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प्रस्तुतकर्ता
Dinesh Chandra
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जल पिप्पली के फायदे
जल पीपल पानी में उगने वाला एक पौधा है, जिसका फल दिखने में पिप्पली की तरह होता है, इसीलिए इसे जल पिप्पली भी कहा जाता है, आयुर्वेद में जल पिप्पली के कई गुणों का उल्लेख़ है, खासतौर पर पेट के रोगों जैसे कि कब्ज, बवासीर आदि के इलाज में यह जड़ी बूटी बहुत कारगर है, कश्मीर में पायी जाने वाली जल पिप्पली को औषधि की दृष्टि से सबसे अच्छा माना गया है, इस लेख में हम आपको जल पिप्पली के फायदे, नुकसान और औषधीय गुणों के बारे में बता रहे हैं |
जल पिप्पली के फायदे |
जल पिप्पली क्या है ?
यह १५ से ३० सेमी ऊंचाई वाला पौधा है, जो मानसून के मौसम में ज्यादा नजर आता है, इसका तना गोल, हरे और पीले रंग का होता है, जल पीपल के पौधे से मछली जैसी गंध आती है, इसके फूल बहुत छोटे आकार के गुलाबी और बैगनी रंग के होते हैं, यही फूल बाद में बढ़कर फल बन जाते हैं और छोटी पिप्पली जैसे नजर आते हैं |
अन्य भाषाओं में जल पिप्पली के नाम
जल पिप्पली का वानस्पतिक नाम फाइला नोडीफ्लोरा है, यह वर्बीनेसी कुल का पौधा है, आइए जानते हैं कि अन्य भाषाओं में इसे किन नामों से जाना जाता है :-
- Hindi – जलपीपल, लुन्ड्रा, भुईओकरा, बुक्कनबूटी
- Sanskrit – जलपिप्पली, शारदी, शकुलादनी, मत्स्यादनी, मत्स्यगन्धा
- English – पर्पल लिप्पिया, फ्रोग फ्रैट, केप बीड
- Odia – बुक्कम, विषायन
- Konkadi – अदली
- Kannad – नेरूपिप्पली
- Gujrati – रतोलिया, रतुलियो
- Tamil – पोडुकेली, पोडुटलई
- Telugu – बोकेनाकु, बोकन्ना
- Nepali – जलपिप्पली, एकामर
- Punjabi – बकन, बुकन, जलनीम
- Marathi – रतोलिया, जलपिम्पली
- Malyalam – कट्टुट्टीप्पली
- Manipuri – चिन्गलेन्गबी
- Persian – बुक्कुन |
जल पिप्पली के औषधीय गुण
- जलपिप्पली कटु, तिक्त, कषाय, शीत, लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण, कफ पित्तशामक तथा वातकारक होती है।
- जलपिप्पली हृद्य, चक्षुष्य, शुक्रल, संग्राही, अग्निदीपक, रुचिकारक, मुखशोधक तथा पारद के विकारों का शमन करने वाली होती है।
- यह दाह, व्रण, पित्तातिसार, श्वास, तृष्णा, विष, भम, मूर्च्छा, कृमि, ज्वर तथा नेत्ररोगशामक होती है।
- जलपिप्पली प्रशामक, मूत्रल, स्तम्भक, कामोत्तेजक, क्षतिविरोहक, उदरसक्रियतावर्धक, कृमिरोधी, ज्वरहर, वाजीकारक, शीतलताकारक, पूयजनन तथा विषनाशक है।
- जलपिप्पली हृदय रोग, रक्तविकार, नेत्र रोग, तमकश्वास, श्वसन-नलिका-शोथ, पिपासा, मूर्च्छा, व्रण, ज्वर, प्रतिश्याय, विबन्ध, जानुशूल तथा मूत्राघात शामक होता है।
जल पिप्पली के फायदे और उपयोग
आइए जानते हैं कि आयुर्वेद में जल पिप्पली के किन-किन फायदों के बारे में बताया गया है :-
जल पिप्पली सिरदर्द से आराम दिलाती है
ज्यादा काम करने या नींद पूरी ना होने से सिर में दर्द होना एक आम बात है, अधिकांश लोग सिरदर्द होते ही पेनकिलर दवाएं खाकर दर्द से आराम पा लेते हैं, जबकि ये सही तरीका नहीं है, इसकी बजाय आपको घरेलू उपाय अपनाने चाहिए, आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार जल पिप्पली की पत्तियों को पीसकर माथे पर लगाने से सिरदर्द से आराम मिलता है।
जल पिप्पली नाक से खून बहने की समस्या से राहत दिलाता है
गर्मियों के दिनों में अक्सर नकसीर फूटने के कारण नाक से खून रिसने लगता है, आयुर्वेद के अनुसार जल पिप्पली के पत्तों को पीसकर माथे पर लगाने से नकसीर में लाभ मिलता है।
जल पिप्पली दांत दर्द से आराम दिलाती है
दांतों में दर्द होने पर जल पिप्पली का उपयोग करना लाभकारी माना गया है, इसके लिए जल पिप्पली की पत्तियों और रसोन को पीसकर दांतों में मलें, ऐसा करने से दांत का दर्द दूर होता है।
जल पिप्पली सांस से जुड़ी दिक्कतों में फायदा पहुंचाती है
वातावरण में बढ़ते प्रदूषण और धूम्रपान की वजह से सांस की बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है, ऐसे में आयुर्वेद में बताए कुछ घरेलू उपाय अपनाकर आप सांस की तकलीफ को कम कर सकते हैं, आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार जल पिप्पली की पत्तियों के रस की १ से २ ग्राम मात्रा में २ से ४ नग काली मिर्च का चूर्ण मिलाएं, इसके सेवन से सांस से जुड़ी समस्याओं में आराम मिलता है |
जल पिप्पली दस्त रोकने में सहायक है
अगर आप दस्त से परेशान हैं, तो जल पीपल और सारिवा से बने काढ़े का सेवन करें, ध्यान रखें कि इस काढ़े को १० से २० मिली की मात्रा में ही लें |
जल पिप्पली बवासीर के मरीजों के लिए उपयोगी है
जंक फ़ूड के अधिक सेवन और खराब जीवन शैली के कारण आज के समय में अधिकांश लोग कब्ज से परेशान रहते हैं, बवासीर होने की सबसे प्रमुख वजह भी कब्ज ही है, आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार जल पिप्पली की पत्तियां बवासीर के दर्द से आराम दिलाने में मदद करती हैं |
इसके लिए १ से ३ ग्राम जल पीपल की पत्तियों को पीसकर उसमें ५०० मिलीग्राम काली मिर्च और ५ ग्राम मिश्री मिलाकर पीस लें और छान लें, छानने के बाद इसे पिएं और पीने के कुछ ही देर बाद कोई चिकनाई युक्त पदार्थ खाएं, इससे बवासीर में आराम मिलता है |
इसी तरह अगर आपको बवासीर के मस्सों में पिछले २ से ४ दिनों से दर्द और खुजली हो रही है, तो जलपिप्पली की पत्तियों को पीसकर गाय के मक्खन में मिलाकर मस्सों पर लगाएं |
जल पिप्पली पेशाब के दौरान दर्द और जलन से राहत दिलाता है
अगर आपको पेशाब करते समय दर्द और जलन महसूस होती है, तो ऐसे में जल पिप्पली का उपयोग आपके लिए फायदेमंद है, इसके लिए १ से ३ ग्राम जल पीपल की ताज़ी पत्तियों को पीसकर उसमें जीरा मिलाकर पिएं, इससे दर्द और जलन दोनों में आराम मिलता है |
जल पिप्पली गोनोरिया के इलाज में फायदेमंद है
गोनोरिया एक यौन संचारित बीमारी एसटीडी है और इसके लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए, अगर आपको गोनोरिया के लक्षण नजर आते हैं, तो डॉक्टर के पास जाएं और साथ में घरेलू उपाय भी अपनाएं, आयुर्वेद के अनुसार १ से ३ ग्राम जल पीपल की ताज़ी पत्तियों को पीसकर, छानकर दिन में तीन बार पीने से गोनोरिया में फायदा मिलता है |
जल पिप्पली हाथ-पैरों की जलन और जोड़ों का दर्द दूर करती है
जल पीपल की पत्तियों में ऐसे औषधीय गुण होते हैं, जो जोड़ों के दर्द और जलन को दूर करने में मदद करते है, अगर आप जोड़ों के दर्द से परेशान हैं या आपके हाथ पैरों में जलन हो रही है, तो प्रभावित हिस्से पर जल पीपल की पत्तियों को पीसकर उसका लेप करें, इससे कुछ ही देर में दर्द और जलन दूर हो जाती है |
जल पिप्पली चेहरे की झाई मिटाने में मदद करती है
अगर आपके चहरे पर झाइयाँ हैं, तो जल पिप्पली का उपयोग आपके लिए बहुत फायदेमंद है, आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि जलपीपल की पत्तियों को पीसकर चेहरे पर लगाने से झाइयाँ दूर होती हैं, अधिक जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क जरूर करें |
जल पिप्पली रक्तपित्त की समस्या को ठीक करती है
नाक या कान से खून बहने की समस्या को आयुर्वेद में रक्तपित्त कहा गया है, यह समस्या गर्मियों में ज्यादा देखने को मिलती है, २ से ४ ग्राम जल पीपल पञ्चाङ्ग चूर्ण को या जलपीपल पञ्चाङ्ग को दूध के साथ पीसकर छान लें, छानने के बाद इसमें शक्कर मिलाकर पिएं, इससे रक्तपित्त में जल्दी लाभ मिलता है।
जल पिप्पली के उपयोगी भाग
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार जल पिप्पली की पत्तियां और पंचांग सेहत के लिए बहुत उपयोगी हैं |
जल पिप्पली का इस्तेमाल कैसे करें ?
आमतौर पर १० से २० मिली जल पिप्पली के उपयोग की सलाह दी जाती है, अधिक जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क जरूर करें |
जल पिप्पली कहां पायी या उगायी जाती है ?
यह विश्व में श्रीलंका, बलुचिस्तान, अफ्रीका एवं अन्य देशों में उष्णकटिबंधीय भागों में प्राप्त होता है, यह भारत में विशेषत दक्षिण के राज्यों में यह पायी जाती है, बारिश के मौसम में यह ज्यादा फैलती है, कश्मीर में पायी जाने वाली जल पिप्पली को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
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