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प्रस्तुतकर्ता
Dinesh Chandra
को
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शीशम के फायदे
आपने शीशम के पेड़ को सड़क या बाग-बगीचे में देखा होगा, शीशम की लकड़ी बहुत मजबूत मानी जाती है, आपके घर में भी शीशम की लड़की के कई फर्नीचर बने हुए होंगे, अधिकांशतः शीशम का उपयोग उसकी मजबूत लकड़ी के लिए ही किया जाता है, लोगों को जानकारी ही नहीं है कि शीशम की लकड़ी के अलावा भी उसके अनेक फायदे हैं, आयुर्वेद के अनुसार शीशम को औषधि के रूप में इस्तेमाल में लाया जाता है और शीशम से लाभ लेकर कई रोगों का इलाज किया जाता है।
rosewood tree |
आपको यह जानकर आश्चर्य हो रहा होगा लेकिन यह सच है, शीशम के औषधीय गुण से बीमारियों का इलाज संभव है, यहां शीशम के उपयोग से होने वाले फायदे के बारे में बहुत सारी जानकारियां दी गई हैं, आइए जानते हैं कि आप शीशम से किस-किस बीमारी में लाभ ले सकते हैं।
शीशम क्या है ?
शीशम की लकड़ी का प्रयोग भवनों और फर्नीचर के निर्माण में किया जाता है, इसके साथ ही शीशम के वृक्ष की लकड़ी और बीजों से तेल निकाला जाता है, जिसका औषधि के रूप में प्रयोग होता है, शीशम की निम्नलिखित प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है, यह वृक्ष लगभग ३० मीटर तक ऊंचा होता है, इसकी छाल मोटी, भूरे रंग की और दरार वाली होती है, इसके फूल पाण्डुर पीले रंग के और छोटे होते हैं।
अन्य भाषाओं में शीशम के नाम
भारत में शीशम को मुख्यतः शीशम के नाम से ही जानते हैं, लेकिन इसके और भी नाम हैं, शीशम का वानस्पतिक नाम डैल्बर्जिया सिसो है और यह फैबेसी कुल का है।
- Hindi - शीशम, सीसम, शीसो, शीसव
- English - साऊथ इण्डियन रोजवुड, ब्लैक वुड, रोजवुड, शीशम
- Sanskrit - श्शांप, पिप्पला, युगपत्तेिका, पिच्छिला, श्यामा, कृष्णसारा
- Urdu - शीशम
- Oriya - पदीमी, सीसू
- Assamese - सिसु, कोंकणी, सिसो
- Kannada - बिरिडी, अगरू
- Gujarati - सीसोम, सीस
- Telugu - सिंसुपा
- Tamil - गेट्टे, मुक्कोगेट्टे
- Bengali - शिसु
- Nepali - बांदरे शिरिण, सिस्सो
- Punjabi - नेलकर, टाली
- Malayalam - इरुविल
- Marathi - सीसू, शिसव
- Arabic - सासम, सासीम |
शीशम के फायदे और उपयोग
अब तक आपने जाना कि शीशम के पेड़ के कितने नाम है, आइए अब जानते हैं कि शीशम के इस्तेमाल से कितनी सारी बीमारियों में लाभ लिया जा सकता है, शीशम के औषधीय प्रयोग, औषधीय प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
शीशम का तेल शरीर की जलन में फायदेमंद है
कई पुरुष या महिलाओं को शरीर में जलन की शिकायत रहती है, ऐसे में शीशम के तेल से लाभ मिलता है, शरीर के जिस अंग में जलन हो, वहां शीशम का तेल लगाएं, शरीर की जलन ठीक हो जाती है।
शीशम पेट की जलन में फायदेमंद है
आप शीशम के फायदे से पेट की जलन का इलाज कर सकते हैं, १० से १५ मिली शीशम के पत्ते का रस लें और इसे पिएं, इससे पेट की जलन ठीक होती है |
शीशम आंखों की बीमारी में फायदेमंद
आंखों की बीमारी जैसे आंखों की जलन में शीशम का इस्तेमाल लाभ पहुंचाता है, शीशम के पत्ते के रस में मधु मिला लें, इसकी १ या २ बूंदें आंखों में डालने से जलन से आराम मिलता है।
शीशम का सेवन बुखार में फायदेमंद है
हर तरह के बुखार में शीशम से औषधीय गुण से लाभ मिलता है, शीशम का सार २० ग्राम, पानी ३२० मिली और दूध १६० मिली लें, इनको मिलाकर दूध में पकाएं, जब दूध थोड़ा रह जाए तो दिन में ३ बार पिलाएं, इससे बुखार ठीक होता है।
शीशम का सेवन एनीमिया में फायदेमंद है
एनीमिया में व्यक्ति के शरीर में खून की कमी हो जाती है, आप शीशम के औषधीय गुण से एनीमिया में लाभ ले सकते हैं, एनीमिया को ठीक करने के लिए १० से १५ मिली शीशम के पत्ते का रस लें, इसे सुबह और शाम लेने से एनीमिया में भी लाभ होता है।
शीशम का सेवन मूत्र रोग में फायदेमंद है
मूत्र रोग जैसे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में दर्द होने पर शीशम के सेवन से फायदा होता है, २० से ४० मिली शीशम के पत्ते का काढ़ा बनाएं, इसे दिन में ३ बार पिलाएं, इससे पेशाब का रुक-रुक कर आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब में दर्द होना आदि समस्याओं में लाभ होता है,
इसके साथ ही १० से २० मिली पत्ते काढ़ा बना कर सेवन करने से भी लाभ होता है।
शीशम का सेवन गोनोरिया में फायदेमंद है
शीशम के सेवन से गोनोरिया रोग का इलाज किया जाता है, शीशम के ८ से १० पत्ते व २५ ग्राम मिश्री को मिलाकर पीस लें, इसे सुबह और शाम सेवन करें, इससे गोनोरिया रोग ठीक हो जाता है।
शीशम का सेवन दस्त में फायदेमंद है
आप दस्त को रोकने के लिए भी शीशम का सेवन कर सकते हैं, शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते तथा जौ लें, तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं, अब १० से २० मिली काढ़ा में मात्रानुसार घी और दूध मिला लें, इसे मथकर गुदा के माध्यम से देने पर दस्त पर रोक लगती है।
शीशम का सेवन हैजा में फायदेमंद है
हैजा के इलाज में शीशम का औषधीय गुण फायदेमंद होता है, ५ ग्राम शीशम के पत्ते में १ ग्राम पिप्पली, १ ग्राम मरिच तथा ५०० मिग्रा इलायची मिलाएं, इसे पीसकर ५०० मिग्रा की गोली बना लें, २-२ गोली सुबह और शाम देने से हैजा का इलाज होता है।
शीशम का सेवन गुदभ्रंश में फायदेमंद है
आप दस्त को रोकने के लिए भी शीशम का उपयोग कर सकते हैं, शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते तथा जौ लें, तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं, अब १० से २० मिली काढ़ा में मात्रानुसार घी तथा दूध मिला लें, इसे मथकर गुदा के माध्यम से देने पर गुदभ्रंश ठीक होती है।
शीशम स्तनों की सूजन में फायदेमंद है
महिलाएं स्तनों की सूजन में भी शीशम के फायदे ले सकती हैं, शीशम के पत्तों को गर्म कर स्तनों पर बांधें, इससे स्तनों की सूजन कम होती है, शीशम के काढ़ा से स्तनों को धोने से स्तनों की सूजन खत्म हो जाती है।
शीशम घाव में फायदेमंद है
शीशम के फायदे से घाव को भी ठीक किया जा सकता है, शीशम का तेल लेकर घाव पर लगाएं, इससे घाव ठीक हो जाता है, बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
शीशम मासिक धर्म की रुकावट में फायदेमंद है
३ से ६ ग्राम शीशम के सार का चूर्ण बनाएं, इसे दिन में २ बार लेने से मासिक धर्म की रुकावट खत्म होती है, शीशम के २० से ४० मिली काढ़ा को दिन में २ बार देने से मासिक धर्म के समय होने वाले दर्द में कमी आती है, १० से १५ मिली शीशम के पत्ते के रस को सुबह और शाम देने से मासिक धर्म में लाभ होता है।
शीशम के ८ से १० पत्ते और २५ ग्राम मिश्री को मिलाकर घोट-पीसकर सुबह के समय सेवन करें, कुछ ही दिनों के सेवन से मासिक धर्म में होने वाला अनियमित रक्तस्राव सामान्य हो जाता है, सर्दियों या ठण्ड के मौसम में इस प्रयोग के साथ-साथ ४ से ५ काली मिर्च भी प्रयोग में लेनी चाहिए, मधुमेह के रोगी बिना मिश्री के प्रयोग में लाएं।
शीशम ल्यूकोरिया का इलाज करने में फायदेमंद है
ल्यूकोरिया के इलाज में भी शीशम के फायदे मिलते हैं, शीशम के ८ से १० पत्ते व २५ ग्राम मिश्री को मिलाकर घोट-पीसकर सुबह सेवन करें, इससे ल्यूकोरिया ठीक हो जाता है, शीशम के काढ़ा से योनि को धोने से भी ल्यूकोरिया में लाभ होता है।
शीशम सिफलिश रोग में फायदेमंद है
सिफलिश रोग के उपचार के लिए शीशम का सेवन करें, बहुत जल्दी लाभ मिलता है, १५ से ३० मिली शीशम के पत्ते का काढ़ा का सेवन करें, इससे सिफलिश में लाभ होता है।
शीशम सुजाक रोग में फायदेमंद है
शीशम के गुण से सुजाक का उपचार भी किया जा सकता है, सुजाक रोग के इलाज के लिए १० से १५ मिली शीशम के पत्ते के रस को दिन में ३ बार पिएं, इससे सुजाक की बीमारी में लाभ होता है, किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की राय जरूर लें।
शीशम सायटिका का इलाज करने में फ़ायदेमंदड़ है
शीशम की १० किलो छाल का मोटा चूरा बनाकर २५ लीटर जल में उबालें, जब पानी का आठवां भाग बचे तब ठंडा होने पर कपड़े में छान लें, इसको फिर चूल्हे पर चढ़ाकर गाढ़ा करें, इस गाढ़े पदार्थ को १० मिली की मात्रा में लें, इसे घी और दूध में पकाएं, इसे दिन में ३ बार लगातार २१ दिन तक लेने से सियाटिका रोग का इलाज होता है।
शीशम चर्म रोग में फायदेमंद है
शीशम का तेल चर्म रोगों पर लगाने से लाभ पहुँचता है, इससे खुजली भी ठीक हो जाती है, शीशम के पत्तों के लुआब को तिल के तेल में मिला लें, इसे त्वचा पर लगाने से त्वचा की बीमारियों में लाभ होता है, २० से ४० मिली शीशम पत्ते से बने काढ़ा को सुबह और शाम पिलाने से फोड़े-फुन्सी मिटते हैं।
शीशम कुष्ठ रोग में फायदेमंद है
शीशम के औषधीय गुण से कुष्ठ रोग का इलाज भी किया जा सकता है, शीशम के १० ग्राम सार को ५०० मिली पानी में उबाल लें, जब पानी आधा रह जाए तो उतारकर छान लें, काढ़ा को २० मिली मात्रा में लेकर शहद मिला लें, इसे ४० दिन सुबह और शाम पीने से कुष्ठ रोग में बहुत लाभ होता है, २० से ४० मिली शीशम के पत्ते से बने काढ़ा को सुबह और शाम पिलाने से फोड़े-फुन्सी मिटते हैं, कोढ़ में भी इसके पत्तों का काढ़ा पिलाया जाता है।
शीशम टीबी रोग में फायदेमंद है
शीशम के पत्ते, कचनार के पत्ते तथा जौ लें, तीनों को मिलाकर काढ़ा बनाएं, अब १० से २० मिली काढ़ा में मात्रानुसार घी तथा दूध मिला लें, इसे मथकर पिच्छावस्ति देने से टीबी रोग ठीक होता है, इससे व्यक्ति स्वस्थ होता है।
शीशम रक्त-विकार में फायदेमंद है
रक्त-विकार में शीशम से लाभ मिलता है, रक्त-विकार के इलाज के लिए शीशम के ३ से ६ ग्राम सूखे चूर्ण का शरबत बनाकर पिलाएं, इससे रक्त-विकार ठीक होता है, शीशम के १ किग्रा बुरादे को ३ लीटर पानी में भिगोकर उबालें, जब पानी आधा रह जाए, तो छानकर ७५० ग्राम बूरा डालकर शर्बत बना लें, यह शर्बत रक्त को साफ करता है, रक्त संचार को सही रखने में भी शीशम का सेवन करना अच्छा रहता है, ५ मिली शीशम के पत्ते के रस में १० ग्राम चीनी और १०० मिली दही मिला लें, इसका सेवन करने से रक्त संचार ठीक रहता है।
शीशम के उपयोगी भाग
शीशम का प्रयोग इस तरह किया जा सकता हैः-
- शीशम की जड़
- शीशम के पत्ते
- शीशम के तने
- शीशम के पेड़ की अंदर की लड़की |
शीशम का इस्तेमाल कैसे करें
औषधि के रूप में शीशम के पेड़ के इस्तेमाल की मात्रा ये होनी चाहिएः-
- काढ़ा - ५० से १०० मिली
- शीशम का चूर्ण - ३ से ६ ग्राम |
शीशम कहां पाया या उगाया जाता है
शीशम का जन्म अपने आप होता है, आप इसे सड़कों के किनारे देख सकते हैं, यह पूरे भारत में पाया जाता है।
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