गवेधुका के फायदे | gavedhuka ke fayde

बांदा के फायदे | banda ke fayde

बांदा के फायदे

बांदा के पौधे अक्सर किसी और पेड़ पर उगते हैं और ऐसा माना जाता है कि जिस पेड़ पर ये उगते हैं, वह पेड़ जल्दी ही सूख जाता है, यही कारण है कि पेड़ के जिस हिस्से पर यह पौधा उगता है, उस हिस्से को काट दिया जाता है, अपने इस अवगुण के बावजूद भी यह हम सबकी सेहत के लिए बहुत उपयोगी है | 

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बांदा क्या है ? 

बांदा का पौधा हिमालय की पहाड़ियों के साथ-साथ दक्षिण भारत के मैदानी भागों में पाया जाता है, इसकी शाखाएं गोल, चिकनी और लगभग ९० से १२० सेमी लम्बी होती हैं और पेड़ से लटकती हुई रहती हैं, इसके फूलों का रंग नारंगी, लाल और हल्का गुलाबी होता है, इसके फल अंडे के आकार में लगभग १.३ सेमी लंबे और ०.६ सेमी की गोलाई लिए होते हैं और पकने के बाद ये गुलाबी रंग के नजर आते हैं |  

अन्य भाषाओं में बांदा के नाम 

बांदा का वानस्पतिक नाम डेन्ड्रोप्थीं फॉलकैटा है और यह लोरेन्थैसी कुल का पौधा है | 

  • Hindi : बन्दा, बांदा, बंदाक
  • English : Sickle mistletoe
  • Sanskrit : वन्दा, बान्दा, वृक्षादनी, वृक्षरुहा, वृक्षभक्ष्या
  • Urdu : बांदा 
  • Odia : ब्रीडहोन्गो, मडंग 
  • Kannad : वनधूलू 
  • Guzrati : बांदो 
  • Tamil : पुल्लरी, पुल्ल्रुबी  
  • Telugu : बादनीका 
  • Bengali : बरमांदा, मान्दा 
  • Nepali :ऐजेरु 
  • Punjabi : अमुट 
  • Marathi : बांडागुल 
  • मलयालम : इट्टक्कान्नी | 

बांदा के औषधीय गुण 

  • बान्दा मधुर, तिक्त, कषाय, शीत, लघु, रूक्ष तथा त्रिदोषहर, विशेषत कफपित्तशामक होता है।
  • यह व्रणरोपक, रसायन, वृष्य, ग्राही, विषघ्न, मूत्रविरेचक, शोफ, व्रण, विष, ग्रह, वातविकार, अश्मरी, शर्करा, मूत्रकृच्छ्र, मूत्राघात तथा वातरक्त में लाभप्रद होता है।
  • इसकी त्वक् स्तम्भक तथा मादक होती है।
  • इसका पौधा शीतल, वाजीकर तथा मूत्रल होता है।
  • इसकी काण्डत्वक् व्रण, मासिकस्राव विकृति, श्वास तथा उन्माद में लाभप्रद होती है।

बांदा के फायदे और उपयोग 

  • बांदा के औषधीय गुणों के आधार पर आयुर्वेदिक विशेषज्ञों द्वारा इसे सेहत के लिए बहुत उपयोगी माना गया है, आइए जानते हैं कि किन बीमारियों और समस्याओं के घरेलू इलाज के लिए बांदा का उपयोग किया जा सकता है | 
  • बांदा कान के दर्द से आराम दिलाने में उपयोगी है  
  • अगर आप कान के दर्द से परेशान हैं, तो राहत पाने के लिए बांदा की पत्तियों का उपयोग कर सकते हैं, इसके लिए इन पत्तियों का रस निकाल लें और १ से २ बूँद रस कान में डालें, इसे डालने से कान के दर्द में आराम मिलता है |  

बांदा मुंह में छाले की समस्या से राहत दिलाता है 

ज्यादा तैलीय और मसालेदार भोजन करने से मुंह में छाले पड़ जाते हैं, हालाँकि इनके अलावा भी कई अन्य कारण हैं, जिनकी वजह से मुंह में छालों की समस्या होती है, मुंह के छालों से आराम पाने के लिए बांदा के पत्तों का काढ़ा बनाकर उससे गरारे करें |  

बांदा पेट दर्द दूर करने में सहायक है 

पेट में हल्का दर्द होने पर आप घरेलू उपायों की मदद से दर्द से राहत पा सकते हैं, आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार, बांदा के पञ्चाङ्ग चूर्ण और रसोन के कन्दों को काञ्जी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द में लाभ होता है।

बांदा दस्त रोकने में मदद करता है 

दस्त होना एक आम समस्या है और अक्सर खराब खानपान या फूड पाइजनिंग की वजह से यह समस्या होती है, अगर आप दस्त से परेशान हैं और घरेलू उपायों की मदद से इससे आराम पाना चाहते हैं, तो बांदा का उपयोग करें, इसके लिए बेर, आम, जामुन या बबूल के पेड़ों पर होने वाले बांदा के पत्तों के रस का सेवन करें, यह रस दस्त को रोकने में कारगर है।

बांदा गर्भपात की रोकथाम में सहायक है 

गर्भावस्था के तीसरे महीने में गर्भपात की आशंका होने पर बंदाक, पयस्या, गुडूची, कमल तथा अनन्तमूल का सेवन दूध के साथ करना लाभकारी होता है, इसके सेवन से गर्भपात की संभावना कम होती है |  

बांदा हाथी पाँव की समस्या के इलाज में सहायक है 

बंदाक की जड़ के चूर्ण १ से २ ग्राम को घी के साथ सेवन करने से साथ ही इसकी जड़ को जाँघों में सूत्र से बांधने पर हाथी पांव में लाभ होता है, अगर आप हाथी पाँव की समस्या से ग्रसित हैं, तो किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ के परामर्श अनुसार बांदा का उपयोग करें |  

बांदा बुखार कम करने में उपयोगी है 

बुखार होने पर अधिकांश लोग घरेलू उपचार से ही इलाज करने का प्रयास करते हैं, दरअसल अधिकांश घरेलू इलाज बुखार से राहत दिलाने में काफी कारगर हैं, विशेषज्ञों के अनुसार बुखार होने पर आप बांदा का इस्तेमाल कर सकते हैं, इसके लिए सुबह बांदा और बिल्व फल मज्जा से बने चूर्ण १ से २ ग्राम को छाछ और घी के साथ सेवन करें, इसके सेवन से बुखार में आराम मिलता है।

बांदा के उपयोगी भाग 

विशेषज्ञों के अनुसार बांदा के निम्न भाग सेहत के लिए उपयोगी हैं :- 

  • जड़ 
  • पत्तियां 
  • फल 
  • फूल | 

बांदा का उपयोग कैसे करें 

अगर आप बांदा का उपयोग किसी बीमारी के घरेलू उपाय के रूप में करना चाहते हैं, तो पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें |  

बांदा कहां पाया या उगाया जाता है 

बांदा का पौधा विश्व में उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, उष्णकटिबन्धीय एशिया तथा श्रीलंका में पाया जाता है, पूरे भारत में यह पर्णपाती वनों में, हिमालय में ९०० से २३०० मी की ऊँचाई पर पाया जाता है, इसके अलावा यह जम्मू-कश्मीर से भूटान, गंगा के मैदानी भागों में असम से दक्षिण की ओर केरल तक मैदानी, पहाड़ी एवं प्रायद्वीपों में पाया जाता है।

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