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प्रस्तुतकर्ता
Dinesh Chandra
को
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ग्वारफली के फायदे
ग्वारफली के कई नाम हैं, इसे गुवारफली, वनसेमिया, गुवार की फली आदि भी कहा जाता है, आप ग्वारफली तो जरूर खाते होंगे, क्योंकि हरी सब्जी होने के कारण हर घर में ग्वारफली उपयोग में लाई जाती है, आप केवल इतना ही जानते हैं कि ग्वारफली हरी सब्जी है और इससे शरीर को फायदा होता है, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि ग्वारफली एक जड़ी-बूटी की तरह भी काम करती है और ग्वारफली के कई सारे औषधीय गुण भी हैं, जैसे- सूजन, दाद, खाज-खुजली, डायबिटीज जैसी बीमारियों में ग्वारफली के इस्तेमाल से फायदे फायदे मिलते हैं, इतना ही नहीं साइनस, दस्त, मोच, चोट, रतौंधी और गैस्ट्रिक विकार आदि रोगों में भी ग्वारफली के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
gavarfali ke fayde |
ग्वारफली क्या है ?
ग्वारफली का पौधा सीधा, पुष्ट और भूरे रंग का होता है, इसके पत्ते अरहर के पत्ते जैसे होते हैं, इसके फूल छोटे, बैंगनी रंग के होते हैं, इसकी फली 3.8 से 5 सेमी लम्बी और मांसल होती है, फली गुच्छों में होती है, फली चपटी और हरे रंग की होती है, हर फली में 5 से 12 चपटे, छोटे-छोटे बीज होते हैं, ग्वारफली के पौधे में फूल और फल अप्रैल से जून तक होता है।
अन्य भाषाओं में ग्वारफली के नाम
ग्वारफली का वानस्पतिक नाम सायमॉप्सिस टेट्रागोनोलोबा है और यह फैबेसी कुल का है, ग्वारफली को दुनिया भर में इन नामों से भी जाना जाता है :-
- Hindi - गुवारफली, वनसेमिया, गुवार की फली
- English - गुआर गम, गुआर, ग्वार, क्लस्टर बीन
- Sanskrit - गोराणी, दृढ़बीज, निशांध्यघ्नी, सुशाका, वक्रशिम्बी, गुच्छशिम्बी, गोपशिम्बी
- Oriya - गुआर
- Konkanni - मिडकीसांग
- Kannada - गोरीकायी, गुवरकायी, गरिकायी
- Gujarati - गवार की फली, गुवर
- Tamil - कोट्टावरई
- Telugu - गोरूचिक्कुडू, कारूचिक्कुडू
- Bengali - झार सिम
- Punjabi - कुलटी, गुआर
- Marathi - बावाची, ग्वार
- Malayalam - कोथवारा
- Rajasthani - गन्वार।
ग्वारफली के औषधीय गुण
ग्वारफली के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैं :-
गुवार फली मधुर, गुरु, रूक्ष, कफपित्तशामक, वातकारक, रुचिकारक, अग्निदीपक, सर और बलवर्धक होती है, इसके पत्रों का प्रयोग रतौंधी की चिकित्सा में किया जाता है।
ग्वारफली के फायदे और उपयोग
ग्वारफली के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैं :-
ग्वारफली से रतौंधी का इलाज होता है
- ग्वारफली के पत्ते और गोंद की सब्जी बना लें, इसका सेवन करने से रतौंधी में फायदा होता है।
- इसके रस को काजल की तरह आंखों में लगाने से भी रतौंधी में लाभ होता है।
ग्वारफली से घाव का इलाज होता है
ग्वारफली और इसके पत्तों को पीसकर घाव पर लगाएं, इससे घाव से होने वाला रक्तस्राव बन्द हो जाता है।
ग्वारफली गैस्ट्रिक विकार में फायदेमंद है
पाचनतंत्र विकार में भी ग्वारफली के सेवन से लाभ मिलता है, गुवार की फलियों की सब्जी बनाकर सेवन करें, इससे पाचनतंत्र विकार में लाभ होता है।
ग्वारफली दस्त में लाभदायक है
दस्त से परेशान रहते हैं, तो गुवार की फलियों का काढ़ा बना लें, इसे 15 से 20 मिली मात्रा में पिलाने से पित्त दोष के कारण होने वाली दस्त पर रोक लगती है।
ग्वारफली डायबिटीज में लाभदायक है
गुवार फली के पत्ते और फलियों को रातभर के लिए पानी में भिगो दें, इसे सुबह छान लें और 10 से 15 मिली मात्रा में पिलाने से डायबिटीज में लाभ होता है।
ग्वारफली से साइनस का इलाज होता है
गुवारफली और इसके पत्तों को पीसकर साइनस वाले घाव पर लगाएं, इससे साइनस में लाभ होता है, उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
ग्वारफली दाद-खाज-खुजली में फायदेमंद है
दाद-खाज-खुजली के इलाज में वनसेमिया के औषधीय गुण से फायदा होता है, वनसेमिया की पत्तियों के साथ लहसुन को पीस लें, इसे लगाने से दाद ठीक होता है।
ग्वारफली सूजन को कम करता है
आप वनसेमिया के फायदे से सूजन कम कर सकते हैं, गुवारफली के बीजों को तिल के साथ मिलाकर पीस लें, इसे सूजन पर लगाने से बहुत लाभ होता है।
ग्वारफली मोच को ठीक करता है
मोच में ग्वारफली का औषधीय गुण फायदेमंद होता है, गुवारफली के बीजों को तिल के साथ मिलाकर पीस लें, इसे मोच वाले अंग पर लगाने से बहुत लाभ होता है।
ग्वारफली के उपयोगी भाग
ग्वारफली के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता है :-
- गोंद
- फलियां
- बीज
- तना
- पत्ते।
ग्वारफली का इस्तेमाल कैसे करें ?
ग्वारफली को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए :-
- हिम - 20 से 40 मिली
- काढ़ा - 15 से 20 मिली।
ग्वारफली से नुकसान
ग्वारफली के सेवन से ये नुकसान हो सकते हैं :-
वात प्रकृति वाले व्यक्ति को अत्यधिक मात्रा में ग्वारफली की पत्तियों की सब्जी नहीं खानी चाहिए, क्योंकि इससे पेट फूलने की शिकायत हो सकती है, पेट फूलने पर हरा धनिया खाना चाहिए।
यहां ग्वारफली के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा में लिखी गई है, ताकि आप ग्वारफली के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए ग्वारफली का सेवन करने या ग्वारफली का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
ग्वारफली कहां पाई या उगाई जाती है ?
यह पूरे भारत में पाई जाती है, यह मुख्यतः गुजरात, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में पायी जाती है।
गोरक्ष के फायदे | goraksh ke fayde
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