गवेधुका के फायदे | gavedhuka ke fayde

वन्य बला के फायदे | vanya bala ke fayde

वन्य बला के फायदे

वन्यबला एक झाड़ीनुमा पौधा है, जो सड़कों के किनारे अपने आप उग जाता है, इसके तने से रेशे बनाये जाते हैं, इसलिए कई जगहों पर इसकी खेती भी की जाती है, आयुर्वेद के अनुसार यह पौधा बुखार से बचाव और संक्रमण को फैलने से रोकने में काफी उपयोगी है |  

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vanya bala ke fayde

वन्य बला क्या है ? 

वन्य बला २.४ मी ऊँचा, सीधा, रोमयुक्त शाकीय पौधा है, इसकी पत्तियां ३ से ९ सिराओं युक्त गोलाकार या अण्डाकार होती हैं, इस पौधे को कई जगहों पर बचाईता नाम से भी जाना जाता है, इसकी जड़े और पत्तियां सेहत के लिए बहुत उपयोगी और कई बीमारियों के इलाज में सहायक हैं। 

अन्य भाषाओं में वन्य बला के नाम 

इस पौधे का वानस्पतिक नाम यूरेना लोबाटा है और यह मालवेसी कुल का पौधा है, आइये जानते हैं कि अन्य भाषाओं में वन्यबला को किन नामों से जाना जाता है। 

  • Hindi : बचाईता
  • English : कॉसिन, महोइ, र्बुवीड 
  • Sanskrit : वन्य बला
  • Odia : बिलोकपसिव 
  • Bengali : बन ओकरा 
  • Nepali : नालुकुर्रो, बरियार  
  • Tamil : ओट्टाट्टी  
  • Telugu : वन भेंडी, पेड्डा भेंडा 
  • Malyalam : उरम, उरन | 

वन्य बला के औषधीय गुण 

  • इसकी मूल मूत्रल एवं बल्य होती है।
  • यह ज्वररोधी, कृमिघ्न, आमवातरोधी तथा उदर सक्रियता वर्धक होता है।
  • यह आक्सीकरण रोधी, सूक्ष्मजीवाणुरोधी, अतिसारारोधी, विषाणुरोधी, जीवाणुरोधी, व्याधिक्षमत्व नियामक, प्रमेहरोधी तथा प्रवाहिका रोधी होता है।

वन्य बला के फायदे और उपयोग 

आयुर्वेद के अनुसार मुंह और पेट के रोगों को दूर करने में वन्यबला बहुत उपयोगी है, आइये जानते हैं कि और किन बीमारियों के घरेलू इलाज के रूप में आप वन्यबला का उपयोग कर सकते हैं। 

वन्य बला मुंह के छालों को ठीक करती है 

अधिक तेल मसाले वाली चीजों का सेवन करना मुंह में छाले होने की एक मुख्य वजह है, वन्यबला के उपयोग से आप मुंह के छालों से आराम पा सकते हैं, इसके लिए वन्यबला की पत्तियों को चबाकर थोड़ी-थोड़ी देर में थूकते रहें। 

वन्य बला गले की जलन दूर करती है 

अगर आप गले की जलन से परेशान हैं, तो इसे अनदेखा ना करें बल्कि घरेलू उपायों की मदद से इसका इलाज करें, वन्यबला के फूलों का काढ़ा बनाकर उससे गरारे करें, ये गरारे करने से गले की जलन दूर होती है। 

इसी तरह वन्यबला के फूल, पत्तियां साथ में जामुन की पत्तियां और अदरक मिलाकर काढ़ा बना लें, इस काढ़े में थोड़ा सा नमक मिलाकर गरारा करने से गले की जलन में आराम मिलता है। 

वन्य बला पेट के रोगों के इलाज में सहायक है 

पेट से जुड़े रोगों जैसे कि अपच, कब्ज, पेट फूलना या पेट में दर्द आदि के इलाज में वन्यबला का उपयोग करना फायदेमंद है, आइये जानते हैं अलग-अलग बीमारियों में कैसे करें वन बला का उपयोग :- 

  • वन्य बला के फल के चूर्ण का सेवन करें, इससे कफ बाहर निकलता है और पेट के रोगों में फायदा मिलता है।
  • अगर आपके पेट में दर्द हो रहा हो तो वन्य बला की पत्तियों के सत् का प्रयोग करें, इससे दर्द से आराम मिलता है। 
  • वन्य बला के बीजों का फॉण्ट बनाकर पीने से पेट में मौजूद कीड़े खत्म होते हैं, हालांकि खुराक के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह जरूर लें। 
  • अगर आप पेचिश से परेशान हैं, यानि कि मल के साथ खून निकल रहा है, तो इसे अनदेखा ना करें, पेचिश की रोकथाम के लिए आयुर्वेद में कई घरेलू उपाय बताए गए हैं, इनमें से एक है वन्य बला का उपयोग करना, इसके लिए वन्य बला की जड़ का काढ़ा बनाकर १० से ३० मिली की मात्रा में इसका सेवन करें। 
  • पेट में सूजन होने पर वन्य बला की पत्तियों को उबालकर पीस लें, इसके बाद पेट पर इसका लेप करें, इससे सूजन कम होती है। 
  • ३ भाग वन्य बला पत्तियों के चूर्ण में १ भाग अजवायन चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें, इससे पेट के दर्द से आराम मिलता है।

वन्य बला धातु रोग और असामान्य रक्तस्राव की रोकथाम में फायदेमंद है 

असामान्य ब्लीडिंग और अनियमित माहवारी से परेशान महिलाओं के लिए वन्य बला काफी उपयोगी है, इसके लिए वन्य बला की पत्तियां, फूल, फल और तने की छाल को मिलाकर कूट लें, इसमें पानी और मिश्री मिलाकर शरबत बनाकर पिएं, यह शरबत डायबिटीज, धातु रोग, असामान्य रक्तस्राव जैसे रोगों में काफी फायदा पहुंचाता है।

वन्य बला मोच में होने वाले दर्द से आराम दिलाती है 

पैरों में मोच आ जाने पर बहुत तेज दर्द होने लगता है, इस दर्द से आराम पाने के लिए वन्य बला की पत्तियों को पीसकर लगाएं या फिर इसकी पत्तियों को गरम करके तेल लगाकर मोच वाली जगह पर बाँध दें, ऐसा करने से मोच की समस्या जल्दी ठीक होती है।

वन्य बला गठिया के दर्द से आराम दिलाती है 

बढ़ती उम्र में जोड़ों में दर्द होना एक आम समस्या है, अगर आप भी इससे परेशान हैं तो वन्यबला का उपयोग करें, विशेषज्ञों के अनुसार वन्य बला की जड़ को पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया के दर्द से आराम मिलता है।

वन्य बला घावों को ठीक करने में सहायक है 

त्वचा में कहीं भी घाव होने पर उसे सामान्य समस्या समझकर अनदेखा ना करें, कई बार ये घाव आगे चलकर गंभीर समस्या बन जाते हैं, इन घावों को आप आयुर्वेद में बताए गए कई घरेलू उपचारों की मदद से ठीक कर सकते हैं। 

वन्य बला की पत्तियों को पीसकर घाव पर लगाने से घाव ठीक होता है, इसी तरह वन्य बला की जड़ को पीसकर घाव पर लगाने से सूजन और दर्द में कमी आती है। 

वन्य बला शरीर की कमजोरी दूर करती है 

अगर आप थोड़ी देर मेहनत करने के बाद थक जाते हैं या अक्सर कमजोरी महसूस करते हैं तो वन्य बला का उपयोग करें, इसके लिए वन्य बला के बीज के चूर्ण की २ ग्राम मात्रा लें और उसमें मिश्री मिला लें, इसे रोजाना सुबह-शाम दूध के साथ लें, इसके सेवन से कुछ ही हफ़्तों में कमजोरी दूर होने लगती है।  

ऊपर बताए गए रोगों के अलावा भी विशेषज्ञों का मानना है कि वन्य बला डायबिटीज, यूटीआई, बवासीर आदि रोगों के इलाज में उपयोगी है, हालांकि अगर आप इन गंभीर रोगों के घरेलू इलाज के रूप में वन्य बला का सेवन करना चाहते हैं, तो नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें। 

वन्य बला के उपयोगी भाग  

आयुर्वेद के अनुसार वन्य बला की जड़ें और पत्तियां सेहत के लिए बहुत उपयोगी हैं। 

वन्य बला का इस्तेमाल कैसे करें ? 

वन्य बला उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अनुसार ही करना चाहिए। 

वन्य बला कहां पायी या उगाई जाती है ? 

वन्य बला अपने आप उगने वाला पौधा है, यह सड़कों के किनारे खरपतवार के रूप में नजर आता है, देश के कई हिस्सों में इसकी खेती भी की जाती है।

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