चमकीले हरे रंग की होती है, पत्ते विभिन्न आकार के होते हैं, इसके फूल पीले रंग के और सुगन्धित होते हैं, यहां चमेली के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है, ताकि आप चमेली के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
अन्य भाषाओं में चमेली के नाम
चमेली का वानस्पतिक नाम जैस्मिनम ग्रैन्डीफ्लोरम है और यह ओलिएसी कुल का है, इसके अन्य ये भी नाम हैं :-
- Hindi - चमेली, चम्बेली, चंबेली
- English - स्पैनिश जैसमिन, कैंटालोनियन जैस्मिन, रॉयल जैस्मिन
- Sanskrit - जनेष्टा, सौमनस्यनी, जाति, सुमना, चेतिका, हृद्यगन्धा, राजपुत्रिका
- Oriya - मालोतो, जयफूलो
- Urdu - चम्बेली, यास्मीन
- Kannada - मल्लिगे
- Gujarati - चम्बेली, चमेली
- Tamil - कोडीमल्लीगई, पिच्ची
- Telugu - जाजी, मालती
- Bengali - चमेली, जाति
- Nepali - लहरे चमेली
- Punjabi - चम्बा, जाती
- Marathi - चमेली
- Malayalam - पिचकम, पिक्कामूला
- Arabic - यास्माईन
- Persian - याशिम।
चमेली के औषधीय गुण
चमेली के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैं :-
चमेली कफपित्तशामक, वातशामक, त्रिदोषहर, व्रणरोपक, व्रणशोधक, वर्ण्य, वाजीकारक और वेदना स्थापक है, चमेली तेल वातशामक और सौमनस्यजनन है, इसके पत्ते मुखरोग नाशक, कुष्ठघ्न, कंडूघ्न और दांतों के लिए हितकारी है।
चमेली के फायदे और उपयोग
चमेली के फायदे, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैं :-
चमेली से सिर दर्द में आराम मिलता है
सिर दर्द में चमेली के पत्ते के इस्तेमाल से लाभ मिलता है, चमेली के तीन पत्तों को गुल रोगन के साथ पीस लें, इसे 2-2 बूंद नाक में टपकाने से सिर दर्द से आराम मिलता है।
चमेली मोतियाबिंद में फायेदमंद है
आप चमेली के फूलों से मोतियाबिंद का इलाज कर सकते हैं, मोतियाबिंद के उपचार के लिए चमेली के फूलों की 5-6 सफेद कोमल पंखुडियां लें, इसमें थोड़ी-सी मिश्री के साथ खरल कर लें, इसे आंख की फूली (मोतियाबिन्द) पर लगाएं, इससे कुछ दिनों में मोतियाबिंद ठीक हो जाता है।
चमेली वात दोष के रोग में फायेदमंद है
वात दोष के कारण शरीर में अनेक तरह की बीमारियां होने लगती हैं, वात दोष से लकवा, मासिक धर्म विकार आदि होने लगते हैं, इन विकारों के इलाज के लिए चमेली की जड़ को पीस लें, इसका लेप करने और तेल की मालिश करने से लाभ होता है।
चमेली से कान के बहने का इलाज होता है
- कान में अगर दर्द हो और कान से मवाद निकलती हो तो चमेली के 20 ग्राम पत्तों को तिल के 100 मिली तेल में उबाल लें, इसे छानकर कान में 1-1 बूंद डालें, इससे कान का बहना बंद हो जाएगा।
- चमेली के तेल में एलुवा मिला के कान में डालने से कान में होने वाली खुजली खत्म हो जाती है।
- चमेली के पत्तों के 5 मिली रस में 10 मिली गोमूत्र मिलाकर गुनगना कर लें, इसे कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
चमेली से जीभ के सूजन का इलाज होता है
जीभ में सूजन हो तो चमेली के इस्तेमाल से लाभ होता है, चमेली के नए पत्तों को पीसकर जीभ पर लगाएं, इससे जीभ की सूजन ठीक होती है, बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर मिलें।
चमेली मुंह के रोग में लाभदायक है
- पंचपल्लव (पटोल, निम्ब, जम्बू, आम्र और चमेली के पत्ते) का काढ़ा बना लें, इससे गरारा करने से मुंह के रोग जैसे- मुंह के छाले, मसूड़ों से जुड़ी परेशानी आदि की समस्या ठीक होती है।
- चमेली के 25 से 50 ग्राम पत्तों का काढ़ा बना लें, इसे गले में रखें, इसके साथ ही पत्तों को चबाने से मुंह के छालों और मसूड़ों के विकारों में लाभ होता है।
- बड़ के पीले पत्ते, चमेली, लाल चन्दन, कूठ, कालीयक चंदन और लोध्र को पीस लें, इससे मुंह पर लेप करें, इससे मुंह पर होने वाले मुंहासे, फोड़े-फुंसी ठीक हो जाते हैं।
- चमेली के 10 से 20 फूलों को पीसकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे की कान्ति बढ़ती है।
- चमेली की जाति के पत्ते, सुपारी और शीतल चीनी के चूर्ण में थोड़ा कपूर मिला लें, इसे जल की भावना देकर 250 मिग्रा की गोली बना लें, 1-1 गोली सुबह और शाम सेवन करें, इससे मुंह के सभी रोगों में लाभ होता है।
- चमेली की जाति के पत्ते, गुडूची, अंगूर, यवासा अथवा पाठा, दारुहल्दी और त्रिफला का काढ़ा बना लें, इसमें मधु मिलाकर, मुँह में भर लें, इसे गले के पास रखें, इससे मुंह के छाले की समस्या ठीक होती है।
- बराबर मात्रा में त्रिफला, पाठा, अंगूर और चमेली के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मुंह का छाला ठीक होता है।
चमेली पेट में कीड़े होने पर लाभदायक है
पेट में कीड़े होने पर चमेली के औषधीय गुण से फायदा मिलता है, चमेली के 10 ग्राम पत्तों को पीसकर पानी में मिला लें, इसे पीने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं।
चमेली पेट दर्द में लाभदायक है
पेट दर्द से आराम पाने के लिए चमेली के तेल को गर्म कर लें, इस तेल में रूई का फोहा भिगो लें, रूई को नाभि पर रखने से पेट दर्द ठीक होता है।
चमेली से नपुंसकता का इलाज होता है
- चमेली के फूल और पत्ते के रस को तेल में पका लें, इस तेल की मालिश करने से नपुसंकता में लाभ होता है।
- चमेली की जड़ को पीसकर लिंग (इन्द्रिय) पर लेप करने से संभोग शक्ति की कमी और नपुंसकता में लाभ होता है।
- चमेली के पत्ते के रस को तेल में पका लें, 10 मिली तेल में 2 ग्राम राई को पीसकर लिंग (मूत्रेंद्रिय), कमर और जांघों पर लेप करें, इससे नपुंसकता का इलाज होता है, यह लेप बहुत असरदायक है, इसलिए इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
- चमेली के 5 से 10 फूलों को पीसकर लिंग (कामेद्रियों) पर लेप करें, इससे संभोग शक्ति बढ़ती है।
चमेली एसीडिटी में फायदेमंद है
एसीडिटी से राहत पाने के लिए 10 से 20 मिली चमेली की जड़ का काढ़ा बना लें, इसका नियमित रूप से सेवन करने से एसीडिटी और गैस की समस्या में लाभ होता है।
चमेली मासिक धर्म विकार में लाभदायक है
- चमेली के 20 ग्राम पंचांग को आधा लीटर पानी में पका लें, जब काढ़ा एक चौथाई बचे तो 20 से 40 मिली मात्रा में सुबह-शाम पिलाएं, इससे मासिक धर्म के विकारों में लाभ होता है।
- चमेली के 10 से 20 फूलों को पीसकर नाभि और कमर पर लेप करें, इससे मासिक धर्म संबंधी विकारों में लाभ होता है।
चमेली सिफलिस में फायेदमंद है
- चमेली के पत्तों के 20 मिली रस और राल का चूर्ण लें, दोनों को मिलाकर 125 मिग्रा की मात्रा में रोज पीने से सिफलिस (उपदंश) रोग में लाभ होता है, इस दौरान सिर्फ गेहूँ की रोटी, दूध, चावल और घी, शक्कर का ही प्रयोग करना चाहिए।
- चमेली के पत्तों का काढ़ा बनाकर सिफलिस (उपदंश) वाले घाव को धोएं, इससे लाभ होता है।
- चमेली के पत्तों से काढ़ा बनाकर सुखा लें, इसे सुखोष्ण काढ़ा से घाव को धोने से फायदा होता है।
- त्रिफला के सुखोष्ण काढ़ा से अवगाहन करने से भी लिंग (मूत्रेंद्रिय) का तेज दर्द खत्म होता है।
चमेली पैरों की एड़ियों के फटने में फायेदमंद है
पैर की एड़ी के फटने पर चमेली के पौधे बहुत लाभदायक होते हैं, इसके लिए चमेली के पत्तों के ताजे रस को पैरों के फटी एड़ी पर लगाएं, इससे फायदा होता है।
चमेली घाव में फायदेमंद है
- चमेली के पत्तों के काढ़ा से घाव को धोने से घाव ठीक हो जाता है।
- चमेली के पत्तों को तेल में पका लें, इस तेल को लगाने से घाव भर जाता है।
चमेली रक्तपित्त में फायदेमंद है
कटु पटोल पत्ते, मालती पत्ते, नीमपत्ते, दोनों चन्दन और पठानी लोध्र लें, इनका काढ़ा बना लें, 20 से 40 मिली काढ़ा में मधु और मिश्री मिलाकर प्रयोग करने से रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहना) में लाभ होता है।
चमेली चर्म रोग में फायदेमंद है
- चमेली का तेल चर्म रोगों की एक अचूक और चमत्कारिक दवा है, इसको लगाने से सब प्रकार के जहरीले घाव, खाज, खुजली इत्यादि रोग बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं।
- चमेली के 8 से 10 फूलों को पीसकर लेप करें, इससे चर्मरोग और रक्तविकार के कारण होने वाले त्वचा के रोगों में लाभ होता है।
- चमेली की जड़ को पीसकर लेप करने से दाद का इलाज होता है।
चमेली फोड़े-फुन्सी में लाभदायक है
आप चमेली के औषधीय गुण से फोड़े-फुन्सी का उपचार कर सकते हैं, चमेली के फूलों को पीसकर लेप करने से फोड़े खत्म होते हैं।
चमेली बुखार के इलाज में फायदेमंद है
चमेली की पत्ती, आँवला, नागरमोथा और यवासा को बराबर मात्रा में लें, इसका काढ़ा बना लें, काढ़ा में गुड़ मिलाकर दिन में दो बार 30 मिली मात्रा में सेवन करें, इससे बुखार में लाभ होता है।
चमेली मूत्र रोग में फायदेमंद है
- चमेली के 10 से 20 फूलों को पीसकर नाभि और कमर पर लेप करें, इससे मूत्र रोग और मासिक धर्म संबंधी विकारों में लाभ होता है।
- चमेली शरीर की जलन में फायदेमंद है
- शरीर में जलन हो तो चमेली के इस्तेमाल से लाभ मिलता है, चमेली के फूलों से बने तेल का लेप करने से शरीर की जलन ठीक होती है, उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर मिलें।
चमेली कुष्ठ रोग में फायदेमंद है
चमेली की नई पत्तियाँ, इंद्र जौ, सफेद कनेर की जड़, करंज के फल और दारुहल्दी की छाल को मिलाकर पीस लें, इसका लेप करने से कुष्ठ रोग ठीक होता है, चमेली की जड़ का काढ़ा बना लें, 20 से 30 मिली काढ़ा का सेवन करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
चमेली के उपयोगी भाग
चमेली के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता है :-
- जड़
- पत्ते
- फूल
- पंचांग
- वाष्प से तैयार किया गया तेल।
चमेली का इस्तेमाल कैसे करें ?
चमेली को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए :-
- काढ़ा - 50 से 100 मिली
- चूर्ण - 1 से 3 ग्राम / 3 से 5 ग्राम।
चमेली से नुकसान
चमेली के सेवन से ये नुकसान हो सकते हैं :-
- इसके अधिक सेवन से गर्म प्रकृति वाले लोगों के सिर में दर्द होता है, इसके दर्द को ठीक करने के लिए, गुलाब का तेल और कपूर का प्रयोग करना चाहिए।
- यहां चमेली के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है, ताकि आप चमेली के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए चमेली का सेवन करने या चमेली का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
चमेली कहां पाया या उगाया जाता है ?
चमेली की बेल पूरे भारत में घरों, वाटिकाओं और मन्दिरों में सौन्दर्य बढ़ाने के लिए लगाई जाती हैं।
चव्य के फायदे | chavya ke fayde
- chameli ke fayde in hindi
- chameli tel ke fayde
- chameli phool ke fayde
- chameli flower ke fayde
- chameli attar ke fayde
- chameli ki jad ke fayde
- chameli ke tel ke fayde bataye
- chameli ke tel ke fayde
- chameli ke phool ke fayde
- chameli ke fayde hindi
- chameli oil ke fayde in hindi
- chameli ke tel ke kya fayde
- chameli k tel ke fayde
- chameli ka tel lagane ke fayde
- chameli ka oil ke fayde
- chameli plant ke fayde
- chameli ka upyog in hindi
- chameli tel ka upyog
- chameli ke phool ka upyog
- chameli powder
- chameli ka tel ka upyog
- chameli ke tel ka upyog
- chameli ke tel ke labh
- chameli ke fayde
- chameli ka paudha kaisa hota hai
- chameli ka paudha kaise lagaen
- chameli ka paudha kaisa dikhta hai
- chameli ka paudha dikhayen
- chameli ka paudha kaisa rahata hai
- chameli ka paudha phool
- chameli ka paudha dikhaiye
- chameli ka paudha aur phool
- chameli ka ped aur phool
- chameli ka podha
- chameli ka plant
- chameli ka tree
- champa chameli ka paudha
- chameli ka paudha kaise lagaya jata hai
- chameli ka ped dikhaiye
- chameli ka paudha kaisa hota
- chameli ka paudha kaisa hota hai video
- chameli ka ped kaisa hota hai
- chameli ka phool ka paudha kaisa hota hai
- chameli ka paudha image
- chameli ka podha images
- chameli ka paudha kaise lagaye
- chameli ke phool ka paudha
- chameli ka ped ka photo
- chameli ka ped video
- chameli ka paudha lagane ki vidhi
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
Do not spread any kind of dirt on this blog