गवेधुका के फायदे | gavedhuka ke fayde

अजवायन के फायदे

अजवायन के फायदे 

अजवायन एक झाड़ीनुमा वनस्पति है, जो मसाला एवं औषधि के रूप में प्रयुक्त होती है, छोटे पैमाने पर इसकी खेती की जाती है, अजवायन सत मधुमखियों के लिए एक वरदान है, अजवायन सत मधुमक्खी मैं कई रोगों मैं काम आता है, जैसे माइट, रोबिन फ़ास्ट वर्किंग जैसे काम करता हैं।

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अजवायन के फायदे 

अजवायन के गुण :-

अजवायन के बहुत से गुण हैं, इसे अपने साथ यात्रा में भी रखा जा सकता है, इसका प्रयोग रोगों के अनुसार कई प्रकार से होता है, यह मसाला, चूर्ण, काढ़ा, क्वाथ और अर्क के रूप में भी काम में लाई जाती है, इसका चूर्ण बनाकर व आठवाँ हिस्सा सेंधा नमक मिलाकर २ ग्राम की मात्रा में जल के साथ सेवन किया जाए तो पेट में दर्द, मन्दाग्नि, अपच, अफरा, अजीर्ण तथा दस्त में लाभकारी होती है, इसका सेवन दिन में तीन बार करना चाहिए।

अजवायन को रात में चबाकर गरम पानी पीने से सवेरे पेट साफ हो जाता है, अजवायन का चूर्ण बच्चों को २ से ४ रत्ती और बड़ों को दो ग्राम, गुड़ में मिलाकर दिन में तीन-चार बार दिया जाए तो पेट के कीड़े बाहर निकल जाते हैं, रात को पेशाब आने पर भी इसके सेवन से लाभ होता है, अजवायन के फूल को शक्कर के साथ तीन-चार बार पानी से लेने से पित्ती की बीमारी ठीक होती है।

अजवायन को सेंक कर चूर्ण बनाकर शरीर की गर्मी कम होने या पसीना आने पर पैर के तलवों और शरीर पर मालिश करने से उष्णता आती है, हैजे या सन्निपात में शरीर की मालिश करने से उष्णता आती है, अजवायन के 4 रत्ती फूल, 4 रत्ती गिलोय सत्व के साथ मिलाकर चर्म रोगों में ऊँगलियों के काम न करने पर, वायु के दर्द, रक्तचाप और ब्लडप्रेशर में लाभप्रद सिद्ध होता है, अजवायन के फूल को शहद में मिलाकर ले तो कफ आना रुकता है, खाँसी या कफ की दुर्गन्ध खत्म होती है, इसका एक छटॉक अर्क पुरानी खॉसी, बड़ी खॉसी तथा कफ में लाभकारी होता है, इसका अर्क या तेल 10-15 बूँद बराबर लेते रहने से दस्त बंद होते हैं, इसका चूर्ण दो-दो ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार लेने से ठंड का बुखार शान्त होता है, अजवाइन मोटापे कम करने में भी उपयोगी होती है, रात में एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में भिगो दें, सुबह छान कर एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीने से लाभ होता है, इसके नियमित सेवन से मोटापा कम होता है।

१०० तोले पानी में अजवायन के फूल का चूर्ण मिलाकर उस घोल से धोने पर घाव, दाद, खुजली, फुंसियाँ आदि चर्मरोग नष्ट होते हैं, अजवायन वायु को नष्ट करने और बल को बढ़ाने में सहायक है, इसके तेल की मालिश से शरीर दर्द रहीत होता है, इसका चूर्ण गरम पानी के साथ लेने से या अर्क को गुनगुना करके पीने से इसका प्रकोप शान्त होता है, इसका प्रयोग प्रसव के बाद अग्नि की प्रदिप्त करने और भोजन को पचाने, वायु एवं गर्भाशय को शुद्ध करने के निमित्त किया जाता है, इसका प्रयोग घर पे समय चूर्ण २ से ४ ग्राम, तेल हो तो ४ ग्राम बूंद, फूल हो तो १ रत्ती और अर्क हो तो ५० ग्राम तक मात्रा रखनी चाहिए।

अजवायन का मिश्रण- अजवायन एक तोला, छोटी हरड़ का चूर्ण आधा तोला, सेंधा नमक पाव तोला, हींग पाव तोला का चूर्ण बनाकर रखें और ३-३ ग्राम की मात्रा में जल के साथ लें तो पेट दर्द, जलन, अफरा और मलमूत्र की रूकावट दूर होती है, अजवायन, सोंठ, काली मिर्च तथा छोटी इलायची का समान मात्रा में चूर्ण बनाकर सुबह शाम तीन-चार बार लेने से पाचन क्रिया ठीक होती है और पेट का दर्द भी ठीक होता है, नई अजवायन का एक छटॉक, नीबूं का रस एक छटॉक, नमक २ तोला, इन्हें मिलाकर किसी बरतन में रखकर कपड़े से उसका मुख बन्द कर दें और दिन में धूप में सेंके, सूखने पर उसे २ से ४ ग्राम लेने से पेट के सभी रोग नष्ट होते हैं।

अजवायन खाने के फायदे :-

  • कान का दर्द :- अजवायन के तेल १० बूँद में शुद्ध सरसों का तेल ३० बूँद मिलाए, फिर उसे धीमी आग पर गुनगुना करके दर्द वाले कान में ४-५ बूँद डालकर, ऊपर से साफ़ रुई का फाहा लगा दे, बाल और अजवायन मिलाकर पोटली बना ले, उस पोटली से सिकाई भी करे, दिन में २-३ बार यह प्रयोग करने से लाभ हो जाएगा |
  • पथ्य :- पतला दलिया, हलुआ या कफ-नाशक पदार्थो का सेवन कराए, बासी व गरिष्ठ भोजन न दे |
  • दातो में दर्द :- अजवायन के तेल में भीगे हुए रुई के फाहे को रोग-ग्रस्त दात पर लगाकर, मुख नीचे करके लार टपकाने से दर्द बंद हो जाता है |
  • संधि शूल :- शरीर के जोड़ो में किसी भी प्रकार का दर्द होने पर अजवायन के तेल की मालिश करनी चाहिए |
  • ह्रदय-शूल :- अजवायन खिलाते ही ह्रदय में होने वाला दर्द शांत होकर ह्रदय में उत्तेजना बढ़ जाती है |
  • उदर शूल या पेट में दर्द होना :- अजवायन ३ ग्राम में थोडा पिसा नमक मिलाकर ताजा गरम पानी से फंकी देने से पेट का दर्द बंद हो जाता है, प्लीहा की विकृति दूर हो जाती है तथा पतले दस्त भी बंद हो जाते है |
  • गले की सूजन :- अजवायन के तेल की ५-६ बूंदों को ५ ग्राम शहद में मिलाकर दिन में ३-४ बार तक चाटे, साथ ही थोड़े से अजवायन के चूर्ण को नमक मिले हुए गरम जल में घोलकर उस जल से गरारे भी करने चाहिए, भूख लगने पर भुने हुए आटे का (नमकीन अजवायन भी डाले) हलुआ खाए, बलगम व वायुवर्धक, बासी, गरिष्ठ पदार्थो का सेवन न करे तथा ऊनी वस्त्र आदि से गर्दन व कर्णमूल को ढक ले ताकि रोगी को उचित लाभ मिल सके |
  • बहुमूत्र :- अजवायन में तेल मिलाकर खाने से आशातीत लाभ होता है |
  • पथरी :- कुछ दिनों तक थोड़ी-सी अजवायन फाककर ऊपर से ताजा जल पीने से मूत्राशय से पथरी गल कर निकल जाती है |
  • उदर कृमी :- रोगी बच्चो को पीसी अजवायन, छाछ (मट्ठा) के साथ कुछ दिनों तक नियमित देते रहे, पेट के समस्त कीड़े निकल जाएंगे |
  • खाँसी :- अजवायन चबाकर ऊपर से गरम जल पीने से खाँसी का वेग कम हो जाता है, कफज खाँसी में अजवायन सत १ ग्राम में शहद मिलाकर रोग की दशानुसार दिन में २-३ बार चाटे |
  • बदहजमी :- अजवायन ५ ग्राम में काला नमक मिलाकर गरम जल के साथ लेने से अपानवायु निकल जाती है, जिसके कारण खट्टी डकारे आना, पेट में शूल उठना, गले में भारीपन, बेचैनी आदि रोग-लक्षण समाप्त हो जाते है |
  • वमन :- अजीर्ण को गाय के मूत्र में २४ घंटे भिगोकर सुखा ले, यह अजवायन थोड़ी-थोड़ी मात्रा में प्रतिदिन प्रातः सायं रोगी को खिलाने से उदर में भरा हुआ जल निकल जाता है और रोग से स्थायी मुक्ति मिल जाती है |
  • वात गुल्म या वायुगोला का दर्द :- सत अजवायन पानी में मिलाकर रोग दशा के अनुसार कुछ दिनों तक लेने से वायु गोला का दर्द ठीक को जाता है |
  • पित्ती उछलना :- अजवायन २ ग्राम व ५ ग्राम गुड मिलाकर सेवन करे, पित्ती दब जाएगी |
  • पौरुष वृद्धि योग :- अजवायन को सफ़ेद प्याज़ के रस में ३ बार भिगो और सुखाकर रख ले, १० ग्राम इस अजवायन में सामान घी और दो गुनी चीनी मिलाकर १ मात्रा माने, यह योग लगभग सप्ताह तक लेने से जननेंद्रिय की कमजोरी दूर हो जाती है और प्रयाप्त पौरुष की वृद्धि हो जाती है |

महिला रोग :-

  • प्रसुतावस्था में मंदाग्री, रक्ताकाल्पता, कमर दर्द, कमजोरी, गर्भाशय में रक्तविकार आदि को दूर करने के लिए गुड के साथ अजवायन का सेवन हितकारी है |
  • गरम दूध के साथ अजवायन का चूर्ण खाने से मासिक धर्म का रक्त खुलकर आने से गर्भाशय साफ़ हो जाता है और दर्द मिट जाता है |
  • प्रसव के बाद का मंद ज्वर, हाथ-पैरों की जलन, उदर-शूल, मंदाग्री, जलन, जुकाम-खाँसी, पेट में तनाव, सूजन, रुधिर या धातु-पदार्थ का मूत्र-मार्ग से बाहर निकलना आदि लक्षण प्रकट होने पर अजवायन डालकर जलाए हुए सरसों के तेल की मालिश करनी चाहिए |
  • अजवायन का काढ़ा भी हितकारी है विशेषत: ज्वरावस्था में |
  • रोगिणी को रोग दशानुसार प्रातः सायं अजवायन का हरिरा देना चाहिए |

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