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प्रस्तुतकर्ता
Dinesh Chandra
को
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इलायची के फायदे
इलायची का सेवन आमतौर पर मुखशुद्धि के लिए अथवा मसाले के रूप में किया जाता है, यह दो प्रकार की आती है- हरी या छोटी इलायची तथा बड़ी इलायची, जहाँ बड़ी इलायची व्यंजनों को लजीज बनाने के लिए एक मसाले के रूप में प्रयुक्त होती है, वहीं हरी इलायची मिठाइयों की खुशबू बढ़ाती है, मेहमानों की आवभगत में भी इलायची का इस्तेमाल होता है, लेकिन इसकी महत्ता केवल यहीं तक सीमित नहीं है, यह औषधीय गुणों की खान है, संस्कृत में इसे एला कहा जाता है।
इलायची के फायदे |
छोटी इलायची को संस्कृत में एला, तीक्ष्णगंधा इत्यादि और लैटिन में एलेटेरिआ कार्डामोमम कहते हैं, भारत में इसके बीजों का उपयोग अतिथिसत्कार, मुखशुद्धि तथा पकवानों को सुगंधित करने के लिए होता है, ये पाचनवर्धक तथा रुचिवर्धक होते हैं, आयुर्वेदिक मतानुसार इलाचयी शीतल, तीक्ष्ण, मुख को शुद्ध करने वाली, पित्तजनक तथा वात, श्वास, खाँसी, बवासीर, क्षय, वस्तिरोग, सुजाक, पथरी, खुजली, मूत्रकृच्छ तथा हृदयरोग में लाभदायक है, इलायची के बीजों में एक प्रकार का उड़नशील तैल (एसेंशियल ऑएल) होता है।
इलायची का परिचय :-
छोटी इलायची का पौधा सदा हरा तथा पाँच फुट से १० फुट तक ऊँचा होता है, इसके पत्ते बर्छे की आकृति के तथा दो फुट तक लंबे होते हैं, यह बीज और जड़ दोनों से उगता है, तीन चार वर्ष में फसल तैयार होती है तथा इतने ही काल तक इसमें गुच्छों के रूप में फल लगते हैं, सूखे फल बाजार में छोटी इलायची के नाम से बिकते हैं, पौधे का जीवकाल १० से लेकर १२ वर्ष तक का होता है, समुद्र की हवा और छायादार भूमि इसके लिए आवश्यक हैं, इसके बीज छोटे और कोनेदार होते हैं, मैसूर, मंगलोर, मालाबार तथा श्रीलंका में इलायची बहुतायत से होती है।
प्रकार और वितरण
इलायची की जो दो प्रमुख प्रजातियाँ हैं उनका वितरण इस प्रकार है:-
- अलटेरिया :- जिसे हरी या छोटी इलायची भी कहते हैं, भारत से लेकर मलेशिया तक उगाई जाती है।
- ऍमोमम :- जिसे बड़ी इलायची, काली इलायची, भूरी इलायची, नेपाली इलायची, बंगाल इलायची या लाल इलायची भी कहते हैं, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में उगाई जाती है।
इलायची का औषधीय गुण :-
- खराश :- यदि आवाज बैठी हुई है या गले में खराश है, तो सुबह उठते समय और रात को सोते समय छोटी इलायची चबा-चबाकर खाएँ तथा गुनगुना पानी पीएँ।
- सूजन :- यदि गले में सूजन आ गई हो, तो मूली के पानी में छोटी इलायची पीसकर सेवन करने से लाभ होता है।
- खाँसी :- सर्दी-खाँसी और छींक होने पर एक छोटी इलायची, एक टुकड़ा अदरक, लौंग तथा पाँच तुलसी के पत्ते एक साथ पान में रखकर खाएँ।
- उल्टी :- बड़ी इलायची पाँच ग्राम लेकर आधा लीटर पानी में उबाल लें, जब पानी एक-चौथाई रह जाए तो उतार लें, यह पानी पीने से उल्टियाँ बंद हो जाती हैं।
- छाले :- मुँह में छाले हो जाने पर बड़ी इलायची को महीन पीसकर उसमें पिसी हुई मिश्री मिलाकर जबान पर रखें, तुरंत लाभ होगा।
- बदहजमी :- यदि केले अधिक मात्रा में खा लिए हों, तो तत्काल एक इलायची खा लें, केले पच जाएँगे और आपको हल्कापन महसूस होगा।
- जी मिचलाना :- बहुतों को यात्रा के दौरान बस में बैठने पर चक्कर आते हैं या जी घबराता है, इससे निजात पाने के लिए एक छोटी इलायची मुँह में रख लें।
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