गवेधुका के फायदे | gavedhuka ke fayde

गोरखगांजा के फायदे | gorakhganja ke fayde

गोरखगांजा के फायदे 

लोग गोरखगांजा को गोरक्षगाजा, गोरखबूटी, ठिकरीतोड़ भी बोलते हैं, यह जंगल-झाड़ आदि में अपने आप होने वाला पौधा है, आपने भी गोरखबूटी के पौधे को जरूर देखा होगा, लेकिन इसके फायदे के बारे में नहीं जानते होंगे, गोरखगांजा एक जड़ी-बूटी है और इसके कई सारे औषधीय गुण हैं, कई बीमारियों के इलाज में गोरखगांजा के फायदे मिलते हैं, आप आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह से गोरखगांजा से लाभ ले सकते हैं। 

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आइए यहां एक-एक कर जानते हैं कि गोरखगांजा के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, साथ ही यह भी जानते हैं कि गोरखगांजा से क्या-क्या नुकसान हो सकता है। 

गोरखगांजा (गोरखबूटी) क्या है ? 

गोरखबूटी का पौधा 30 से 60 सेमी लम्बा और सीधा होता है, इसके पौधे में अनेक तने होते हैं, गोरखगांजा के पत्ते सीधे, लम्बे और गोलाकार होते हैं, इसके फूल छोटे होते हैं, फूल का रंग हरा या पीला-सफेद होता है, इसके फल अण्डाकार और हरे रंग के होते हैं, इसके बीज चमकीले और श्यामले रंग के होते हैं, इसकी जड़ से कपूर जैसी गंध आती है, इसके पौधे में फूल और फल अगस्त से मार्च तक होता है।

यहां गोरखगांजा के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है, ताकि आप गोरखगांजा के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।

अन्य भाषाओं में गोरखगांजा (गोरखबूटी) के नाम

गोरखबूटी का वानस्पतिक नाम एर्वा लॅनेटा है और एमेरेन्थेसी कुल का है, इसके अन्य ये नाम भी हैं :-

  • Hindi - गोरखगाँजा, गोरखबूटी, ठिकरीतोड़
  • English - पोलपाला, माउण्टेन नॉट ग्रास 
  • Sanskrit - गोरक्षगञ्जा
  • Oriya - पाउनसिआ
  • Konkanni - ताम्डलो
  • Kannada - बिली हिम्डी सोप्पू
  • Gujarati - बर, कापुरीमाधुरी, गोरखगंजो
  • Tamil - सिरूपुलई, चेकपुलई
  • Telugu - पिंडीकोम्डा, पिंडीचेट्टू
  • Bengali - छाया
  • Punjabi - बुईकलान
  • Marathi - कपुरमधुरा, कुमरापिन्डी
  • Malayalam - चेरूला, सेरूवला
  • Rajasthani - भुई
  • Arabic - सेहादजरेत एल अथलेब। 

गोरखगांजा (गोरखबूटी) के औषधीय गुण 

गोरखगांजा के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैं :-

गोरखगंजा तिक्त, कषाय, उष्ण, लघु, तीक्ष्ण और कफवातशामक होता है, गोरखगंजा की मूल प्रशामक और मूत्रल होती है, यह कफनिसारक, मार्दवीकारक, कृमिनिसारक और अश्मरीनाशक होता है।

पौधे का सार मूत्रलता प्रभाव को प्रदर्शित करता है, समान मात्रा में जल लेने पर भी मूत्रोत्सर्जन में विशेष वृद्धि पाई गई है, पौधे के अन्य भागों की अपेक्षा पुष्प सर्वाधिक मूत्रल क्रिया को प्रदर्शित करते हैं।

गोरखगांजा (गोरखबूटी) के फायदे और उपयोग 

गोरखगांजा के फायदे, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैं :-

गोरखगांजा (गोरखबूटी) से सूजन का इलाज होता है  

शरीर के किसी भी अंग पर सूजन हो, उसमें गोरखगांजा के औषधीय गुण से लाभ मिलता है, गोरखगांजा पंचांग को पीसकर सूजन वाले स्थान पर लगाएं, इससे सूजन में कमी आती है।

गोरखगांजा (गोरखबूटी) डायबिटीज में लाभदायक है 

डायबिटीज के कारण व्यक्ति की जीवनशैली प्रभावित हो जाती है, गोरखबूटी  डायबिटीज में भी लाभ दिलाता है, गोरखगांजा की जड़ का काढ़ा बना लें, इसे 15 से 20 मिली मात्रा में सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है।

गोरखगांजा (गोरखबूटी) दस्त में लाभदायक है  

दस्त का आयुर्वेदिक तरीके से इलाज कर सकते हैं, इसके लिए गोरक्षगांजा पंचांग का काढ़ा बना लें, इसे 15 से 20 मिली मात्रा में पीने से दस्त पर रोक लगती है।

गोरखगांजा (गोरखबूटी) पीलिया में लाभदायक है  

पीलिया एक गंभीर बीमारी है, पीलिया में शरीर बहुत कमजोर हो जाता है, पीलिया के मरीज गोरखगांजा की जड़ का पेस्ट बना लें, इसे दही के साथ मिलाकर सेवन करें, इससे पीलिया में लाभ होता है।

गोरखगांजा (गोरखबूटी) दाद-खाज-खुजली का इलाज है  

दाद-खाज-खुजली के इलाज में गोरखबूटी का औषधीय गुण लाभदायक होता है, गोरखबूटी के पंचांग को पीसकर खुजली वाले स्थान पर लगाएं, इससे लाभ होता है।

गोरखगांजा (गोरखबूटी) किडनी की पथरी में फायदेमंद है  

  • 5 से 10 मिली गोरखगांजा के पत्ते के रस का सेवन करें, इससे किडनी में पथरी की बीमारी में लाभ होता है।
  • गोरखगांजा की जड़ का काढ़ा बना लें, इसे 15 से 20 मिली मात्रा में सेवन करने से पथरी में लाभ होता है।

गोरखगांजा (गोरखबूटी) बुखार का इलाज है 

गोरक्षगांजा पंचांग का काढ़ा बनाकर 15 से 20 मिली मात्रा में पिएं, इससे बुखार ठीक हो जाता है, उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें।

गोरखगांजा (गोरखबूटी) मूत्र रोग में फायदेमंद है  

गोरखगांजा की जड़ का काढ़ा बना लें, 15 से 20 मिली मात्रा में काढ़ा का सेवन करें, इससे मूत्र रोग जैसे पेशाब में दर्द होने और पेशाब रुक-रुक कर आने की समस्या में लाभ होता है।

गोरखगांजा (गोरखबूटी) घाव का इलाज है

घाव हो गया हो और घाव के स्थान पर दर्द भी हो रहा हो तो आप गोरखबूटी का इस्तेमाल करें, इसके लिए गोरखबूटी पंचांग को पीसकर प्रभावित स्थान में लगाएं, इससे घाव के दर्द में कमी आती है।

गोरखगांजा (गोरखबूटी) पेचिश का इलाज है  

गोरक्षगांजा पंचांग का काढ़ा बनाकर 15 से 20 मिली मात्रा में पिएँ, इससे पेचिश ठीक होता है, बेहतर परिणाम के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें।

गोरखगांजा (गोरखबूटी) के उपयोगी भाग 

गोरखगांजा के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता है :-

  • पंचांग
  • जड़
  • पत्ते
  • फूल। 

गोरखगांजा (गोरखबूटी) का इस्तेमाल कैसे करें ? 

गोरखगांजा को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए :-

  • काढ़ा - 20 से 40 मिली
  • चूर्ण - 0.5 से 2 ग्राम
  • रस - 5 से 10 मिली। 

यहां गोरखगांजा के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है, ताकि आप गोरखगांजा के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए गोरखगांजा का सेवन करने या गोरखगांजा का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

गोरखगांजा (गोरखबूटी) कहां पाया या उगाया जाता है ? 

यह उष्णकटिबंधीय एवं उपउष्णकटिबंधीय शुष्क भागों के अलावा भारत के उष्ण प्रदेशों मुख्यत दक्षिण भारत एवं महाराष्ट्र में 900 मीटर की ऊंचाई तक प्राप्त होता है।

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