गवेधुका के फायदे | gavedhuka ke fayde

नीम (निम्ब) के फायदे

नीम (निम्ब) के फायदे 

नीम का पेड़ भारत में बेहद उपयोगी माना गया है, इसके सूखे पत्ते लोग कपड़े रखने वाली जगह पर कीटनाशक के रूप में रखते हैं, इसके अतिरिक्त किसी भी तरह के त्वचा रोग में इसके काढ़े और लेप का प्रयोग किया जाता है, स्नान के दौरान इसकी पत्तियों का प्रयोग बेहद लाभकारी होता है, नीम एक तेजी से बढ़ने वाला पर्णपाती पेड़ है, जो १५ से २० मी (लगभग ५० से ६५ फुट) की ऊंचाई तक पहुंच सकता है और कभी-कभी ३५ से ४० मी ( लगभग ११५ से १३१ फुट) तक भी ऊंचा हो सकता है, नीम गंभीर सूखे में इसकी अधिकतर या लगभग सभी पत्तियां झड़ जाती हैं, इसकी शाखाओं का प्रसार व्यापक होता है, तना अपेक्षाकृत सीधा और छोटा होता है और व्यास में 1.2 मीटर तक पहुँच सकता है, इसकी छाल कठोर, विदरित (दरारयुक्त) या शल्कीय होती है और इसका रंग सफेद-धूसर या लाल, भूरा भी हो सकता है, रसदारु भूरा-सफेद और अंत: काष्ठ लाल रंग का होता है, जो वायु के संपर्क में आने से लाल-भूरे रंग में परिवर्तित हो जाता है, जड़ प्रणाली में एक मजबूत मुख्य मूसला जड़ और अच्छी तरह से विकसित पार्श्व जड़ें शामिल होती हैं।

२० से ४० सेमी ( लगभग से १६ इंच) तक लंबी प्रत्यावर्ती पिच्छाकार पत्तियां जिनमें, २० से लेकर ३१ तक गहरे हरे रंग के पत्रक होते हैं, जिनकी लंबाई से सेमी ( लगभग से इंच) तक होती है, अग्रस्त (टर्मिनल) पत्रक प्राय: अनुपस्थित होता है, पर्णवृंत छोटा होता है, नई पत्तियों का रंग थोड़ा बैंगनी या लालमी होता है, परिपक्व पत्रकों का आकार आमतौर पर असममितीय होता है और इनके किनारे दंतीय होते हैं।

फूल सफेद और सुगन्धित होते हैं और एक लटकते हुये पुष्पगुच्छ जो लगभग २५ सेमी ( लगभग १० इंच) तक लंबा होता है में सजे रहते हैं, इसका फल चिकना (अरोमिल) गोलाकार से अंडाकार होता है और इसे निंबोली कहते हैं, फल का छिलका पतला तथा गूदा रेशेदार, सफेद पीले रंग का और स्वाद में कड़वा-मीठा होता है, गूदे की मोटाई . से . सेमी तक होती है, गुठली सफेद और कठोर होती है, जिसमें एक या कभी-कभी दो से तीन बीज होते हैं, जिनका आवरण भूरे रंग का होता है।

नीम के पेड़ों की व्यवसायिक खेती को लाभदायक नहीं माना जाता, मक्का के निकट तीर्थयात्रियों के लिए आश्रय प्रदान करने के लिए लगभग ५०००० नीम के पेड़ लगाए गए हैं, नीम का पेड़ बहुत हद तक चीनीबेरी के पेड़ के समान दिखता है, जो एक बेहद जहरीला वृक्ष है |

नीम भारतीय मूल का एक पर्ण- पाती वृक्ष है, यह सदियों से समीपवर्ती देशों- पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यानमार (बर्मा), थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि देशों में पाया जाता रहा है, लेकिन विगत लगभग डेढ़ सौ वर्षों में यह वृक्ष भारतीय उपमहाद्वीप की भौगोलिक सीमा को लांघ कर अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एवं मध्य अमरीका तथा दक्षिणी प्रशान्त द्वीपसमूह के अनेक उष्ण और उप-उष्ण कटिबन्धीय देशों में भी पहुँच चुका है, इसका वानस्पतिक नाम Azadirachta indica है, नीम का वानस्पतिक नाम इसके संस्कृत भाषा के निंब से व्युत्पन्न है।

पारिस्थितिकी

नीम का पेड़ सूखे के प्रतिरोध के लिए विख्यात है, सामान्य रूप से यह उप-शुष्क और कम नमी वाले क्षेत्रों में फलता है, जहाँ वार्षिक वर्षा ४०० से १२०० मिमी के बीच होती है, यह उन क्षेत्रों में भी फल सकता है, जहाँ वार्षिक वर्षा ४०० मिमी से कम होती है, पर उस स्थिति में इसका अस्तित्व भूमिगत जल के स्तर पर निर्भर रहता है, नीम कई अलग-अलग प्रकार की मिट्टी में विकसित हो सकता है, लेकिन इसके लिए गहरी और रेतीली मिट्टी जहाँ पानी का निकास अच्छा हो, सबसे अच्छी रहती है, यह उष्णकटिबंधीय और उपउष्णकटिबंधीय जलवायु में फलने वाला वृक्ष है और यह २२ से ३२° सेंटीग्रेड के बीच का औसत वार्षिक तापमान सहन कर सकता है, यह बहुत उच्च तापमान को तो बर्दाश्त कर सकता है, पर ४ डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान में मुरझा जाता है, नीम एक जीवनदायी वृक्ष है विशेषकर तटीय, दक्षिणी जिलों के लिए, यह सूखे से प्रभावित (शुष्क प्रवण) क्षेत्रों के कुछ छाया देने वाले (छायादार) वृक्षों में से एक है, यह एक नाजुक पेड़ नहीं हैं और किसी भी प्रकार के पानी मीठा या खारा में भी जीवित रहता है, तमिलनाडु में यह वृक्ष बहुत आम है और इसको सड़कों के किनारे एक छायादार पेड़ के रूप में उगाया जाता है, इसके अलावा लोग अपने आँगन में भी यह पेड़ उगाते हैं, शिवकाशी (सिवकासी) जैसे बहुत शुष्क क्षेत्रों में इन पेड़ों को भूमि के बड़े हिस्से में लगाया गया है और इनकी छाया में आतिशबाजी बनाने के कारखाने का काम करते हैं।

नीम का उपयोग 

नीम एक बहुत ही अच्छी वनस्पति है, जो की भारतीय पर्यावरण के अनुकूल है और भारत में बहुतायत में पाया जाता है, आयुर्वेद में नीम को बहुत ही उपयोगी पेड़ माना गया है, इसका स्वाद तो कड़वा होता है, लेकिन इसके फायदे अनेक और बहुत प्रभावशाली है।

  • नीम की छाल का लेप सभी प्रकार के चर्म रोगों और घावों के निवारण में सहायक है।
  • नीम की दातुन करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।
  • नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और कांतिवान होती है, हां पत्तियां अवश्य कड़वी होती हैं, लेकिन कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना पड़ता है मसलन स्वाद।
  • नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी से नहाने से चर्म विकार दूर होते हैं और ये खासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक है।
  • नींबोली (नीम का छोटा सा फल) और उसकी पत्तियों से निकाले गये तेल से मालिश की जाये तो शरीर के लिये अच्छा रहता है।
  • नीम के द्वारा बनाया गया लेप बालो में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और कम झड़ते हैं।
  • नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी में लाभ मिलता है |
  • नीम की पत्तियों के रस और शहद को २:१ के अनुपात में पीने से पीलिया में फायदा होता है और इसको कान में डालने से कान के विकारों में भी फायदा होता है।
  • नीम के तेल की ५-१० बूंदों को सोते समय दूध में डालकर पीने से ज़्यादा पसीना आने और जलन होने सम्बन्धी विकारों में बहुत फायदा होता है।
  • नीम के बीजों के चूर्ण को खाली पेट गुनगुने पानी के साथ लेने से बवासीर में काफ़ी फ़ायदा होता 

नीम की औषधि

नीम घनवटी नामक आयुर्वेद में औषधि है जी की के पेड़ से निकाली जाती है, इसका मुख्य घटक नीमघन सत् होता है, यह मधुमेह में अत्यधिक लाभकारी है,  इसका प्रयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है, यह आयुर्वेद में एक प्रकार की औषधि है जी की नीम (Azadirachta indica) के पेड़ से निकाली जाती है, नीम की पाती खाने से मुह की बादबू, दाड दर्द, दात कुलना, शरीर के अंदर के हानिकारक बैक्टीरिया, कैंसर की बिमारी, खून साफ करना, जीभ से स्वाद, चरम रोग, आँख न आना, आलस न आना, शरीर मे ऊर्जा का बना रहना, कफ कोल्ड न होना, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना, जैसे कई सेकड़ो हज़ारो फायदे हमे नीम की पाती खाने से मिलता है | 

नीम का मुख्य लाभ

यह मधुमेह में अत्यधिक लाभकारी है, इसका प्रयोग शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है, यह जीवाणु नाशक, रक्त्शोधाक एवं त्वचा विकारों में गुणकारी है, यह बुखार में भी लाभकारी है, नीम त्वचा के औषधीय कार्यों में उपयोग की जाती है, नीम के उपयोग से त्वचा की चेचक जैसी भयंकर बीमारिया नही होती तथा इससे रक्त शुद्ध होता है, नीम स्वास्थ वर्धक एवं आरयोग्यता प्रदान करने वाला है, ये सभी प्रकार की व्याधियों को हरने वाला है, इसे मृत्यु लोक का कुल्पवृक्ष कहा जाता है, चरम रोग मे इसका विशेष महत्व है।

भारत में नीम का उपयोग एक औषधि के रूप में किया जाता है, आज के समय में बहुत सी एलोपैथिक दवाइयां नीम की पत्ती व उसकी छल से बनती है, नीम के पेड़ का हर अंग फायदेमंद होता है, बहुत सी बीमारियों का उपचार इससे किया जाता है, भारत में नीम का पेड़ घर में लगाना शुभ माना जाता है, नीम स्वाद में कड़वा होता है, लेकिन नीम जितनी कड़वी होती है, उतनी ही फायदे वाली होती है , यहां हम आपको नीम के गुण और उसके लाभ के बारे में बता रहे हैं, जिसे आप घर में ही उपयोग कर बहुत बीमारियों का उपचार कर सकते हैं ।

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