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प्रस्तुतकर्ता
Dinesh Chandra
को
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नरकट के फायदे
बड़ानल को नरकट भी कहा जाता है, नरकट एक जड़ी-बूटी है और इसके कई सारे औषधीय गुण हैं, क्या आप यह जानते हैं कि मूत्र रोग, मासिक धर्म विकार, दाद-खाज-खुजली आदि में नरकट के इस्तेमाल से फायदे मिलते हैं, इतना ही नहीं त्वचा रोग, विसर्प रोग, टाइफाइ़ड, कुत्ते या कीड़े-मकौड़ों के काटने पर भी नरकट के औषधीय गुण से लाभ मिलता है, आयुर्वेद में नरकट के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं, आइए यहां नरकट से फायदे और नुकसान के बारे में जानते हैं।
narkat plant |
नरकट (बड़ानल) क्या है ?
आयुर्वेदिक ग्रंथों में नरकट के दो भेद किए हैं जो ये हैं :-
- नल
- महानल।
इसमें से नल को शीतवीर्य एवं रक्तपित्तहर कहा है, इसके पौधे जल प्रचुर, दलदली स्थानों में अधिक पाए जाते हैं, इसके झुप 3 से 8 मीटर ऊँचे, बांस जैसे, लेकिन बांस से थोड़े छोटे होते हैं, यहां नरकट के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है, ताकि आप नरकट के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
अन्य भाषाओं में नरकट (बड़ानल) के नाम
बड़ानल का वानस्पतिक नाम प्रैंग्माइटीज कर्का है और यह पोएसी कुल का है, इसके अन्य ये भी नाम हैं :-
- Hindi - बड़ानल, नरकट
- Sanskrit - नल, पोटगल, शून्यमध्य, धमन, रन्धी, कुक्षिरन्ध्र, कीचक
- English - जाएन्ट बेम्बैरीड, इटैलिएन या ग्रेट बैम्बू रीड
- Gujarati - नाली, नाइरी
- Tamil - कोरुक्कोई
- Telugu - अदाविकीकसागड्डी
- Bengali - गहानाल
- Nepali - नर्कट, धुलो नरकट
- Punjabi - बन्षि
- Marathi - नल
- Malayalam - नादम।
नरकट (बड़ानल) के औषधीय गुण
नरकट के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैं :-
नल मधुर, तिक्त, कषाय, शीत, किञ्चित् उष्ण, लघु, स्निग्ध और त्रिदोषहर होता है, यह दीपन, मूत्रशोधक, वृष्य, वीर्यवर्धक और रुचिकारक होता है, इसका प्रकन्द मृदुकारी, मूत्रल, बलकारक, उत्तेजक और स्तन्यस्रावनाशक होता है।
नरकट (बड़ानल) के फायदे और उपयोग
नरकट के फायदे, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैं :-
नरकट (बड़ानल) कीड़े-मकौड़े के काटने पर लाभदायक है
चन्दन, रास्ना, इलायची, हरेणु, नल, वञ्जुल, कूठ, लामज्जक लें, इसके साथ ही तगर, नल लें, इससे बने अगद का इस्तेमाल करने से कीड़े-मकौड़ों के काटने से होने वाली परेशानी में फायदा होता है, लूता दंशजन्य विषाक्त प्रभाव ठीक होता है।
नरकट (बड़ानल) मूत्र रोग में फायदेमंद है
पेशाब से संबंधित कई बीमारियों में नरकट के औषधीय गुण से फायदा होता है, आप बराबर मात्रा में नल, कूठ, कास, ईख और बला की जड़ लें, इसका काढ़ा बनायें, 10 से 20 मिली काढ़ा में मिश्री मिलाकर रोज सुबह ठंडा कर पीने से पेशाब के रुक-रुक कर होने की समस्या में लाभ होता है।
नल, पाषाणभेद, दर्भ, गन्ना, खीरा और विजयसार को समान मात्रा में लेकर कूट लें, इसे दूध में पकाएं, जब यह एक चौथाई बच जाए, तो घी मिलाकर पिलाने से पेशाब में दर्द और रुक-रुक कर पेशाब होने की बीमारी में लाभ होता है।
नल की जड़ का काढ़ा बनाकर 10 से 30 मिली मात्रा में सेवन करने से मूत्र के कई विकारों में लाभ होता है।
नरकट (बड़ानल) मासिक धर्म विकार में फायदेमंद है
मासिक धर्म विकार में बड़ानल के सेवन से फायदा मिलता है, इसके लिए 20 मिली नल की जड़ काढ़ा में 2 पिप्पली मिला लें, इसका सेवन करें इससे लाभ होता है।
नरकट (बड़ानल) से गठिया का इलाज होता है
गठिया के रोग में भी नरकट से फायदा ले सकते हैं, इसके लिए आपको नल की जड़ को पीस लेना है, इसे गुनगुना करके दर्द वाले स्थान पर लेप करना है, इससे बीमारी ठीक होती है।
नरकट (बड़ानल) त्वचा रोग का इलाज करता है
त्वचा रोग जैसे दाद-खाज या खुजली होने पर नरकट के गुण लाभ पहुंचाते हैं, इसके लिए नरकट की जड़ को पीसकर बीमारी वाले अंग पर लगाएं, इससे दाद-खाज-खुजली आदि त्वचा विकार ठीक होते हैं।
नरकट (बड़ानल) टाइफाइड रोग का इलाज करता है
बराबर मात्रा में नल, वेतस, मूर्वा और देवदारु की जड़ लें, इससे काढ़ा बना लें, 10 से 20 मिली काढ़ा का सेवन करने से टाइफाइड बुखार में लाभ होता है, उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
नरकट (बड़ानल) कुत्ते के काटने पर फायदेमंद है
कुत्ते के काटने पर शरीर में जो विष आता है, उसके उपचार के लिए नरकट का इस्तेमाल कर सकते हैं, 2 से 4 ग्राम नल की जड़ को पीस लें, इसका सेवन करें, इसके साथ ही कुत्ते के काटने वाले स्थान पर लेप करें, इससे विष के असर को कम करने में मदद मिलती है।
नरकट (बड़ानल) स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए लाभदायक है
कई महिलाओं को स्तनों में दूध की कमी होती है, आप नरकट (बड़ानल) के सेवन से दूध को बढ़ा सकती हैं, नल की जड़ का काढ़ा बना लें, 10 से 30 मिली मात्रा में सेवन करें, इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
नरकट (बड़ानल) से विसर्प रोग का इलाज होता है
शैवाल, नल की जड़, वीरा और गंधप्रियंगु का पेस्ट बना लें, पेस्ट में थोड़ा घी मिलाकर लेप करने से कफज दोष के कारण होने वाले विसर्प रोग में लाभ होता है।
हरड़, बहेड़ा, आँवला, पद्मकाष्ठ, खस, मंजीठ, कनेर लें, इसके साथ ही नल की जड़ और अनन्तमूल लें, सभी को जल से पीसकर लेप करने से कफज दोष के कारण होने वाले विसर्प रोग में लाभ होता है।
नल की जड़ को पीसकर थोड़ा घी मिलाकर लेप करने से भी विसर्प में लाभ होता है।
नरकट (बड़ानल) के उपयोगी भाग
नरकट के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता है :-
जड़।
नरकट (बड़ानल) का इस्तेमाल कैसे करें ?
नरकट को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए :-
- काढ़ा - 10 से 20 मिली
- पेस्ट - 2 से 4 ग्राम।
यहां नरकट के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है, ताकि आप नरकट के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए नरकट का सेवन करने या नरकट का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
नरकट (बड़ानल) कहां पाया या उगाया जाता है ?
बड़ानल भारत के हिमालय क्षेत्र में पाया जाता है, यह उष्ण घाटियों में 1000 मीटर की ऊँचाई तक एवं दलदलों में या नदियों के किनारे पर पाया जाता है।
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