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प्रस्तुतकर्ता
Dinesh Chandra
को
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उन्नाव के फायदे
आयुर्वेद के अनुसार उन्नाव के इतने सारे फायदे हैं कि इसको कई बीमारियों के इलाज के लिए औषधि के रुप में प्रयोग में लाया जाता है, वैसे तो उन्नाव या बेर के बारे में ज्यादा लोगों को पता नहीं होगा, क्योंकि बेर तो सब खाते हैं लेकिन इसके गुणों से लोग अनजान हैं, तो चलिये इसके बारे में आगे बात करते हैं, कि उन्नाव है क्या और ये किन-किन बीमारियों के लिए लाभकारी है।
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उन्नाव या बेर क्या होता है ?
बेर 6 से 9 मी ऊँचा, छोटा, कांटा युक्त वृक्ष होता है, इसका तना लगभग अरोमश, शाखाएँ कठोर फैली हुई बहुधा कंटकरहित, नवीन शाखाएँ कंटकित तथा पुराने हालत या कमजोर हालत में साधारणतया कंटकरहित होती हैं, इसकी शाखाएँ कठिन, फैली हुई तथा अरोमिल होती हैं, कंटक सीधे, 2.5 सेमी लम्बे होते हैं, इसके पत्ते 2 से 6.5 सेमी लम्बे, 3-तंत्रिकायुक्त, गहरे हरे रंग के, दोनों पृष्ठ पर अरोमश, अण्डाकार तथा गोलाकार होते हैं, इसके फूल छोटे, 1.3 सेमी व्यास के तथा हरिताभ-सफेद रंग के होते हैं, इसके फल गोलाकार, 1.2 से 1.8 सेमी व्यास के, पीले-नारंगी अथवा लाल रंग के होते हैं, इसके बीज एकल होती है, इसका पुष्पकाल तथा फलकाल सितम्बर से फरवरी तक होता है।
उन्नाव या बेर मीठे, ठंडे, भारी, वातपित्त कम करने वाले, कफ बढ़ाने वाले, मल को नरम करने वाला, शुक्राणु बढ़ाने वाला, बृंहण, स्निग्ध, दाह या जलन, रक्तविकार या रक्त संबंधी रोग, तृष्णा या प्यास, क्षत या छोटे-मोटे घाव-चोट, रक्तस्राव या ब्लीडिंग होता है, इसके सूखे फल कब्ज से राहत दिलाने में, भूख बढ़ाने वाला तथा लघु होते हैं, यह तृष्णा या प्यास, क्लान्ति (थकान) तथा रक्तविकार या रक्त संबंधी रोग में फायदेमंद होता है।
इसके फल अतिसार या दस्त को रोकने वाला, बुखार या फीवर में फायदेमंद होता है, इसके बीज बलकारक एवं कृमिघ्न होते हैं, इसके बीज एवं पत्ते तनाव दूर करने में सहायक होते हैं।
अन्य भाषाओं में उन्नाव या बेर के नाम
उन्नाव का वानस्पतिक नाम जिजीफस जुजुबा है, उन्नाव रैम्नेसी कूल का होता है, उन्नाव को अंग्रेजी में चायनीज डेट कहते हैं, लेकिन भारत के भिन्न-भिन्न प्रांतों में अनेक नामों से बेर को पुकारा जाता है :-
- Sanskrit - उन्नाव, सौवीर, राजबदर, अजप्रिया, कुवल, कोली, विष्मा, उभयकण्टका
- Hindi - कंडियारी, उन्नाव
- Urdu - बेर
- Odia - बोराई
- Kannada - बोगरी, बरीहण्णु
- Gujrati - बेर
- Tamil - एलन्दई
- Telegu - रेगु
- Nepali - वयर भेद, बारकोली
- Bengali - कुल, बेर, बोर, बोरोई
- Marathi - बोरी, बोर
- Malayalam - इल्लान्था
- English - कॉमन जूजूब
- Arbi - जिफ्जौफ
- Persian - कुनेर, अन्नाब।
उन्नाव के फायदे
उन्नाव को बेर भी कहते हैं, बेर तो पौष्टिक गुणों का भंडार होता है, इसलिए इसको दवा के रुप में प्रयोग में लाया जाता है, चलिये आगे जानते हैं कि कैसे और किन-किन बीमारियों के लिए उन्नाव या बेर का उपयोग किया जाता है।
बेर कंठशोध में लाभकारी है
कंठशोध में बच्चों के श्वास नली के ऊपर की तरह सूजन आ जाती है, जिसके कारण खांसी और गले में दर्द की समस्या होती है, उन्नाव के तने की छाल का काढ़ा बनाकर गरारा करने से कण्ठशोथ में लाभ होता है, बेर का सही तरह से प्रयोग बेर के फायदे का पूरा लाभ मिलने में मदद करता है, इससे कंठशोध का इलाज बेहतर होता है।
उन्नाव टीबी के इलाज में फायदेमंद है
टीबी की बीमारी संक्रामक होती है, इस बीमारी में मरीज को एहतियात बरतने की कोशिश करनी पड़ती है, टीबी में खांसी की परेशानी सबसे ज्यादा होती है, उन्नाव से बने काढ़े में तीन गुना चीनी मिलाकर उबाल लें, उससे बने शार्कर का 15 से 20 मिली मात्रा में सेवन करने से राजयक्ष्मा, खाँसी, रक्तपित्त (कान-नाक से खून बहना), युवान पिडका (मुँहासे) आदि विकारों या रोगों में लाभ होता है।
बेर खांसी करे दूर करता है
अगर मौसम के बदलाव के कारण खांसी से परेशान है और कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है, तो उन्नाव से इसका इलाज किया जा सकता है, उन्नाव 2 भाग तथा कतीरा गोंद 1 भाग, इनके महीन चूर्ण में 4 भाग मिश्री तथा थोड़ा जल मिलाकर पकाएं, यह जब गोली बनाने लायक घना काढ़े जैसा हो जाये तो 250 मिग्रा की गोलियां बनाकर रख लें, 1 से 2 गोली सुबह शाम मुख में रखकर चूसने से खांसी तथा जुखाम में लाभ होता है।
उन्नाव अजीर्ण या अपच का करे उपचार
उन्नाव या बेर पेट के लिए लाभयदायक है, यह खाने को पचाने के साथ-साथ पित्त को भी शांत करने में मदद करता है, विशेषज्ञों के अनुसार बेर में लैक्सटिव का गुण पाया जाता है, इस वजह से इसे खाने से पेट साफ़ रहता है, बेर के फल का काढ़ा बनाकर सेवन करने से अपच, अम्लपित्त, दस्त और कब्ज में लाभ होता है।
बेर शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है
अगर आप बार-बार बीमार पड़ते हैं और मौसम में हल्का सा बदलाव होने पर भी आपको सर्दी-जुकाम हो जाता है, तो इसका मतलब है कि आपकी इम्यूनिटी कमजोर है, ऐसे में आपको उन चीजों को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक हों, विशेषज्ञों का मानना है कि बेर या उन्नाव में रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ाने वाले गुण होते हैं, इसलिए बेर का सेवन करना चाहिए।
उन्नाव अनिद्रा की समस्या दूर करता है
अगर आप को रात में नींद नहीं आती है और आप अनिद्रा की समस्या से परेशान हैं, तो आप उन्नाव या बेर का उपयोग कर सकते हैं, उन्नाव या बेर का जूस अनिद्रा को दूर कर अच्छी नींद लाने में मदद करता है।
बेर बवासीर में फायदेमंद है
अगर ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने के आदि है तो पाइल्स के बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है, उसमें उन्नाव का घरेलू उपाय बहुत ही फायदेमंद साबित होता है, बेर के छाल से बने काढ़े का सेवन करने से तथा काढ़े से मस्सों को धोने से अर्श में लाभ होता है।
बेर उपदंश में लाभकारी है
उपदंश मतलब जननांग यानि जेनिटल पार्ट्स में घाव जैसा हो जाता है, लेकिन इस घाव में दर्द नहीं होता है, 50 ग्राम उन्नाव को रात्रि के समय 500 मिली जल में भिगोकर सुबह छान कर थोड़ा शहद मिलाकर पीने से उपदंश में लाभ होता है।
बेर अल्सर में उपयोगी है
कभी-कभी अल्सर का घाव सूखने में बहुत देर लगता है या फिर सूखने पर पास ही दूसरा घाव निकल आता है, ऐसे में बेर का इस्तेमाल बहुत ही फायदेमंद होता है, आयुर्वेद के अनुसार बेर में रोपण का गुण पाया जाता है, जिस वजह से यह घाव को जल्दी भरता है, इसके लिए बेर की छाल का काढ़ा बनाकर घाव को धोएं।
उन्नाव खुजली से राहत दिलाता है
आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में त्वचा संबंधी रोग होने का खतरा बढ़ता ही जा रहा है, ऐसा ही एक रोग है खुजली या स्केबीज़, बेर इन सब परेशानियों को कम करने में मदद करता है, बेर के छाल को पीसकर त्वचा पर लगाने से दद्रु या रिंगवर्म, खुजली आदि त्वचा विकारों से राहत मिलती है, खुजली की परेशानी दूर करने में उन्नाव के फायदे इलाज में मदद करते हैं।
बेर बिच्छू के काटने में फायदेमंद है
बिच्छू के काटने पर उसके असर को कम करने में बेर मदद करता है, उन्नाव के पत्तों को पीसकर वृश्चिक या बिच्छू के काटे हुए स्थान पर बांधने से दंश के कारण दर्द तथा जलन आदि समस्याओं से राहत मिलती है।
उन्नाव का उपयोगी भाग
आयुर्वेद में उन्नाव के पत्ते, फल एवं बीज का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है।
उन्नाव का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए ?
बीमारी के लिए बेर के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है, अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए बेर का उपयोग कर रहे हैं, तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
उन्नाव कहां पाया और उगाया जाता है ?
भारत के हिमालयी क्षेत्रों में 2200 मी की ऊँचाई तक तथा सर्वत्र भारत में पाया जाता है।
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