गवेधुका के फायदे | gavedhuka ke fayde

तिन्तिडीक के फायदे | tintideek ke fayde

तिन्तिडीक के फायदे 

तिन्तिडीक के पौधे के बारे में बहुत कम लोग जाते हैं, पहाड़ी इलाकों में ऊंचाई पर पर पाया जाने वाला यह पौधा सेहत के लिए बहुत गुणकारी है, आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार पेट से जुड़े रोगों जैसे कि कब्ज, अपच, पेट फूलने आदि के इलाज में तिन्तिडीक बहुत ही उपयोगी है, इस लेख में हम आपको तिन्तिडीक के फायदे, उसके औषधीय गुण और उपयोग के तरीकों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं | 

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तिन्तिडीक क्या है ? 

तिन्तिडीक का पौधा १.२ से ४-५ मी लम्बा होता है और यह हर मौसम में हरा रहने वाला पौधा है, इसका तना गोल, खुरदुरा, भूरे रंग का होता है, अगस्त से नवंबर के बीच इसमें गुच्छों में फूल उगते हैं, इसमें कफ और वात को कम करने वाले गुण होते है, जिस वजह से कफ और वात से जुड़ी बीमारियों में इसका उपयोग किया जाता है |  

अन्य भाषाओं में तिन्तिडीक के नाम 

तिन्तिडीक का वानस्पतिक नाम रस पारवीफ्लोरा है, यह ऐनाकार्डिऐसी कुल का पौधा है |  

  • Hindi : समाकदाना, तुंगला, रायतन्ग, तुमरा, तुंग
  • English : स्मॉल फ्लावरड पॉइजॅन सुमैक 
  • Sanskrit : तिन्तिडीक, तिन्तिडी
  • Urdu : समन्दरफल  
  • Kumaon/Garhwali : तुंगा, तुंगला 
  • Kashmiri : समक 
  • Nepali : सति बयर, सतबेसी 
  • Punjabi : खट्टे मसूर, रायतुन्ग, तुम्र, तुंगला 
  • Nepal : सुमेक | 

तिन्तिडीक के औषधीय गुण 

अधपका तिन्तिडीक वात को कम करने वाला, गर्म, गुरु और कफ पित्त बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर होता है, पका हुआ तिन्तिडीक लघु, दीपन, रुचिकर, उष्ण, ग्राही तथा कफवातशामक होता है, यह ग्रहणी-विकारशामक होता है, इसके फल भूख बढ़ाने वाले, रक्तस्दंन, आमाशयिक क्रियाविधि उत्तेजक होते हैं।

तिन्तिडीक के फायदे एवं उपयोग 

तिन्तिडीक में कफवातशामक और ग्राही गुण होने के कारण यह कई तरह की बीमारियों के इलाज में सहायक है, आइये जानते हैं कि अलग अलग बीमारियों के घरेलू इलाज के दौरान तिन्तिडीक का उपयोग कैसे करें |  

तिन्तिडीक बंद नाक की समस्या से आराम दिलाता है 

तिन्तिडीक आदि द्रव्यों से बने व्योषादि १ से २ वटी का सेवन करने से सर्दी-खांसी और बंद नाक की समस्या से जल्दी आराम मिलता है, खुराक संबंधी और अधिक जानकारी के लिए नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें |  

तिन्तिडीक कान के दर्द से आराम दिलाता है 

कान में संक्रमण होने की वजह से या अन्य कई कारणों की वजह से कान में दर्द होना एक आम समस्या है, कान का दर्द दूर करने के लिए तिन्तिडीक का उपयोग करें, इसके लिए बिजौरा, निम्बू, अनार, तिन्तिडीक का रस और गोमूत्र से सिद्ध तेल को एक से दो बूंद कान में डालें, इससे कान का दर्द ठीक होता है, अगर कान में तेज दर्द है तो घरेलू उपाय के साथ-साथ चिकित्सक की सलाह भी लें | 

तिन्तिडीक पेट से जुड़े रोगों में लाभदायक है 

  • तिन्तिडीक आदि द्रव्यों से निर्मित यवानी षाड्व चूर्ण का मात्रानुसार प्रयोग करने से जीभ साफ होती है, यह चूर्ण भूख ना लगना, खांसी, कब्ज, बवासीर जैसी बीमारियों के इलाज में भी फायदेमंद है | 
  • तिन्तिडीक आदि से निर्मित हिंग्वादि चूर्ण का २ से ३ ग्राम की मात्रा में सेवन करने से पेट दर्द, पेट फूलना, हिचकी, भूख ना लगना आदि में लाभ मिलता है |  
  • तिन्तिडीक, काली मिर्च, धनिया आदि से बनी चटनी का सेवन करने से पेट की अग्नि तीव्र होती है और पेचिश की समस्या से आराम मिलता है |  
  • तिन्तिडीक के तने के चूर्ण की पोटली बनाकर इसे पानी में भिगोकर रखें, पोटली से निकलने वाले पानी को दही में मिलाकर खाने से दस्त रूक जाती है।
  • एक भाग तिन्तिडीक फल, भुनी हुई सौंफ तथा भुने हुए जीरे का चूर्ण, दो भाग अनार के दानों का चूर्ण और पाँच भाग शर्करा चूर्ण मिलाकर रख लें, इसे २ से ४ ग्राम की मात्रा में लेकर सेवन करने से अपच और दस्त के कारण होने वाले पेट दर्द में राहत मिलती है।
  • तिन्तिडीक के फलों के रस का सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं, चिकित्सक के सलाह के अनुसार ही इसका सेवन करें |  

तिन्तिडीक गले में जलन और सूजन की समस्या दूर करता है 

अगर आपके गले में दर्द हो रहा है, तो तिन्तिडीक फल का काढ़ा बनाएं और उससे गरारे करें, यह काढ़ा गले की जलन दूर करने के साथ-साथ सूजन में भी कमी लाता है। 

तिन्तिडीक दिल के रोगों में फायदेमंद है 

आज के समय में खराब खानपान और अनियमित जीवनशैली के कारण दिल के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है, हालांकि अगर आप दिल से जुड़े रोगों के मरीज हैं, तो नजदीकी डॉक्टर से अपनी जांच कराएं साथ ही साथ कुछ घरेलू उपाय भी अपनाएं, जैसे कि तिन्तिडीक के फल दिल के रोगों के लिए काफी फायदेमंद माने जाते हैं, इस फलों का काढ़ा बनाकर पिएं इससे ह्रदय स्वस्थ रहता है | 

तिन्तिडीक बवासीर के इलाज में फायदेमंद है    

तिन्तिडीक कब्ज या बवासीर के इलाज में भी फायदेमंद है, त्र्यूषणादि चूर्ण को मात्रानुसार दही, गुनगुने या गर्म पानी के साथ सेवन करने से कब्ज और बवासीर की समस्या में लाभ मिलता है।

तिन्तिडीक घाव को जल्दी ठीक करता है 

अगर आप घाव से परेशान हैं तो घरेलू इलाज के रूप में तिन्तिडीक का प्रयोग कर सकते हैं, इसके लिए तिन्तिडीक, अंकोल, धतूरा तथा पुनर्नवा जड़ का काढ़ा बनाकर उससे घाव का स्वेदन करें, इससे घाव जल्दी ठीक होता है | 

तिन्तिडीक मांसपेशियों की सूजन घटाने में सहायक है 

इस पौधे के तने की छाल को लगाने से घाव से होने वाली सूजन या आघात के कारण होने वाली मांसपेशियों की सूजन में कमी आती है, हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि मांसपेशियों में सूजन होने पर इसका उपयोग चिकित्सक की देखरेख में करें।

तिन्तिडीक शराब की लत से छुटकारा दिलाती है 

तिन्तिडीक आदि द्रव्यों से निर्मित अष्टांगलवण का मात्रानुसार प्रयोग करने से स्रोतों की शुद्धि होती है तथा जठराग्नि का दीपन होकर कफ-प्रधान-मदात्यय में लाभ होता है।

तिन्तिडीक नाक-कान से खून बहने की समस्या से आराम दिलाता है 

गर्मियों के मौसम में अक्सर कई लोगों के नाक और कान से खून बहने लगता है, इस समस्या को आयुर्वेद चिकित्सा में रक्तपित्त नाम दिया गया है, शतावर्यादि घृत का सेवन करने से नाक और कान से खून बहने की समस्या में लाभ मिलता है।

तिन्तिडीक के उपयोगी भाग 

आयुर्वेद में तिन्तिडीक के निम्न भागों को सेहत के लिए उपयोगी बताया गया है। 

  • तना 
  • फल |  

तिन्तिडीक का इस्तेमाल कैसे करें 

तिन्तिडीक का सेवन हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक के अनुसार ही करें। 

तिन्तिडीक कहां पाया या उगाया जाता है ? 

यह भारत में उत्तर-पश्चिमी हिमालय में सतलज से नेपाल तक ६०० से १६०० मी की ऊँचाई पर, मध्यप्रदेश में पंचमढ़ी, गुजरात के पहाड़ी क्षेत्रों एवं दक्षिण भारत में प्राप्त होता है।

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